बता दें कि पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ही 2012 के विधानसभा चुनाव में सबसे पहले प्रदेश के मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप देने का फैसला किया था। घोषणा पत्र में इसे शामिल किया। फिर सत्ता संभालने के बाद से लगातार पांच वर्षों तक
यूपी बोर्ड , सीबीएसई और आईसीएसई के इंटर पास विद्यार्थियों को मुफ्त लैपटॉप वितरित किया। उसके बाद 2017 के चुनाव में बीजेपी ने भी इसे अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था लेकिन तब से दो रिजल्ट निकल गए लेकिन मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप नहीं दे सकी है योगी आदित्यनात सरकार। ऐसे में अब विपक्ष में रहते हुए अखिलेश ने तय किया है कि वह खुद जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट के माध्यम से मेधावियों को लैपटॉप वितरित करेंगे। लखनऊ में तो उन्होंने इसकी शुरूआत कर भी दी है। साथ ही सभी जिला व महानगर अध्यक्षों को संबंधित जिले के टॉपर्स की सूची तैयार करने को कहा है।
अखिलेश यादव ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के विद्यार्थियों को लैपटॉप बांटने की शुरुआत कर भाजपा सरकार के आगे एक बड़ी लकीर खींच दी है। पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी घोषणा पर समय रहते अमल करके दोहरा निशाना साधा है। उन्होंने युवाओं को तो रिझाया ही, भाजपा सरकार पर लैपटॉप बांटने का दबाव भी बढ़ा दिया है। अखिलेश ने अपनी पत्नी सांसद डिंपल यादव के साथ जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट से लैपटॉप वितरण की शुरुआत की है। इस सिलसिले को प्रदेश के अन्य जिलों में बढ़ाया जाएगा। सभी 75 जिलों में कैंप लगाकर समाजवादी पार्टी लैपटॉप का वितरण करेगी। हर जिले में यूपी बोर्ड के 11 मेधावी छात्रों को लैपटॉप दिये जाएंगे। अन्य बोर्ड के मेधावियों का भी सपा हौसला बढ़ाएगी। इस तरह लगभग दो हजार लैपटॉप बांटे जाएंगे।
समाजवादी पार्टी के बनारस के जिलाध्यक्ष डॉ पीयूष यादव ने पत्रिका को यह जानकारी दी। बताया कि वे लोग स्थानीय स्तर पर मेधावियों की सूची अपने स्तर से बनाने में जुटे हैं। दो-तीन दिन में यह सूची लेकर वे लखनऊ जाएंगे और पूर्व सीएम से मिलेंगे। डॉ यादव ने बताया कि पूर्व सीएम को पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में बुलाया जाएगा। यहां के मेधावियों को वही अपने हाथों से लैपटॉप देंगे। इसका दूरगामी परिणाम होगा। वैसे पार्टी इसे राजनीति से नहीं जोड़ रही है। अखिलेश यादव का सपना रहा है कि वह प्रदेश के युवाओं को नई तकनीकि से जोड़ें ताकि उनका चहुंमुखी विकास हो सके।