उन्होंने कहा कि परम धर्म संसद आयोजन करने का उद्देश्य किसी राजनीतिक दल का गठन करना नही है और ना ही हम यहां सत्तारूढ़ होने के लिए बैठे है। हम तो यहां देश की दशा और दिशा पर विमर्श करने के लिए एकत्रित हुए है। धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज का उल्लेख करते हुए स्वामी स्वरूपानन्द ने कहा कि राम धर्म के समान है और सीता नीति के समान। रावण ने राम रूपी धर्म को छोड़ सीता रूपी नीति को पकड़ लिया, परिणाम स्वरूप उसका सर्वनाश हो गया। सूर्पणखा ने नीति छोड़ धर्म को पकड़ा तो उसकी नाक ही कट गई। इसलिए धर्म और नीति दोनो को साथ में लेकर चलो तभी भारतवर्ष का उत्थान संभव है। साथ ही देश में धर्म नियत्रिंत सत्ता की आवश्यकता बताई। इससे पूर्व परम धर्म संसद में गुलाब धर मिश्र ने महाराज श्री का पादूका पूजन किया। महावस्त्र समर्पण हरिचैतन्यानन्द एवं तीर्थानन्द जी महाराज ने किया। महामाला समर्पण सहजानन्द जी एवं नारायणानन्द जी महाराज ने किया।
इससे पूर्व काशी की पावन धरा पर चल रहे परम धर्म संसद 1008 में दूसरे दिन भी राम मन्दिर का मुद्दा छाया रहा। देश विदेश से आये धर्म सांसदो ने एक स्वर में अयोध्या में भव्य राम मन्दिर के लिए हुंकार भरी। ना सिर्फ साधु सन्तों ने बल्कि सामान्य जन मानस ने भी भगवान श्रीराम के लिए तम्बू में निवास करना सौ करोड़ सनातनियों का अपमान माना और कहा कि रामलला का एक क्षण भी तम्बू में निवास सहन नही किया जा सकता। शहर के दक्षिणी छोर पर स्थित सीर गोवर्धन में चल रहे धर्मसंसद में दूसरे दिन सोमवार को दोनो सत्रो में मन्दिर रक्षा विधेयक के साथ साथ धर्मांतरण विधेयक, वैदिक शिक्षा पद्धति और गंगा संरक्षण जैसे विषयों पर धर्मासंदो ने गहन विमर्श किया।
प्रवर धर्माधीश स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने कहा कि परम धर्म संसद के आयोजन का उद्देश्य किसी अन्य धर्म का अपमान करना बिल्कुल नही है। सभी धर्मो के तौर तरीके, विचार अलग है, सबका आदर करना ही सनातन धर्म का कर्तव्य है। हमें उनके दुःख पहुंचानें के विचार को छोड़, उनके अच्छे विचारो को आत्मसात करना चाहिए। सनातन धर्मी होने के नाते हमारी जिम्मेदारी सबसे अधिक है। उन्होंने यह भी कहा कि जिसमें जरा सा भी धर्म है उसे हम विधर्मी नही कह सकते है।
राम जन्म भूमि का फैसला हिंदुओं के पक्ष में कराने वाले सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता परमेश्वर नाथ मिश्र ने कहा कि धर्म संसद तटस्थ है, यहां से जो भी हल निकलेगा उससे पूरी दुनिया सहमत होगी। देश का हर नागरिक चाहता है कि राम मन्दिर का निर्माण हो लेकिन किसी को दुःख पहुंचा कर नही। उन्होंने यह भी कहा कि यह तो स्पष्ट हो चुका है कि वहां कोई मस्जिद थी ही नही, इसलिए राम मन्दिर बनने से कोई रोक नही सकता। हम घृणा फैला कर रामराज्य स्थापित नही कर सकते। अयोध्या से आये रसिक पीठाधीश्वर महन्त जन्मेजय शरण जी महाराज ने कहा कि यह अत्यन्त दुःख का विषय है कि भगवान श्रीराम भी देश के सामान्य जनमानस की तरह दशको से न्याय का इन्तजार कर रहे है। अब समय आ गया है कि देश के समस्त सनातनी शंकराचार्य के नेतृत्व में खड़े हो और भव्य एवं नव्य राम मंदिर के निर्माण में अपनी आहूति दे। उन्होंने कहा कि जनता द्वारा चुने गये संसद सदस्यों को भी इस प्रकार की धर्म संसद में भाग लेना चाहिए ताकि वो शुद्ध चित्त से राम मन्दिर के निर्माण में अपना सहयोग करना चाहिए।
जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने धर्म संसद में प्रदेश सरकार द्वारा श्रीराम के स्टैचू निर्माण के विषय पर निंदा प्रस्ताव रखा, जिसका उपस्थित धर्मासंदो ने करतल ध्वनि से समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जहां पूरे देश के सनातनी रामलला के मन्दिर के कटिबद्ध है, ऐसे में स्टैचू की बात रामभक्तों के साथ बेईमानी है। धर्माचार्य अजय गौतम ने कहा रामलला टेन्ट में है और उनके छद्म भक्त लाखों का सूट पहन कर घूम रहे है। अयोध्या में भाजपा चाहती है कि आदर्श राम का मन्दिर बने लेकिन सन्त समाज और सनातनी हिन्दू घट घट व्यापी राम का मन्दिर बनवाने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तराखण्ड के गोपाल सिंह ने कहा कि धर्म से खिलवाड़ प्रकृति भी सहन नही कर पाती। जैसे ही उत्तराखण्ड के धारी देवी का मन्दिर तोड़ा गया, केदारनाथ में त्राहि -त्राहि मच गई। उत्तराखण्ड के ही हेमन्त ध्यानी ने कहा कि विकास की आसुरी दृष्टि पावनता और पवित्रता को निगल रही है। वर्तमान सरकार को लाभ हो तो वह आस्था के केन्द्रों को तोड़ने में भी नही हिचक रही है। उन्होंने दिवंगत स्वामी सानन्द द्वारा तैयार किये गये गंगा रक्षा विधेयक को सदन में सबके सम्मुख रखा और उनकी मांग पर एक स्पष्ट धर्मादेश की मांग भी की। मध्य प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार अजीत वर्मा ने कहा कि सनातन धर्म के वैदिक स्वरूप से किसी को भी छेडछाड़ का अधिकार प्राप्त नही है। रामजन्म भूमि शास्त्रो से जुड़ा विषय है जिससे लगातार खिलवाड़ हो रहा है।
धर्म संसद में ब्रम्हचारी सुबुद्धानन्द महाराज, प्रज्ञानन्द जी, स्वामी राजीव लोचन दास जी, स्वामी लक्ष्मण दास, अच्यूतानन्द जी महाराज, इन्दुभवानन्द जी महाराज, जल कुमार साई, स्वामी प्रज्ञानन्द, सुभाष दास, महामण्डलेश्वर ऋषिश्वरानन्द, व्यास जी महाराज, छविराम दास, विश्व चैतन्य, रामसजीवन शुक्ल, सीताराम पाण्डेय, डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र, वासुदेवाचार्य जी, कृष्णानन्द उपाध्याय, राजेशपति त्रिपाठी डॉ गिरीश तिवारी,पं रवि त्रिवेदी के अलावा अमेरिका से टोनी, ब्राजील से चाल्र्स, स्पेन से अविनाश, सुनील शुक्ला, सतीश अग्रहरी, यतीन्द्र नाथ चतुर्वेदी, अनिल शुक्ला,सत्यप्रकाश श्रीवास्तव, हरिनाथ दूबे आदि शामिल हुए।
परमधर्म संसद के प्रेस प्रभारी संजय पाण्डेय ने बताया कि धर्म संसद के तीसरे दिन मन्दिर रक्षा विधेयक सहित कई महत्वपूर्ण विधेयक प्रस्तुत किये जाएंगे। सायंकाल परम धर्माधीश जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज परमधर्मादेश जारी करेंगे।
अगला धर्म संसद प्रयाग में
प्रवर धर्माधीश स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती जी महाराज ने धर्म संसद में अगले परम धर्म संसद की घोषणा की। उन्होंने बताया कि आगामी अर्धकुम्भ के अवसर पर प्रयागराज में 29 से 31 जनवरी, 2019 तक परम धर्म संसद का आयोजन किया जायेगा।