इतना ही नहीं बोर्ड मुख्यालय से जारी पत्र में यह भी कहा गया है कि परीक्षक सूची का सत्यापन विद्यालय के प्रधानाचार्य करेंगे। वो बताएंगे कि अमुक शिक्षक परीक्षक बनने की योग्यता रखता है या नहीं। परीक्षक को जिस विद्यालय का शिक्षक बताया गया है वहां वह तैनात है कि नहीं, कहीं डिबार शिक्षक को दोबार परीक्षक तो नहीं बना दिया गया है। ये सारी जानकारी प्रधानाचार्य जिला विद्यालय निरीक्षक माध्यम से बोर्ड को भेजेंगे। यानी अगर यह कहा जाए कि अभी तक कुछ भी तय नहीं है तो गलत नहीं होगा।
बोर्ड मुख्यालय से जारी परिपत्र में बताया गया है कि पिछले साल की तरह इस बार भी प्रायोगिक परीक्षा के कुल पूर्णांक का 50 फीसदी आंतरिक व 50 फीसदी वाह्य परीक्षक द्वारा परीक्षा ली जाएगी। बताया जा रहा है कि ऐसा पारदर्शिता के तहत किया गया है। लेकिन इस मुद्दे पर नाम न छापने की शर्त पर शिक्षक कहते हैं कि यह तो नूरा कुश्ती जैसा मामला है। जब प्रधानाचार्य को ही परीक्षक बुलाना है तो वह जिसे चाहे बुलाए, जिसे चाहे परीक्षक बनने से अयोग्य ठहरा दे। आखिर कौन प्रधानाचार्य चाहेगा कि उसके विद्यालय के विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल में नंबर कम मिले।
विद्यालयों को 13 दिसंबर तक ही करानी थी आंतरिक परीक्षा यही नहीं, इससे बड़ी बात यह कि बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय से संयुक्त शिक्षा निदेशकों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि वो प्रधानाचार्यों को ताकीद करें कि हर हाल में आंतरिक स्तर पर होने वाली प्रायोगिक परीक्षा हर हाल में 13 दिसंबर तक संपन्न करा लें। अभी यह पत्र ही 13 दिसंबर को संयुक्त शिक्षा निदेशक को मिला है, जब यह तिथि बीत गई।
दूसरे चरण के परीक्षकों की सूची अभी नहीं भेजी बता दें कि बोर्ड ने अभी पहले चरण के लिए ही परीक्षकों की सूची और प्रायोगिक परीक्षा संबंदित कागजात भेजे हैं। दूसरे चरण की जो परीक्षा 30 दिसंबर से 13 जनवरी तक होनी है उसके लिए परीक्षकों की सूची और कागजात बाद में भेजे जाएंगे।