scriptआयुष्मान कार्ड धारक का दर्द, बलिया से बीएचयू तक आपरेशन करने से कतरा रहे डॉक्टर | doctors Refuse operation of ayushman bharat card holder in BHU | Patrika News
वाराणसी

आयुष्मान कार्ड धारक का दर्द, बलिया से बीएचयू तक आपरेशन करने से कतरा रहे डॉक्टर

बलिया से रेफर हो कर आया था मरीज, ट्रॉमा सेंटर में ऑपरेशन करने की जगह लगा दिया प्लास्टर।

वाराणसीMar 24, 2019 / 05:20 pm

Ajay Chaturvedi

बीएचयू और जिला अस्पताल बलिया प्रतीकात्मक फोटो

बीएचयू और जिला अस्पताल बलिया प्रतीकात्मक फोटो

वाराणसी. केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना को जिस गर्मजोशी से लॉंच किया गया। जिस तरह से उसका प्रचार प्रसार किया गया, अब वह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र सहित पूर्वांचल भर के अस्पतालों में इस योजना का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। कारण जो भी हो लेकिन मरीज परेशान हैं।
बता दें कि अभी कुछ दिनों पहले ही योजना के तहत मुफ्त दवा वितरण का भुगतान न होने पर बीएचयू परिसर स्थित दवा दुकानदार ने दवा देने से इंकार किया था। वह खबर पत्रिका ने ही ब्रेक की थी। उसके 24 घंटे के भीतर ही मामला लसटाने के लिए अस्पताल प्रशासन हरकत में आ गया। वह मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक नया मामला सामने आ गया। इसके तहत बीएचयू ट्रॉमा सेंटर के हड्डी रोग विशेषज्ञ ने आयुष्मान भारत योजना का कार्ड देख कर ऑपरेशन करने से इंकार कर दिया। यह मामला अब तूल पकड़ने लगा है।
ये भी पढ़ें- Patrika Exclusive- नहीं मिला पैसा, बीएचयू अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों को दवा मिलनी बंद

जानकारी के मुताबिक बलिया निवासी दिनेश गौड़ 01 मार्च को सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए। उनका दाहिना पांव फ्रैक्चर हो गया था। बलिया के जिला अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ संतोष चौधरी ने 18 दिनों तक उनका इलाज किया। लेकिन आराम न मिला तो डॉ संतोष ने दिनेश की पत्नी नीतू को ऑपरेशन की सलाह दी। इस बीच किसी परिचित की सलाह पर नीतू ने आयुष्मान कार्ड बनवा लिया। आरोप है कि जब डॉक्टर को आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी होने की जानकारी हुई, उन्होंने डॉयबिटिजी के उच्च स्तर पर होने का हवाला देते हुए ऑपरेशन से इंकार कर दिया। डॉक्टर ने दिनेश को बीएचयू रेफर कर दिया।
ये भी पढ़ें- Patrika Impact- बीएचयू में मिलने लगीं अयुष्मान योजना की मुफ्त दवाएं, बकाया होने पर कंपनी ने रोकी थी सप्लाई

दिशने की पत्नी उन्हे लेकर 20 मार्च को बीएचयू ट्रामा सेंटर पहुंचीं। यहां प्रो. जीएन खरे की ओपीडी में गईं। पत्नी नीतू का आरोप है कि यहां भी ऑपरेशन की बात चली, लेकिन जैसे ही आयुष्मान भारत के लाभार्थी होने का जिक्र हुआ, मरीज को सिर्फ प्लास्टर लगाकर छोड़ दिया गया।
नीतू का कहना है कि परिवार पूरी तरह दिनेश पर ही निर्भरहै। बलिया से लेकर यहां तक आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी हमें इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है।

शुगर लेवल काफी बढ़ा हुआ था। भर्ती करने के बाद से ही हम इसे नीचे लाने की कोशिश कर रहे थे, ताकि ऑपरेशन किया जा सके। लेकिन शुगर लेवल नीचे नहीं आने के कारण ही दिनेश को बीएचयू रेफर किया गया।- डा. संतोष चौधरी, (हड्डी रोग विशेषज्ञ-जिला अस्पताल, बलिया)।
ओपीडी में बहुत से मरीज आते हैं। यदि मरीज को प्लास्टर लगाया गया है, तो ठीक ही किया गया। बिना ऑपरेशन के 99 फीसद हड्डियां केवल प्लास्टर से ही जुड़ जाती हैं। यह हड्डियों को जोडऩे का सबसे सस्ता और सुरक्षित तरीका है। – प्रो. जीएन खरे (हड्डी रोग विशेषज्ञ-ट्रामा सेंटर, बीएचयू)।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो