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वाराणसी

जानिये वाराणसी क्यों है देश की hottest लोकसभा सीट

-अब तक 16 में से पांच-पांच बार जीत हासिल कर चुकी हैं कांग्रेस और भाजपा-देश ही नहीं दुनिया भर में मशहूर है अपनी संस्कृति-सभ्यता के लिए-सर्व विद्या की राजधानी का मिला है खिताब

वाराणसीApr 22, 2019 / 02:11 pm

Ajay Chaturvedi

Varanasi

Varanasi

वाराणसी. देश की प्रमुख सबसे संजीदा लोकसभा सीटों की बात करें तो सबसे पहले नाम आएगा वाराणसी का। वाराणसी जिसे काशी और बनारस भी कहा जाता है। गंगा जमुनी तहजीब इसी काशी की पहचान है। लघु भारत का दृश्य कहीं मिलता है तो इस वाराणसी में ही। महान वैज्ञानिक शांति स्वरूप भटनागर ने इसे सर्व विद्या की राजधानी का खिताब दिया। महामना मदन मोहन मालवीय ने इसे बनाया अपनी कर्म भूमि। डॉ संपूर्णानंद, पंडित कमलापति त्रिपाठी, राजनारायण जैसे धुरंधरों की जन्म भूमि है तो गांधी, लोहिया और जयप्रकाश नारायण ने यहीं से देश की राजनीति को दिशा दी। देश के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की जन्म स्थली भी यही बनारस है। अब यहीं से सांसद रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। अब पहली बार इस बनारस से कोई प्रधानमंत्री चुनाव लड़ने जा रहा है। ऐसे में पूरी दुनिया की निगाह है इस काशी पर।
2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी यहां से चुनाव लड़े और जीते। उस वक्त आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल थे उनके मुकाबिल तो कांग्रेस से अजय राय ने भी थी कड़ी टक्टर। इस बार भी बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को ही अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं जबकि नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हालांकि कांग्रेस से गांधी परिवार का प्रत्याशी उतारने की चर्चा जोरों पर है। जिस तरह से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बार-बार वाराणसी से चुनाव लड़ने की बात कर रही हैं उससे वाराणसी की जनता में भी काफी उत्साह है कि इस बार नरेंद्र मोदी को कांग्रेस कटी टक्कर देने के मूड में हैं। प्रियंका ने मोदी के गंगा के मुद्दे को लगभग कैप्चर कर लिया है। वह प्रयागराज से वाराणसी की एक गंगा यात्रा कर चुकी हैं। दूसरी गंगा यात्रा वाराणसी से बलिया तक प्रस्तावित है। प्रियंका के अलावा 2014 में मोदी को टक्कर देने वाला कांग्रेस दिग्गज अजय राय और संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो विश्वंभरनाथ मिश्र का भी नाम भी चर्चा में है। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बार-बार सस्पेंस की बात कर रहे हैं प्रत्याशी को लेकर तो प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर कह गए कि बेहतर चौकीदार लेकर आएंगे। ऐसे में वाराणसी सीट इस बार भी राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में है।
16वीं लोकसभा के लिए 2014 में हुए चुनाव में नरेंद्र मोदी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को 03 लाख 71 हजार 784 वोटों के अंतर से हराया था। मोदी को 05 लाख 81 हजार 22 वोट मिले थे जबकि केजरीवाल को 02 लाख 09 हजार 238 मतों से ही संतोष करने पड़ा था। उस वक्त कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75 हजार 614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी विजय प्रकाश जायसवाल को 60 हजार 579 मत और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी कैलाश चौरसिया को 45 हजार 291 मत मिले थे।
वैसे वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास दिलचस्प है। 1952 से 1962 तक तीन लोकसभा चुनावों में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल की, जबकि 1967 के चुनाव में भाकपा ने पहली बार अपना नाम यहां से दर्ज कराया। 1971 में एक बार फिर कांग्रेस को यहां से विजय हासिल हुई, लेकिन 1977 में जनता लहर के दौरान कांग्रेस हारी और चंद्रशेखर ने परचम लहराया।1980 में एक बार फिर कांग्रेस लौटी और 1984 में भी जीती। 1989 में जनता दल से अनिल कुमार शास्त्री जीते। इसके बाद चार चुनावों में भाजपा ने परचम लहराया। एक बार शिरीष चंद्र दीक्षित, तीन बार शंकर प्रसाद जायसवाल को जीत मिली। 2004 में कांग्रेस ने वापसी की और राजेश मिश्रा सांसद बने। 2009 में बीजेपी ने फिर सीट अपने कब्जे में की और डॉ. मुरली मनोहर जोशी सांसद बने।
वर्ष सांसद पार्टी
1952 रघुनाथसिंह कांग्रेस
1957 रघुनाथसिंह कांग्रेस
1962 रघुनाथसिंह कांग्रेस
1967 सत्यनारायण सिंह भाकपा
1971 राजाराम शास्त्री कांग्रेस
1977 चंद्रशेखर जनता पार्टी
1980 कमलापति त्रिपाठी कांग्रेस (इंदिरा)
1984 श्यामलाल यादव कांग्रेस
1989 अनिल कुमार शास्त्री जनता दल
1991 शिरीषचंद्र दीक्षित भाजपा
1996 शंकर प्रसाद जायसवाल भाजपा
1998 शंकर प्रसाद जायसवाल भाजपा
1999 शंकर प्रसाद जायसवाल भाजपा
2004 डॉ. राजेश कुमार मिश्रा कांग्रेस
2009 डॉ. मुरली मनोहर जोशी भाजपा
2014 नरेंद्र मोदी भाजपा
वाराणसी विश्व के प्राचीनतम शहरों में से एक है। देश के उत्तर प्रदेश में स्थित वाराणसी को सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र भी कहा जाता है। बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र नगरी माना जाता है। यहां की संस्कृति का गंगा और श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के धार्मिक महत्व से अटूट रिश्ता है। यही कारण है कि वाराणसी को मंदिरों का शहर, भारत की सांस्कृतिक राजधानी, भगवान शिव की नगरी जैसे विशेषणों से भी संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं कि बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।
वाराणसी संत कबीर, वल्लभाचार्य, रैदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानंद गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि की जन्म व कर्म स्थली रही। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना यहीं की। गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम संदेश इसी काशी के सारनाथ में दिया था।
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