उन्होंने आगे कहा कि हमें हिन्दू समाज़ में गद्दार घोषित करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन हमने ये सब बर्दाश्त कर लिया। यह सोच कर कि कुछ लोग क्रेडिट लेने व धन बटोरने के लिये यह सब कर रहे हैं। इससे हमें कोई फर्क नही पड़ता, क्रेडिट किसी को भी मिले, लेकिन उद्देश्य ज्ञानवापी बचना है। लेकिन सहन करने की सारी सीमा समाप्त तब हो गई जब उपरोक्त चार महिलाओं के माध्यम से ज्ञानवापी परिसर से संबंधित मुख्य मुकदमा भगवान आदि विशेश्वर विराजमान द्वारा किरन सिंह व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य उपरोक्त मुकदमें को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया जिसके कारण ज्ञानवापी परिसर हिन्दुओं को प्राप्त हो सकता था किंतु अब वह मुसलमानों के पक्ष में चली जाएगी ।
राखी सिंह ने आगे पत्र में लिखा है कि ‘मैं कई दिनो से मानसिक दबाव में हूँ मुझे लगता है कि यदि मैंने श्रिंगार गौरी का नियमित पूजा का मुकदमा न डाला होता तो मेरी चार साथी महिलायें वर्चस्व में न आतीं और न ही भगवान आदि विशेश्वर विराजमान का मुकदमा खराब कर पातीं। मुझे लगता है कि मेरे ही कारण उपरोक्त चार महिलाएं वर्चस्व में आयीं और जिनके कारण ज्ञानवापी का मूल मुकदमा बर्बाद हो गया। इन चार महिलाओं के कारण न केवल सम्पूर्ण सनातन समाज को छति पहुंची है। उसी के साथ मेरे व विसेन परिवार के द्वारा किया गया सम्पूर्ण त्याग समर्पण व्यर्थ होता दिख रहा है। ऊपर मुकदमें को खराब करने वाले सभी लोगों के कृत्य से मैं बहुत आहत हूं और स्वयं को माफ नहीं कर पा रही हूं।’