script#Once upon a time: औरंगजेब ही नहीं अग्रेजों का वार भी हुआ इन महादेव पर, इनके दर्शन मात्र से मिलता है मोक्ष | Know about Kriti Vaseshwar Mahadev Temple of Kashi and important | Patrika News
वाराणसी

#Once upon a time: औरंगजेब ही नहीं अग्रेजों का वार भी हुआ इन महादेव पर, इनके दर्शन मात्र से मिलता है मोक्ष

-#Once upon a time: काशी विश्वनाथ के मस्तक के रूप में जिन्हें मिली है मान्यता-महिषासुर के पुत्र गजासुर का वध किया तो उसे मिली मुक्ति-काशी में शिवरात्रि पर इन महादेव के दर्शऩ का है विशेष विधान- 17वीं शताब्दी में राजा पटनी मल ने मंदिर का किया जीर्णोद्धार और मध्य प्रदेश के नर्मदा से लाए शिवलिंग

वाराणसीDec 07, 2019 / 03:39 pm

Ajay Chaturvedi

Kriti Vaseshwar Mahadev

Kriti Vaseshwar Mahadev

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. #Once upon a time: मोक्ष नगरी काशी में है बाबा विश्वनाथ का एक ऐसा स्वरूप जिसे उनके मस्तक की मान्यता हासिल है। यह मंदिर श्री काशी विश्वनाथ और महामृत्युंजय मंदिर के बीच दारानगर मोहल्ले में स्थित है। मान्यता है कि इन महादेव के दर्शऩ मात्र से जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिलती है। यानी मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि पर आप के दर्शऩ का विशेष महात्म्य है। इनके दर्शऩ-पूजन से ही महाशिवरात्रि का पूजन सफल होता है।
यूं तो काशी में पग-पग पर शिवलिंग हैं, और हर शिवलिंग का अलग महात्म्य है। हर शिवलिग श्री काशी विश्वनाथ के किसी न किसी अंग से संबंधित है। किसी शिवलिंग में बाबा विश्वनाथ की आत्मा बसती है तो किसी को उनके मस्तक की मान्यता प्राप्त है। ऐसा ही एक शिवलिंग दारानगर इलाके में स्थित है। इस शिवलिंग को कृत्ति वासेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।
Kriti Vaseshwar Mahadev
IMAGE CREDIT: patrika
मंदिर के महंत सुधीर गौड़ बताते हैं कि काशी खंड व शिव के 18 पुराणों के युद्ध खंड में वर्णित है कि प्राचीन काल में महिषासुर के पुत्र गजासुर को जब किसी ने मुक्ति का मार्ग नहीं सुझाया तो गुरुओं ने उसे एक रास्ता बताया कि तुम काशी जाओ और वहां के सबसे बड़े शिवालय में पहुंच कर जितने भी ऋषि-मुनी हों उनकी बली चढाओ, तभी भगवान शिव प्रकट होंगे और वही मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करेंगे। गजासुर ने वैसा ही किया। तब भोले नाथ प्रकट हुए और उसका वध कर उसे मुक्ति दिलाई। उसी वक्त भगवान शंकर ने वर मांगने को कहा तो गजासुर ने अपना चर्म धारण करने को कहा जिसे भगवान भोले नाथ ने उस चर्म को धारण किया जिसके चलते उनका शरीर गज रूपी हो गया। यह शिवलिंग भी गज के ही समान है।
महंत सुधीर गौड़
महंत गौड़ ने बताया कि भगवान शंकर के 18 अंग (स्वरूपों) में एक मस्तक स्वरूप है यह कृत्ति वासेश्वर का शिवलिंग। यह एक मात्र ऐसा शिवलिंग है जहां 24 घंटे भोलेनाथ विराजमान रहते हैं। इनके दर्शऩ मात्र से जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है अर्थात भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल का काशी का यह सबसे बड़ा मंदिर है।
उन्होंने बताया कि मुगल बादशाह औरंगजेब काशी आया तो उसने सबसे पहले कृत्ति वासेश्वर मंदिर पर ही हमला किया। इसके बाद श्री काशी विश्वनाथ, बिंदु माधव और काल भैरव पर 8 बार हमला किया पर वहां उसे जीत हासिल नहीं हो सकी। कृत्ति वासेश्वर मंदिर पर अंग्रेजों ने भी कटार से 4 बार हमला किया ऐसा कहा जाता है। वैसे महंत सुधीर गौड़ कटार से शिवलिंग पर हुए वार के निशान भी दिखाते हैं। बताया कि विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण के चलते महादेव काशी छोड़ कर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी में समाहित हो गए।
Kriti Vaseshwar Mahadev
IMAGE CREDIT: पत्रिका
लेकिन जब आक्रांता लौट गए तो उन्होंने राजा महाराजाओं व रानियों को स्वप्न दिया। उसी दौरान राजा पटनीमल की माता को भी स्वप्न दे कर काशी में विशाल शिवालय बनवाने का निर्देश दिया, तब राजा पटनीमल ने 1656 में इस मंदिर का पुनः निर्माण कराया। उसके बाद 21 ब्राह्मण मध्य प्रदेश गए, मल्लाहों और गोताखोरों को नर्मदा नदी के तट तक भेजा गया। लेकिन शिवलिंग को निकालने में दो बार शिवलिंग छूट गया तीसरे प्रयास में खुद कृत्ति वासेश्वर महादेव बाहर निकले। उस शिवलिंग को काशी लाकर सविधि फिर से प्राण प्रतिष्ठा की गई। उन्होंने बताया कि इस मंदिर से सटे ही औरंगजेब काल की मस्जिद भी है, उसमें प्राचीन कृत्ति वासेश्वर का शिवलिंग भी है। हालांकि वहां अब सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस फोर्स तैनात रहती है। बताया कि प्राचीन काल का यह अति वैभवशाली विशाल शिवाला था।
उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि और मास शिवरात्रि पर कृत्ति वासेश्वर महादेव के पूजन का विशेष महात्म्य है। महाशिवरात्रि पर महादेव के दर्शऩ से ही व्रत-पर्व का पुण्य लाभ प्राप्त होता है। इसके अलावा हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भी इन महादेव के दर्शऩ-पूजन की मान्यता है। वैसे यहां दक्षिण भारतीय भक्तों की भीड़ ज्यादा होती है।

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