हालांकि बसपा सुप्रीमों मायावती फिलहाल 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने के लिए महागठबंधन की धार तेज करने में जुटी हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर वह कांग्रेस व अन्य पार्टियों के साथ बेहतर तालमेल की गुंजाइश पर काम कर रही हैं। यूपी में लोकसभा उप चुनाव में सपा के साथ गठबंधन के बेहतर परिणाम सभी ने समूचे विपक्ष का हौसला बढाया है। उसके बाद मायावती कह चुकी हैं कि भाजपा को रोकने के लिए सीटों के बंटवारे के आधार पर ही वह गठबंधन करेंगी। ऐसे में पार्टीजन संभावित गठबंधन को लेकर खासे उत्साहित हैं।
राहुल के खिलाफ बयानबाजी पर अंकुश अब सवाल यह है कि भाजपा के खिलाफ आगामी लोकसभा चुनाव के लिए तैयार हो रहे गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा। कौन होगा पीएम पद का प्रत्याशी, यानी किसे आगे कर यह चुनाव लड़ेगा महागठबंधन यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मायावती दलित के साथ महिला हैं। देश में इंदिरा गांधी के बाद किसी महिला को प्रधानमंत्री बनने का मौका नहीं मिला है। इसलिए बसपा कार्यकर्ता वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में मायावती को प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करने में जुटे हैं। हालांकि बसपा का शीर्ष नेतृत्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रति किसी तरह के नकारात्मक बयान से भी बच रहा है। सूत्रों के मुताबिक कार्यकर्ताओं को भी सख्त हिदायत दी गई है कि राहुल गांधी के खिलाफ किसी तरह का बयान न दिया जाए।
बसपा सरकार की उपलब्धियां और भाजपा की खामियां बताएंगे कार्यकर्ता लेकिन पार्टी नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाने का निर्देश दे दिया है। इसके लिए गीतों वाला आडियो कैसेट भी तैयार कराया गया है। बसपा कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि वह विधानसभा बूथवार सम्मेलन शुरू कर दें। इसमें इस कैसेट को सुनाएं और मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए जो भी काम किए गए हैं, उसे लोगों को बताएं। साथ ही केंद्र व राज्य सरकार की खामियों का खुलासा करें। खासतौर पर दलित हितों की अनदेखी को जरूर हाइलाइट करें।
कुछ इस धुन पर तैयार हुआ है ऑडियो कैसेट ‘हाथी का बटन दबाएंगे बहन कुमारी मायावती को पीएम बनाएंगे, ऐसा फिर नहीं मिलेगा मौका…।’ बसपाई आजकल यही गीत गुनगुना रहे हैं। एक आडियो कैसेट जारी हुआ है, जिसमें मायावती को प्रधानमंत्री बनाने की बात की जा रही है। यह पहला मौका नहीं है। इसके पहले भी जुलाई में लखनऊ व कानपुर के मंडलीय कार्यकर्ता सम्मेलन में यह मामला जोर-शोर से उठ चुका है।