महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि रंगभरी एकादशी को तड़के मंगल बेला में 3.30 बजे बाबा विश्वनाथ और मां पार्वती तथा प्रथमेश की चल प्रतिमाओं का हल्दी पूजन होगा। उसके बाद दूध, दही, शहद, गंगाजल से स्नान कराया जाएगा। फिर मंगला आरती की जाएगी। उसके बाद भोर 4.30 बजे से 6 बजे तक वैदिक ब्रह्मणों द्वारा विशेष षोडशोपचार पुजन रुद्राभिषेक किया जाएगा। सुबह 6.30 बजे से 8.30 बजे तक मातृका पूजन होगा। 09 बजे चल प्रतिमाओं का राजसी श्रृंगार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रजत प्रतिमाओं का श्रृंगार करने के बाद बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में जलते अखंड दिप के खप्पड़ से काजल लाया जाएगा। मां गौरा के नेत्रों में उस श्यामल को सजाया जाएगा। इन समस्त श्रृंगार में प्रमुख होगा मइया के मांग का सिंदूर अर्चन, जिसका अनुष्ठान महंत परिवार दीक्षित मंत्रों से सम्पन्न कराएगा। मां का सिंधुर अन्नपूर्णेश्वरी के दर से आएगा। उन्होंने बताया कि गौना यात्रा के पूर्व जब बाल गणेश को मां पार्वती के गोद मे दिया जाएगा तो सुहागिन महिलाएं मंगल गीतों के साथ मां गौरा का गोद भी भरेंगी।
रविवार को रंगभरी एकादशी के दिन महंत आवास पर काशी पुराधिपति की रजत प्रतिमाओं का दर्शन, भोग आरती के बाद शुरू हो जाएगा जो पालकी उठने तक निरंतर जारी रहेगा। चल प्रतिमाओं का श्रृंगार पूजन करने के बाद फलहार, फल मिष्ठान भोग अर्पित कर दोपहर 12 बजे महाआरती की जाएगी। भोग आरती के बाद दोपहर 01 बजे पालकी का दर्शन आम श्रद्धालुओं के खोला जायगा। सांय 05 बजे बाबा की पालकी की शोभायात्रा निकाली जायगी जो मंहत आवास से मंदिर तक ले जायी जायगी।
गौने की रस्म अदा करने से पहले शुक्रवार को महंत आवास पर गीत गवनई की परंपरा निभाई गई। मां पार्वती के विदाई के पूर्व कुलपति आवास मांगलिक गीत गूंज उठा। पूर्व संध्या 6.30 बजे मांगलिक गीत का कार्यक्रम रखा गया जिसमें भक्तों ने अपने भजनों से बाबा विश्वनाथ व मां पार्वती का गुणगान किया।
दूसरी ओर बड़ी पियरी चौखण्डी बीर से बाबा श्री काल भैरव की डोला यात्रा निकलने के साथ अबीरोत्सव, रंगभरी एकादशी के दिन सायंकाल मनाया जाएगा। ड़ोला यात्रा अपने परंपरागत मार्ग पियरी चौमुहानी, जालपा देवी, काशीपुरा, नखास, लोहटिया, कबीरचौरा होते हुए पुनः पियरी कालभैरव मंदिर पर आकर सम्पन्न होगी। बाबा के अबीरोत्सव में किन्नरों की मंडली बाबा के यात्रा की अगुवाई करेगी। डोला यात्रा में डमरुदल, शहनाई, नगाड़ा व पारम्परिक वाध्ययनत्र आदि होंगे। यात्रा के पहले बाबा का षोडसोपचार पूजन व श्रृंगार किया जायेगा। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ प्रसाद वितरण भी होगा।