इस दिन पूरे दिन शुभ मुहूर्त है आप किसी भी समय पूजा कर सकती है। भादो के कृष्ण पक्ष के तृतीया तिथि की शुरुआत 17 अगस्त की रात 10.48 बजे से ही हो जाएगी और यह 18 अगस्त को आधी रात 1.13 बजे खत्म होगी। इस दिन प्राय: उठकर और स्नान आदि कर पूजा की तैयारी करें। नये कपड़े जरूर पहनें। इसके बाद मिट्टी से शिव-पार्वती की मूर्ति बनाएं और विधिवत उनकी पूजा करें।
कथा के अनुसार एक गांव में गरीब ब्राह्मण रहता था। उसकी हालत ऐसी थी कि दो समय के भोजन करने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। ऐसे में एक दिन ब्राह्मण की पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखने का संकल्प लिया और अपने पति से व्रत के लिए चने का सत्तू लाने को कहा। यह बात सुनकर ब्राह्मण परेशान हो गया कि आखिर उसके पास इतने पैसे तो है नहीं, फिर वह सत्तू कहां से लेकर आए।
बहरहाल, ब्राह्मण साहुकार की दुकान पर पहुंचा। वहां उसने देखा कि साहुकार सो रहा था। ऐसे में ब्राह्मण चुपके से दुकान में चला गया सत्तू लाने लगा। इतने में साहुकार की नींद खुल गई और उसने ब्राह्मण को देख लिया। उसने ब्राह्मण को पकड़ लिया और चोर-चोर चिल्लाने लगा। ब्राह्मण ने तब कहा कि वह चोर नहीं है और केवल सवा किलो सत्तू लेकर जा रहा है।
ब्राह्मण ने बताया कि उसकी पत्नी ने कजरी तीज का व्रत किया है और उसके लिए पूजा सामाग्री चाहिए। इसलिए उसने केवल सत्तू लिया है। यह सुनकर साहुकार ने ब्राह्मण की तालाशी ली तो उसके पास सही में कुछ नहीं मिला। यह देख साहुकार की आंखें नम हो गई। उसने ब्राह्मण से कहा कि अब से वह उसकी पत्नी को बहन मानेगा। इसके बाद साहुकार ने ब्राह्मण को पैसे और सामान देकर विदा किया। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और पति की आयु लंबी होती है।