डॉ. अजय कृष्ण चतुर्वेदी
वाराणसी. बीएचयू सहित अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों की तर्ज पर यूपी बोर्ड ने भी हाईस्कूल व इंटर के छात्रों को जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) पढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि यह पाठ्यक्रम 2018 से लागू होगा। यही नहीं जीएसटी ही नहीं वैट को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है।
बता दें कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वाणिज्य संकाय ने बीकॉम तृतीय वर्ष व संकाय में संचालित तीन एमबीए कोर्सेज में जीएसटी की पढ़ाई शुरू करने की कवायद शुरू कर दी है। जल्द ही इससे संबंधित प्रस्ताव पर संकाय के बोर्ड ऑफ स्टडीज में विशेषज्ञों के बीच विचार विमर्श कर पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाएगा। उसके बाद उसे एकेडमिक काउंसिल में रखा जाएगा।
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बीएचयू के बाद अब यूपी बोर्ड ने भी इसकी तैयारी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद वाणिज्य वर्ग के 10वीं और12वीं कक्षाओं में जीएसटी को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। छात्रों को जीएसटी की सही जानकारी और भविष्य में इसके प्रयोग को लेकर लोगों में भ्रम दूर करने के लिए यह कदम उठाया गया है। इससे छात्र-छात्रएं वाणिज्य विषय के अंतर्गत जीएसटी का अध्ययन कर सकेंगे। कहा जा रहा है कि वर्तमान सत्र में जीएसटी के विभिन्न पहलुओं को समाहित कर इंटरमीडिएट में इसे ट्रेड आर्गनाइजेशन एवं ट्रेडस के तहत पढ़ाया जाएगा। कॉमर्स के विद्यार्थी अलग टॉपिक के तौर पर इसे पढ़ेंगे।
इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा परिषद की सचिव नीना श्रीवास्तव ने पत्रिका से खास बातचीत में बताया कि 2018 के सत्र से जीएसटी और वैट को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है।
सीएम एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ विश्वनाथ दुबे ने पत्रिका को बताया कि अभी इस तरह का कोई आदेश आया तो नहीं है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह बेहतर होगा। नए कर से संबंधित जानकारियां विद्यार्थियों को जरूर दी जानी चाहिए। विद्यार्थियों के इस नए कर प्रावधान से अवगत होने की सूरत में समाज में किसी तरह का भ्रम नहीं रहेगा।
वैसे सूत्र बताते हैं कि शासन का यह दबाव जरूर था कि इसे इसी सत्र से लागू किया जाए। भले ही इसके लिए दसवीं और बारहवीं वाणिज्य वर्ग के विद्यार्थियों को सेपरेट तौर पर एक चैप्टर ही पढ़ाया जाए। लेकिन इसमें राजनीतिक विरोध की आशंका भी थी, लिहाजा इसे 2018 से लागू करने का फैसला लिया गया।