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वाराणसी

पूर्व मुख्यमंत्री संपूर्णानंद के पैत्रिक आवास को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग

डॉ संपूर्णानंद और पूर्व सिंचाई मंत्री राजबिहारी सिंह की पुण्यतिथि पर कांग्रेसजनों ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

वाराणसीJan 10, 2019 / 04:33 pm

Ajay Chaturvedi

डॉ संपूर्णानंद की पुण्यतिथि

डॉ संपूर्णानंद की पुण्यतिथि

वाराणसी. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, पत्रकार, साहित्यकार और शिक्षाविद् डॉ संपूर्णानंद और पूर्व सिंचाई मंत्री राजबिहारी सिंह की पुण्यतिथि पर कांग्रेसजनों ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि। इस मौके पर प्रदेश के पूर्व मंत्री अजय राय के नेतृत्व वाराणसी के जंसा स्थित चैराहे पर स्थापित पूर्व सिंचाई मंत्री स्व.राजबिहारी सिंहजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के साथ ही साथ वाराणसी स्थित संम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व.संम्पूर्णानंदजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर उपस्थित कांग्रेसजनों ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. (डॉ .) संम्पूर्णानंदजी के वाराणसी स्थित उनके पैतृक आवास को जिला एवं राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय धरोहर की श्रेणि में शामिल करने की मांग की तथा शीघ्र ही इस संदर्भ में एक पत्रक देने का भी प्रस्ताव पारित किया।
मैदागिन स्थित कांग्रेस भवन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री अजय राय ने कहा कि, संपूर्णानंद एवं राजबिहारी सिंह का जीवन खुद में संदेश है। दोनो ही महान विभूतियों ने अपने विचारों एवं सिद्धांतों से राजनीति में सर्वोच्च मानदंड स्थापित किया। उन्होंने रजनीति को सर्वोच्च मानवीय मूल्यों के साथ जोड़ा। इन महामनाओं के लिए राजनीति का वास्तविक अर्थ था, देश और समाज की सेवा करना। संपूर्णानंद ने शिव प्रसाद गुप्त के आह्वान पर ज्ञानमंडल में भी काम किया । इतना ही नही उन्होंने तत्कालीन समय के महत्वपूर्ण हिंदी एवं अंग्रेजी के समाचार पत्रों का भी कुशल संपादन किया। आज़ादी की लड़ाई में न सिर्फ सक्रियता के साथ सहभागिता की बल्कि वह कई बार जेल भी गए। संपूर्णानंद 1926 में पहली बार स्थापित उत्तर प्रदेश की विधानसभा में कांग्रेस की तरफ से निर्वाचित होकर गए थे, फिर 1937 में वे पहली बार उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री बने, 1955 में वे गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में मंत्रिमंडल के सदस्य थे। वाराणसी में उन्होंने संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने दो बार 1954 से 1957 तक तथा 1957 से सन 1960 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद को भी सुशोभित किया। वह राजस्थान के राज्यपाल पद भी रहे।
पूर्व विधायक श्री अजय राय ने उपस्थित कांग्रेसजनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि, कांग्रेस की विरासत ज्ञान, सत्य, त्याग, अवदान, स्नेह, साहचर्य , बंधुत्व की है। हम गौरवशाली विरासत के अग्रवाहक हैं। आज देश का जो माहौल बन गया है उसमें देश की आम जनता एक बार फिर हम कांग्रेसजनों को उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। जनता का विश्वास हमारे वैचारिकी में है। हमारा इतिहास हमे गौरव और गर्व की अनुभूति कराता है। हमारे महापुरुषों के जीवन हमें श्रेष्ठ विचारों से परिपूर्ण करते हैं। हमे उनके लिखे साहित्य और विचारों को जनता के बीच ले जाने की जरूरत है। आज देश की जनता झूठ, फरेब, हिंसा का समर्थन करने वाली हिंसकऔर पशुतावादी विचारधारा से नफरत करने लगी है। हमे खुद को फिर से अपनी वैचारिकी के साथ जनता के बीच उपस्थित होने की जरूरत है। उन्होंने उपस्थित सभी पदाधिकारियों को इन दोनों महान विभूतियों के आदर्शों व सिद्धांतों पर सतत चलने के लिये आह्वान किया।

जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा ने कहा कि, संपूर्णानंद एवं राजबिहारी सिंह का राजनैतिक जीवन ईमानदारी,, प्रेम, सहयोग और साहचर्य का था। राजबिहारी सिंह का जीवन बेहद सादगी भरा था। सिंचाईमंत्री रहते उन्होंने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम किया। बतौर सिंचाईमंत्री उन्होंने पुर्वांचल समेत पूरे प्रदेश में ट्यूबवेल, नहर, कैनाल का जाल बिछवाया। आज गांवों में जो कुछ बुनियादी सुविधाएं देखने को मिलती हैं, वह उन्ही की देन है। गांव और किसान उनके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता में थे। उन्होंने कहा कि हमें इन महान आत्माओं से प्रेरणा लेनी चाहिए, प्रण करना चाहिए कि हम उनके उस महान राजनैतिक सोच और उनके उन महान राजनैतिक आदर्शों पर खुद को सतत आगे ले जाएंगें।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता सतीश चौबे ने कहा कि,आज का दिन इन दो महान पुण्य आत्माओं के उत्सर्ग का दिन है। हम सभी कांग्रेसजनों को इन महान पुण्य आत्माओं के पदचिह्नों पर चल कर आज की घृणा, क्लेश वाली राजनीति को प्रेम, साहचर्य , अवदान में बदलने की जरूरत है। हमे अपनी विरासत पर गर्व करने के साथ उस विरासत को सहेजने की भी जरूरत है। संपूर्णानंद हिंदी, संस्कृत, उर्दू, फ़ारसी जैसी कई महतवपूर्ण भाषाओं के ज्ञाता थे।
महानगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सीताराम केसरी ने कहा कि, डॉ. संम्पूर्णानंद, राजबिहारी सिंह तथा शिव शंकर मौर्या भारतीयता के अनन्य समर्थक थे। उन्होंने लगभग अट्ठाइस (28) महत्वपूर्ण ग्रन्थों की रचना की।

श्रद्धांजलि सभा में प्रो अनिल उपाध्याय, दुर्गा प्रसाद गुप्ता, देवेंद्र सिंह, राकेश चंद्र, फ़साहत हुसैन “बाबू”, पूनम कुंडू, अरुण सोनी, रामसुधार मिश्रा, डॉ. नृपेन्द्र नारायण सिंह, हसन मेहदी “कब्बन”, संजय चौबे, आशीष केशरी, मनोज उपाध्याय, प्रमोद वर्मा, समेत बड़ी संख्या में जिला एवं महानगर कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारीगण उपस्थित थे ।
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