डीएलडब्ल्यू ने डीजल रेल इंजन से विद्युत रेल इंजन में रूपांतरित प्रथम 12 ,000 अश्व शक्ति का विद्युत रेल इंजन परीक्षण के लिए पश्चिम मध्य रेलवे के तुगलकाबाद शेड को भेजा है। वर्कशॉप में 4000 अश्व शक्ति के दो डब्ल्यूडीजी-4 रेल इंजनों को रूपांतरित कर 12000 अश्व शक्ति का एक डब्ल्यूएजी-11 विद्युत रेल इंजन बनाया गया है। इसके लिए 4000 अश्व शक्ति के दो डीजल रेल इंजनों को 6000 अश्व शक्ति के विद्युत रेल इंजनों में रूपांतरित किया गया फिर उन्हें जोडकर 12000 अश्व शक्ति का बनाया गया ।
रेलवे बोर्ड के मार्गदर्शन में डीरेका ने चितरंजन रेल इंजन कारखाना तथा अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) के सहयोग से यह कठिन और चुनौतीपूर्ण लक्ष्य हासिल किया है। इस उच्च अश्व शक्ति के विद्युत रेल इंजन को 105 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने हेतु डिजाईन किया गया है। इस मालवाहक रेल इंजन का वजन 252 टन है। इसमें 03 फेज इंडक्शन मोटर, 04 पावर कन्वर्टर लगे है। साथ ही रीजेनेरेटिव व न्यूमेटिक ब्रेकिंग सिस्टम से युक्त है।
डीरेका के लिए यह बड़े ही गर्व का विषय है कि मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत स्वदेशी तकनीक अपनाते हुए विश्व में पहली बार दो पुराने डीजल कर्षण रेल इंजन को इतने अधिक शक्तिशाली 12000 अश्व शक्ति के विद्युत कर्षण रेल इंजन में रूपांतरित कर कीर्तिमान स्थापित किया गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में उपरोक्त 12000 अश्व शक्ति रेल इंजन का निर्माण कर डीरेका ने अपने स्वर्णिम इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है ।