वाराणसी

क्रिकेट की तरह प्रमोटर मिलें तो कुश्ती में फिर से दुनिया में परचम लहरा देगा भारत

नेशनल रेसलर रोहित से पत्रिका की खास बातचीत….-कुश्ती में कहां हैं प्रमोटर-बनारस में केवल दो जगह है मैट-अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाएं होती हैं मैट पर-स्टेट क्या नेशनल खिलाड़ी को भी बमुश्किल मिल पाती है नौकरी

वाराणसीAug 12, 2019 / 07:15 pm

Ajay Chaturvedi

Wrestler rohit yadav

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी
वाराणसी. आधुनिकता और पश्चिम की नकल में इस कदर खोए कि अपना सब कुछ भूल गया। अपनी परंपरा, पहनावा, खान-पान। ऐसे में खेल क्या? कभी पहलवानी और हॉकी के सिरमौर हुआ करते थे, आज लाख जतन के भी रैंकिंग में लगातार पिछड़ रहे हैं। इन खेलों को प्रमोटर क्यों नहीं मिलते। ये वाजिब सा सवाल है एक नेशनल रेसलर रोहित यादव का। रोहित से पत्रिका ने की खास बातचीत। प्रस्तुत हैं संपादित अंश….
 

डॉ संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम के कुश्ती हॉल में प्रैक्टिस में जुटे रोहित ने कुछ वक्त पत्रिका के लिए निकाला। एक सवाल बनारस तो कभी कुश्ती की नर्सरी हुआ करता था, क्या हुआ जो अब वैसे पहलवान नहीं मिलते। जवाब था इस नौजवान का अब तो राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मुकाबले मैट पर होते हैं। बनारस में मैट है कहां, बस स्टेडियम और डीएलडब्ल्यू में। अगर खेल प्रेमी प्रमोटर आगे आएं इस स्वदेशी खेल को प्रमोट करें तो हम फिर से सिरमौर बन जाएंगे।
रोहित ने बताया कि पहले हम लोग मिट्टी वाले अखाड़े पर प्रैक्टिस करते थे लेकिन बड़े टूर्नामेंट के लिए मैट मिलती थी। ऐसे में वहा दिक्कत होती थी, बताया कि मिट्टी के अखाड़े में कुश्ती धीमी होती है जबकि मैट पर काफी तेज होती है। मिट्टी में 20-25 मिनट तक कुश्ती होती है, यहां दंगल होते हैं, लेकिन मैट पर कुल 6 मिनट में ही एक बाउट हो जाता है। ऐसे में जितना ज्यादा मैट पर प्रैक्टिस करने को मिलेगा उतना ही लाभ होगा।
 

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रोहित ने कहा कि देश के पहलवानों ने यह साबित किया है कि अगर उन्हें भी प्रोत्साहित किया जाए तो वो भी कमाल कर सकते हैं। अब गीता बबिता की दंगल मूवी के बाद पहलवान काफी प्रोत्साहित हुए। पिछले तीन ओलंपिक 2008, 2012 और 2016 में हमने बेहतर प्रदर्शन किया। शाक्षी के मेडल जीतने के बाद महिलाएं भी कुश्ती से जु़ड़ रही हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि स्कोप तो अच्छा है।
कुश्ती के जरिए भविष्य सुधारने का कितना मौका है, रोजगार के लिहाज से के सवाल पर रोहित का जवाब था कि पहले सर्विसेज और रेलवे में ही भर्तियां होती रही। अब रेलवे में भी भर्ती बंद हो गई है। इससे दिक्कत तो है। ऐसे में स्टेट व नेशनल रिप्रजेंट करने वाले लड़कों के लिए कुछ हो नहीं रहा है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। वैकेंसी खोलनी चाहिए। भविष्य सुधरेगा तो परिणाम भी बेहतर मिलेगा। नए लड़के आएंगे और इंडिया एक बार फिर से दुनिया में परचम लहराएगा।
रोहित यादव के अचीवमेंट

-सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप जालंधर सिल्वर मेडल 2008
-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2009 गोंडा ब्रोंज मेडल
-सीनियर नेशनल चैंपियनशिप 2011 गोंडा पांचवा स्थान
-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप२०१२ देवघर झारखंड ब्रोंज मेडल ‌
-सीनियर नेशनल चैंपियनशिप गोंडा चौथा स्थान
-ऑल इंडिया रेलवे चैंपियनशिप गोरखपुर सिल्वर मेडल 2012
-सीनियर नेशनल चैंपियनशिप 2015 नई दिल्ली
-ऑल इंडिया रेलवे चैंपियनशिप 2017 उदयपुर सिल्वर मेडल
-नेशनल चैंपियनशिप इंदौर मध्य प्रदेश चौथा स्थान 2017
-ऑल इंडिया रेलवे सैंपियन स्विफ्ट 2018 जबलपुर गोल्ड मेडल
-सीनियर नेशनल चैंपियनशिप गोंडा उत्तर प्रदेश पार्टिसिपेट 2018
-नेशनल गेम्स पार्टिसिपेट 2011
-जूनियर एशियन नेशनल चैंपियनशिप इंडियाकेम 2008
-जूनियर एशियन चैंपियनशिप और विश्व चैंपियनशिप के लिए इंडियाकेम 2009 जालंधर सोनीपत
-जूनियर एशियन चैंपियनशिप एवं वर्ल्ड चैंपियनशिप इन कैंप पुणे औरंगाबाद महाराष्ट्र
-दो इंडिया कैंप 2009 2008
 

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