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वाराणसी

काशी विश्वनाथ को मुक्ति वाले PM मोदी के बयान पर बढ़ी राजनीति, शिकायत लेकर काल भैरव पहुंचे कांग्रेसी

बाबा काल भैरव के श्री चरणों में अर्पित की अपनी याचना।

वाराणसीMar 09, 2019 / 09:04 pm

Ajay Chaturvedi

Congress Complain against Narendra Modi in Kal Bhairav Mandir

Congress Complain against Narendra Modi in Kal Bhairav Mandir

वाराणसी. श्री काशी विश्वनाथ को मुक्ति देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर वाराणसी में राजनीति गहराती जा रही है। खास तौर पर कांग्रेस नेता काफी एग्रेसिव हैं। एक तरफ जहां पूर्व विधायक अजय राय ने शनिवार को मीडिया को बुला कर अपनी कड़ी आपत्ति जताई तो शाम ढलते-ढलते कांग्रेस जनों का एक जत्था पहुंच गया काशी के कोतवाल काल भैरव के दरबार में। वहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अनिल श्रीवास्तव अन्नू, प्रदेश कांग्रेस सचिव पूनम कुंडू के नेतृत्व में पहुंचे काग्रेसजनों ने बाबा काल भैरव से कहा, बाबा हम शिवभक्त हैं ,व्यथित दुखी व मर्माहत हैं, काशी में एक भक्त की उदघोषणा व उदगार से। उस भक्त की कही बातें हमारी भक्ति व आस्था को झिंझोड़ गई हैं। हमारे शिव भोले हैं और आप तो जानते हैं कि उन्होंने भस्मासुर को भी वरदान दे दिया था। समय-समय पर वह इस तरह का मायाजाल रचते रहते हैं जिसके पीछे छिपा गूढ़ रहस्य अवश्य होता है। हमारी वर्तमान पीड़ा में भी अवश्य कोई न कोई रहस्य छिपा ही होगा पर समाधिस्थ अपने आराध्य तक हम अपनी बात पहुंचाने को मजबूर हैं क्योंकि हम उस भक्त की कही बातों से उद्विग्न व बेचैन हैं इसलिए आपकी शरण में शरणागत हैं।
मानव जीवन कृतार्थ हो और सब पर बाबा की कृपा समान रुप से बनी रहे इस आशा व विश्वास से काशी व देश के कोने कोने से विराजमान भक्तगण बाबा विश्वनाथ के दरबार में आते हैं और श्रद्धा से शीश झुकाते हैं। कोई मुक्ति की कामना करता है तो कोई आनंद की, सबकी भावनाएं अलग, सोच अलग फिर भी सब अलमस्त अड़भंगी।
08 मार्च को एक अनिवासी भक्त ने यह कहा कि हम काशीवासियों ने बाबा विश्वनाथ सहित 40 मंदिरों में बाबा को वर्षों से कैद कर रखा था। बाबा को चारों तरफ से घेर रखा था जिससे बाबा विश्वनाथ को सांस लेने में तकलीफ होती थी, इसलिए वह काशी आए हैं और अपने एकमात्र प्रबल प्रभाव से, अपने सहयोगियों के सहयोग से उन्होंने बाबा विश्वनाथ को कैद से मुक्ति प्रदान की तथा उन्हें शुद्ध वायु की उपलब्धता कराई, जिससे कि उनका दम न घुटे।
वह भी शिवभक्त और हम भी शिवभक्त। हम साधारण व वह सर्वशक्तिमान हो सकते हैं क्योंकि हम तो ठहरे केवल बाबा के भक्त। हम साधारण हैं तो हमारी पीड़ा भी बस उनकी आराधना को लेकर ही है। चूंकि आप कोतवाल हैं और बाबा समाधिस्थ तो हम अपनी पीड़ा व पीड़ा से उपजे प्रश्न आपके माध्यम से बाबा विश्वनाथ तक पहुंचाना चाहते हैं। बाबा, हमारे दो छोटे से प्रश्न हैं…
1- हम तो हमेशा अपने प्रेमपाश में बांधना चाहते हैं बाबा विश्वनाथ को, कैद करने की न तो हमारी क्षमता है न एैसा दुस्साहस, तो फिर उस अनिवासी भक्त ने आपको कैद कैसे व कहां से देख लिया ?
2-इस भूलोक पर हर चराचर जीव के सांसो की डोर जिस सदाशिव महाकाल, परमपिता परमेश्वर, देवाधिदेव महादेव के जिम्में हो उसकी सांसे भला हम तुच्छ काशीवासी भला रोक सकते हैं क्या ? तो फिर किस ज्ञान व दिव्यदृष्टि से उस अनिवासी भक्त ने यह देख लिया कि हम काशीवासियों ने बाबा की सांसों को रोकने का दुस्साहस कर रखा है ?
कुछ लोग कह रहे कि वह दिव्यात्मा है जो भक्तस्वरुप काशी पधारी है काशी के उद्धार के लिए जो हम सबकी समझ से परे है। पर उनने हमें पापबोध कराया लांछन लगाकर। हम अब तक इस आनंदवन में अड़भंगी बन सब बाबा पर छोड़ काशीवास का लुत्फ उठाते रहे और हमारे पूर्वज काशी को मुक्तिधाम समझ मुक्ति पाते रहे। हम तो अब तक यही समझते रहे कि हम बाबा से हैं, बाबा हमसे नहीं। माना की भक्त से भगवान है पर एैसा भी भक्त कभी काशी की धरती पर आएगा यह तो सोच से ही परे था, आते ही पहले नारा हरण कर बैठा और अब तो हद कर दी।
जब से हमने उस कथित दिव्यात्मा की दिव्यवाणीं सुनी है हम अपने को दोषी मानने लगे हैं क्योंकि हमारे पूर्वजों ने हमें हमेशा यही बताया कि शिव ही सत्य है और सत्य ही शिव है। मृत्यु के देवता भी शिव, आनंद के देवता भी शिव, काशी उनका घर है, जहां वह माता पार्वती संग विराजते हैं। उनके विराजने का ही असर व प्रभाव है कि सभी देवी देवता भी काशी विराजते हैं। हम काशीवासी तो बस इनके तुच्छ सेवक हैं। स्वामी तो अनाथों के नाथ बाबा विश्वनाथ हैं और आप इस अविनाशी काशी के कोतवाल, आपकी मर्जी रही तो बाबा की कृपा हम पर बनी रही।
अब इस अविचल अविनाशी आनंदवन में कोलाहल के स्वर गूंज रहे हैं। भक्तगण पीड़ाग्रस्त हैं, अपराधबोध से बाबा को पुकार रहे, त्राहिमाम त्राहिमाम, रक्षमाम रक्षमाम। कोई कह रहा कि यह उस भक्त का अहंकार है, रावण व भस्मासुर की तरह ,कोई कह रहा नहीं, वह दिव्यांश है।
हम भक्तों की प्रार्थना केवल इतनी है कि यदि हमने या हमारे पूर्वजों ने 70 साल तक यह अपराध किया है तो हमें प्रयाश्चित का एक मौका दें और यदि कोई हमारी भक्तिभावना संग खेल रहा तो उसे उसके अहंकार का यथोचित दण्ड दें।
बस यही हम सबकी अर्जी है।

हमें विश्वास है कि हमारी पीड़ा का निवारण अवश्य होगा।

आपके माध्यम से बाबा विश्वनाथ व जगतजननी माता की कृपा सदैव हम भक्तों पर बनी रहे ,बस यही कामना व प्रार्थना है आपसे।
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