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वाराणसी

ओमप्रकाश राजभर के चक्रव्यूह में फंसी बीजेपी, मानी मांग तो अपना दल को लगेगा झटका

लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग होगी प्रभावित, सपा व बसपा को मिलेगा लाभ

वाराणसीDec 18, 2018 / 12:13 pm

Devesh Singh

BJP UP Alliance

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वाराणसी. सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के चक्रव्यूह में भारतीय जनता पार्टी फंस गयी है। सीएम योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट मंत्री ने ऐसी मांग की है जिससे मानने पर सबसे अधिक नुकसान अपना दल को उठाना पड़ेगा। ऐसा हुआ तो बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग कमजोर हो जायेगी और लोकसभा चुनाव 2019 के पहले ही अखिलेश यादव व मायावती की ताकत बढ़ जायेगी।
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ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी से पिछड़ों को तीन भाग में बांटने की मांग की है। ओमप्रकाश राजभर के अनुसार पिछड़े वर्ग की सभी जातियों को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिलता है। कुछ जाति ऐसी है जो सबसे अधिक आरक्षण का लाभ पाती है। ऐसे में अधिक लाभ पाने वाली जातियों को आरक्षण में एक निश्चित लाभ दिया जाये। इसके बाद बचे हुए आरक्षण के प्रतिशत में अन्य जातियों को शामिल किया जाये। सुभासपा इस मांग को लेकर आंदोलन भी करने जा रही है। सुभासपा ने जो चक्रव्यूह बनाया है उसमे बीजेपी फंस गयी है। पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह ने सुभासपा की मांग मान ली तो सबसे अधिक झटका यादव व पटेल वर्ग के लोगों को लगेगा। यदि बात नहीं मानी तो ओमप्रकाश राजभर चुनाव में यह कहेंगे कि बीजेपी सरकार ने पिछड़ा वर्ग की अनदेखी की है। ऐसे में भी बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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अपना दल को लगेगा झटका
बीजेपी व अनुप्रिया पटेल की अपना दल में गठबंधन है। अपना दल के पास पटेल वोट बैंक है। पिछड़ी जाति के आरक्षण को तीन वर्ग में बांटा गया तो इस वोट बैंक को नुकसान होगा। अनुप्रिया पटेल नहीं चाहेंगी कि उनके वोटरों को किसी प्रकार का नुकसान हो। अखिलेश यादव के साथ यादव वर्ग के वोटर जुड़े रहते हैं इसलिए उनको नुकसान भी होता है तो राजनीतिक दृष्टि से बीजेपी को समस्या नहीं होगी। बीजेपी किसी भी हाल में पटेल वोटरों को नाराज करने का जोखिम नहीं ले सकती है। यूपी में राहुल गांधी, अखिलेश यादव व मायावती को महागठबंधन संभावित है इसलिए बीजेपी नहीं चाहेगी कि इतने बड़े महागठबंधन का मुकाबला करने से पहले अपने गठबंधन को कमजोर किया जाये। बीजेपी की इसी रणनीति पर चलने पर तैयार है लेकिन सुभासपा ने ऐसा मुद्दा उठा दिया है जिसे बीजेपी स्वीकार भी नहीं कर सकती है ओर उससे इंकार भी नहीं। वजह साफ है कि पिछडों को तीन वर्ग में आरक्षण देने का मुद्दा सबसे पहले यूपी के तत्कालीन सीएम राजनाथ सिंह ने ही उठाया था।
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