रविवार को विजय मिश्रा को टिकट मिलते ही नाराज कांग्रेस नगर अध्यक्ष ने देर शाम पद से इस्तीफा दे दिया। ऐसे में कांगे्रेस ने ब्राह्मण चेहरे को लेकर जो दांव खेला था। अब उस पर उल्टा पड़ता नजर आ रहा है।
विजय मिश्रा इलाहाबाद में राजनीति की दृष्टि से मजबूत ब्राह्मण चेहरा हैं। व्यापारी वर्ग से ताल्लूक रखने वाले विजय मिश्र 2006 में बीजेपी के मेयर प्रत्याशी भी रह चुके हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में विजय मिश्र को बीजेपी से इलाहाबाद शहर दक्षिणी का मजबूत दावेदार माना जा रहा था। वहीं नामांकन के ठीक पहले बीजेपी ने विजय मिश्रा को झटका देते हुए शहर दक्षिणी से नंद गोपाल नंदी को मैदान में उतार दिया। इससे विजय मिश्रा और उनके समर्थकों में काफी नाराजगी दिखी।
विजय मिश्रा ने नगर निकाय चुनाव के ठीक पहले बीजेपी छोड़ कांगे्रस का दाम थाम लिया। उनके कांगे्रस में शामिल होते ही महापौर प्रत्याशी बनाए जाने की अटकलें तेज हो गई थी। रविवार को कांग्रेस ने सारी अटकलों से पर्दा हटाते हुए विजय मिश्रा को इलाहाबाद महापौर प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसके साथ ही पार्षदों की लिस्ट भी जारी कर दी गई। कांग्रेस ने विजय मिश्रा को टिकट दे कर ब्राह्मण वोट बैंक के साथ वैश्य समाज के वोट की भी किलेबंदी की। मिश्रा को टिकट मिलते ही पार्टी के अंदर ही घमासान शुरू हो गया।
महापौर का टिकट नहीं मिलने से नाराज शहर अध्यक्ष ने रविवार को पद से ही इस्तीफा दे कर अपनी नाराजगी जाहिर की। हालंाकि ऐसा माना जा रहा है उन्हें विरोध के चलते इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया गया। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता किशोर वाष्णेय के अनुसार पार्टी के अंदर कुछ भी विरोध नहीं है। शहर अध्यक्ष ने इस्तीफा जरूर दिया है लेकिन उसे अभी स्वीकार नहीं किया गया। वो पार्टी मंे बने हुए हैं।
आरएसएस को लेकर शुरू हुआ विरोध
विजय मिश्रा की गिनती कांगे्रस में शामिल होने से पहले बीजेपी और आरएसएस के कद्दावर चेहरे के रूप में होती थी। बीजेपी छोड़ कर कांग्रेस में शामिल होते ही रविवार को उन्हंे इलाहाबाद मेयर प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। इससे नाराज शहर अध्यक्ष उपेंद्र सिंह ने बगावत शुरू कर दिया। मेयर प्रत्याशी की घोषणा होने के कुछ देर बाद ही उन्होंने कांग्रेस शहर अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उपेंद्र की नाराजगी विजय मिश्र को टिकट दिए जाने से है।
उनके अनुसार कुछ दिन पहले ही पार्टी में शामिल हुए विजय मिश्रा जैसे आरएसएस चेहरे को टिकट दिया गया। जबकि पार्टी के अंदर उनसे अच्छे कार्यकर्ता पिछले काफी समय से जुडे हुए हैं। इस दौरान उन्होंने पार्टी के अंदर आर्थिक घोटाले का भी आरोप लगाया। साथ ही कहा कि वो पार्षद प्रत्याशियों के लिए जरूर प्रचार करेंगे जबकि महापौर प्रत्याशी के लिए प्रचार नहीं करेंगे।