डॉ पांडेय का यह पोस्टर सबसे पहले कचहरी इलाके में देखा गया। उसके बाद शहर के अन्य इलाकों में भी इसे चस्पा किया गया है। इस पोस्टर में ब्राह्मण समाज की ओर से डॉ पांडेय को शुभकामनाएं को दी ही गई हैं, उन्हें ‘ब्राह्मण शिरोमणी’ बताया गया है। वेशभूषा भी परशुराम जैसी है। वह हाथ में तीर-धनुष और कमल दंड लिए हैं। ‘जय परशुराम महाराज’ के साथ नीचे लिखा है ‘अब होगा विरोधियों का संहार…’। पोस्टर में एक अन्य चेहरा तो है पर वह किसका है उसका नाम नहीं है, न तो पोस्टर जारी करने वाले का नाम है। इस पोस्टर के बाबत बीजेपी ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। इसे जारी करने वाले के पोस्टर में दिख रहे चेहरे की पहचान के बारे में भी कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं। कांग्रेस नेता अनिल श्रीवास्तव अन्नू का कहना है कि सत्ता के अहंकार में चूर बीजेपी भगवान तक का अपमान करने से बाज नहीं आ रही। सपा के महानगर अध्यक्ष राजकुमार जायसवाल ने भी पोस्टर पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि बीजेपी से जुड़े लोगों की सोच व समझ, इससे साफ जाहिर हो जाती है।
बता दें कि इससे पहले 2016 में केशव प्रसाद मौर्य को बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर बनारस में ही विवादित पोस्टर सामने आया था। पोस्टर में केशव को भगवना कृष्ण की भूमिका में जबकि यूपी को द्रौपदी और चीरहरण करते बीएसपी सुप्रीमो
मायावती, कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी, सीएम
अखिलेश यादव व आजम खान तथा ओवैसी को दिखाया गया था। इस पोस्टर को लेकर बवाल मचने पर बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने ही जगह-जगह लगे पोस्टर हटवाए थे। विरोधी दलों के नेताओं को लेकर कई बार पोस्टर बनारस में लग चुके हैं। बीते महीने ही पीएम नरेंद्र मोदी के लापता होने वाला पोस्टर सामने से हडकंप मचा था। मुकदमा दर्ज होने के बाद भी लापता का पोस्टर जारी करने वाले का पुलिस अब तक पता नहीं लगा सकी है।