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वाराणसी

पूर्वांचल में रंगदारी, चुनावी खेल या फंसाने की साजिश 

क्या है रंगदारी के पीछे का सच पढि़ए ये खबर

वाराणसीApr 30, 2016 / 05:53 pm

Vikas Verma

extortion in purvanchal

extortion

वाराणसी. पूर्वांचल में अचानक रंगदारी का शोर फिर सुनाई देने लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक माह के भीतर रंगदारी के तीन बड़े मामले सामने आए हैं। कार शो रुम संचालक के यहां दो करोड़, बिल्डिंग मैटेरियल से जुड़े कारोबारी के यहां एक करोड़ रुपये रंगदारी के लिए बदमाशों ने फायरिंग की, सारनाथ में अस्पताल संचालक से एक करोड़ रंगदारी मांगने वाले बदमाश फोन पर लगातार धमकी दे रहे हैं।
लंबे समय के बाद अचानक रंगदारी का दौर फिर पूर्वांचल में शुरू होने से पुलिस व जरायम की दुनिया में कयास के दौर शुरू हो चुके हैं कि आखिर माजरा क्या है। ऐसा नहीं है कि बनारस में रंगदारी नहीं वसूली जाती है। उत्तर प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव की वाराणसी पुलिस को मालूम है कि शहर का कौन सा कारोबारी या चिकित्सक आज भी चुपचाप रंगदारी पहुंचाता है। खामोशी के बीच चल रहे रंगदारी के इस गेम में अचानक गोलियों की गूंज सुनाई देने लगी है। 

एक ही माफिया गिरोह का नाम

बनारस में हाल के दिनों में तीन लोगों से करोड़ों में मांगी गई रंगदारी में एक ही गिरोह का नाम सामने आया है। दो रंगदारी माफिया मुन्ना बजरंगी के नाम पर मांगी गई है। एक रंगदारी में मुन्ना बजरंगी गिरोह के बीकेडी का नाम सामने आया है। बीकेडी और मुन्ना बजरंगी के नाम पर रंगदारी के मामले में पुलिस अभी अपनी जांच-पड़ताल कर रही है लेकिन कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। बजरंगी फिलहाल झांसी की जेल में है और आगामी विधानसभा चुनाव में ताल ठोंकने की रणनीति को अमलीजामा पहना रहा है। माफिया से माननीय बने एमएलसी बृजेश सिंह के परिवार का धुर बीकेडी फिलहाल फरारी काट रहा है। 

 चुनाव की तैयारी तो नहीं 
रंगदारी के चलते शहर की बदली फिजां में जरायम की दुनिया में भी रंगदारी को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है। माना जा रहा है कि पुलिस की नाक में अभी और दम होगा क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव तक रंगदारी के और मामले सामने आएंगे। दरअसल, पूर्वांचल में तमाम माफिया गैंग्स विधानसभा चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। वाराणसी, चंदौली, जौनपुर, गाजीपुर, मऊ, मीरजापुर में तो तय है कि तमाम बाहुबली अपनी किस्मत आजमाने उतरेंगे। ऐसे में फंड की जरूरत होगी। सूत्रों की माने तो चुनाव में रुपये खर्च करने के लिए कुछ माफिया गैंग्स को आर्थिक साम्राज्य और बढ़ाने की जरूरत होगी। ऐसे हालात में माफिया गिरोह के लिए रंगदारी सबसे मुफीद रास्ता है रुपये बटोरने का। 

नाम का सहारा या फंसाने की साजिश 
अंदरखाने में चल रही चर्चाओं को माने तो पूर्वांचल की राजनीति में माफिया गैंग्स ने जो गेम प्लान किया है उस सांचे में कुछ विरोधी फिट नहीं बैठ रहे हैं। ऐसे में संभव है कि उसे रास्ते से हटाने के लिए उसके नाम को बदनाम कर दो ताकि सफेदपोश का चोला पहनने का अरमान धरा रह जाए। दूसरी ओर यह चर्चा भी है कि पुलिस की सख्ती के चलते बनारस के कई छुटभैया गिरोह की कमर टूट चुकी है। गिरोह के कई सदस्य मारे जा चुके हैं जिससे वसूली में कमी आई है। बड़े नाम का सहारा लेकर कुछ बदमाश रंगदारी वसूलने में लगे हैं। पुलिस ने कैंट थाना क्षेत्र में एक अपराधी के घर दबिश भी दी थी क्योंकि शक था कि इन तीनों मामले के तार कहीं न कहीं उससे जुड़े हैं। 
 

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