लालबिहारी मृतक ने कहा कि वह खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर जनता की अदालत में इंसाफ की आवाज को बुलंद करेंगे। साथ ही साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आदि दिग्गज नेताओं के खिलाफ भी चुनाव लड़ाने के लिए मृत घोषित लोगों की तलाश करके उनके खिलाफ चुनाव लड़वाएंगे।
जानिए कौन हैं लाल बिहारी मृतक
लाल बिहारी ‘मृतक’ आजमगढ़ के खलीलाबाद के रहने वाले हैं। 1976 में राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में इन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। साथ ही सारी सम्पति भी रिश्तेदारों के नाम कर दी गई थी। लाल बिहारी अशिक्षित हैं। 21 साल की उम्र में अधिकारियों से जाकर कहा कि वह मरें नहीं जिंदा हैं, लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी। उसी वक्त उन्होंने खुद को जिंदा साबित करने के लिए लड़ाई लड़ने की ठान ली थी।
जिंदा साबित करने की लड़ी
लाल बिहारी ने खुद को जिंदा साबित करने के लिए ऑफिसों के चक्कर काटे। जब बात नहीं बनी तो 9 सितम्बर 1986 के विधानसभा में पर्चे फेंके और गिरफ्तारी दी। इसके बाद दिल्ली के वोट क्लब पर 56 घंटे तक अनशन किया। इन सब के बावजूद राजस्व विभाग उन्हें जिंदा मानने को तैयार नहीं था।
अमेठी से राजीव गांधी के खिलाफ लड़े थे चुनाव
इसके बाद उन्होंने अमेठी से दिवंगत पीएम राजीव गांधी के खिलाफ 1989 में लोकसभा का चुनाव लड़ा। इससे पहले 1988 में इलाहाबाद संसदीय सीट से पूर्व पीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह के खिलाफ भी चुनाव मैदान में उतरे। आखिरकार उनकी लंबी लड़ाई का अंत 18 साल बाद 1994 में हुआ और उन्हें जीवित माना गया। हालांकि मृतक शब्द उनके नाम के साथ हमेशा के लिए जुड़ गया।