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बाहुबली रहे हरिशंकर तिवारी को ब्राह्मणों का बड़ा नेता माना जाता है इसके चलते सरकार यूपी में सरकार किसी की भी रहे, लेकिन हरिशंकर तिवारी का डंका बजता था। जेल में रहते हुए हरिशंकर तिवारी पहली बार विधायक बने थे इसके बाद लगातार 22वर्षो तक विधायक का चुनाव जीतते आये थे। 1997 से 2007 तक मंत्री भी रहे। सबसे पहले मंत्री बनने का मौका कल्याण सिंह सरकार में मिला था इसके बाद राजनाथ सिंह व मायावती के भी सरकार में मंत्री रहे। अधिक आयु हो जाने के कारण हरिशंकर तिवारी अब सक्रिय राजनीति में नहीं है लेकिन इतना कह जाता है कि गोरखपुर में जिस प्रत्याशी को हरिशंकर तिवारी का आशीर्वाद मिल जाता है उस प्रत्याशी का चुनाव जीतने की संभावना बढ़ जाती है।
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गोरखपुर में पहले हरिशंकर तिवारी व वीरेन्द्र शाही के बीच अदावत चलती थी बाद में हरिशंकर तिवारी व वीरेन्द्र शाही दोनों ही राजनीति के क्षेत्र में आकर अपनी लड़ाई लडऩे लगे। १९९७ में लखनऊ में वीरेन्द्र शाही की हत के बाद इस लड़ाई में विराम लग गया था बाद में सीएम योगी आदित्यनाथ का खेमा जब शक्तिशाली हुआ तो हाता (हरिशंकर तिवारी का आवास)से अच्छे संबंध नहीं थे। यूपी का सीएम बनते ही हाता पर छापा पड़ गया था जिसके लेकर सीएम योगी सरकार पर कई आरोप लगे थे।
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