अफजाल का दावा कोर्ट को ऐसे किया गया गुमराह
पूर्व सांसद अफजाल अंसारी ने दावा किया कि सरकार ने हाईकोर्ट को गुमराह कर केवल एक गाजीपुर के एससी/एसटी आदेश को ही कोर्ट में चुनौती दी। जबकि गाजीपुर के ही स्पेशल कोर्ट, मऊ के गैंग्स्टर व सेशल कोर्ट और गाजीपुर सीबीआई की विशेष अदालत नई दिल्ली आदि कोर्ट ने निर्देश किया कि मुख्तार अंसारी को 23 मार्च के राज्य सभा चुनाव में वोटिंग के लिये पुरी सुरक्षा व्यवस्था के साथ भेजे। सरकार की ओर से इन आदेशों को चुनौती नहीं दी गयी। आरोप लगाया कि जो आदेश दिया गया वह भी केवल एक पक्ष को ही सुनकर दिया गया।
अफजाल अंसारी ने कहा कि बसपा के राष्ट्रीय प्रमुख सचिव सतीश चन्द्र मिश्रा के पत्र लिखने के बाद निर्वाचन आयोग ने यूपी के निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया। इसकी कॉपी मिलने के बाद राज्य निर्वाचन अधिकारी व रिटर्निंग ऑफिसर ने डीएम-एसपी बांदा व वहां के जेल प्रशासन को निर्वाचन आयोग के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा।
कहा कि एक तरफ जहां यूपी की बीजेपी सरकार ने जेल में बंद होने का हवाला देकर मुख्तार अंसारी को वोट नहीं देने दिया, तो दूसरी ओर झारखण्ड की बीजेपी सरकार ने ज्यूडीशियन कस्टडी से लाकर दो भाजपा विधायकों साधू चरण महतो और संजीव सिंह भूरिया को वोट दिलाया। सवाल उठाया उन दो विधायकों की तरह मुख्तार को वोट देने का हक नहीं। आरोप लगायाकि प्रशासन को सरकार की मंशा के अनुरूप जहां वोट रोकना था वहां रोका और जहां दिलाना था वहां दिलवाया। अफजाल अंसारी ने कहा कि मऊ सदर से बसपा विधायक मुख्तार अंसारी को भी जनता का प्रतिनिधि होने की हैसियत से राज्यसभा चुनाव में वोट देने का हक है।
बाहुबली अफजाल अंसारी ने कहा कि सरकार की बदनीयती की हमें पहले से आशंका थी। एक वजह ये भी कि सत्र में भाग लेने के लिये अनुमति मिली है, लेकिन सरकार ने सुरक्षा का हवाला देकर बहानेबाजी से उसको टाल दिया था। इसी के मद्देनजर ये आशंका कहीं न कहीं थी। हैरानी की बात है कि प्रणव मुखर्जी को जेल से आकर वोट देने वाले मुख्तार को वोट देने दिया गया।