कार्यकारिणी की सभापति महापौर मृदुल जायसवाल की अध्यक्षता में दिन के 11 बजे शुरू हुई बैठक। बैठक शुरू होते ही विपक्षी पार्षदों ने नगर निगम सदन के लिए आवंटित टाउनलहॉल के सभागार को पीएम के मन की बात सुनने के लिए आवंटित करने का मुद्दा उठाया। पार्षदों का कहना था कि जब टाउनहॉल सभागार को सदन की बैठक के लिए आवंटित किया जा चुका है। नगर आयुक्त कह चुके हैं कि इस सभागार को अन्य किसी कार्य के लिए आवंटित नहीं किया जाएगा, उसके बाद ऐसा कैसे हुआ। चर्चा के दौरान ही नगर आयुक्त के बयान वाली प्रोसीडिंग निकलवाई गई, प्रोसीडिंग तो आई पर उस पर नगर आयुक्त के हस्ताक्षर नहीं थे। इस पर भी पार्षदों ने आपत्ति जताई। लेकिन नगर आयुक्त की गैरमौजूदगी के चलते इस मुद्दे को अगली बैठक तक के लिए टाल दिया गया। लेकिन बैठक की पूरी कार्यवाही के दौरान सभी छह विपक्षी पार्षद तख्ती ले कर बैठे रहे जिस पर लिखा था, ‘लोकतंत्र के मंदिर का बाजारीकरण बंद करो’, ‘निर्देश मंत्री के इशारे पर निगम की नीलामी बंद करो’। इन नारों को पुष्ट करते हुए अपर नगर आयुक्त ने कार्यकारिणी को बताया भी कि मंत्री के टेलीफोनिक आदेश पर ही नगर आयुक्त ने टाउनहॉल सभागार (निगर सदन सभागार) पीएम के मन की बात सुनने के लिए देने का निर्देश दिया था। इस पर पार्षदों ने कड़ी आपत्ति जताई।
बता दें कि इस मुद्दे पर मेयर मृदुला जायसवाल पहले ही आपत्ति जता चुकी है। उन्होने कोतवाली जोन के प्रभारी अधिकारी से जवाब तलब भी किया था। उसके अगले दिन कांग्रेस के पूर्व मंत्री अजय राय ने भी कड़ा विरोध जताया था।
पेयजल संकट से जूझ रहे शहरवासियों की समस्या को हल कराने के लिए पार्षदों की ओर से मांग की गई कि जेएनएनयूआरएम के तहत शहर में जो पानी टंकियां बनाई गई हैं वो आखिर कब चालू होंगी? अब तक उन टंकियों से पानी की सप्लाई क्यों शुरू नहीं हुई। पार्षदों का यह भी कहना था कि हर बार पूछे जाने पर यह बताया जाता है कि बस अब इन टंकियों से जलापूर्ति शुरू हो जाएगी पर ऐसा होता नहीं है। ऐसे में बैठक में तय किया गया कि इन पानी टंकियों की हकीकत जानने के लिए सात सदस्यीय कमेटी गठित की जाएगी। इस वाली कमेटी में अपर नगर आयुक्त, नगर निगम के अधिशासी अभियंता, जीएम जलकल के अलावा चार पार्षद होंगे। यह समिति अपनी रिपोर्ट मेयर को सौंपेगी।
इसके अलावा यह भी तय किया गया कि सभी 90 वार्डों के पार्षद अपने-अपने क्षेत्र के तीन-तीन कुओं की सूची नगर निगम को उपलब्ध कराएंगे। निगम प्रशासन इन कुओं की सफाई, मरम्मत और सौदर्यीकरण कराएगा। उद्देश्य है कि आम जन को पेयजल का संकट न हो। इसके साथ ही नगर निगम अधिनियम की धारा 91 (1) और 91 (2) के प्रस्ताव पारित किए गए।