मालवीय मिशन की कार्यकारिणी की बैठक में उठा मुददा महामना मालवीय मिशन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में विश्वविद्यालय के दक्षिणी परिसर के नाम से पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी का नाम हटा कर केवल बनारस हिंदू विश्वविद्यालय दक्षिणी परिसर करने की मांग उठी। देश के विभिन्न राज्यों व प्रकल्पों से आए पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभुनारायण के नेतृत्व में अन्य सदस्यों ने कहा कि बरकछा परिसर का नाम केवल दक्षिणी परिसर ही रहने दिया जाए। इन सभी ने तर्क दिया कि विश्वविद्यालय में कोई भी परिसर या संकाय किसी के नाम पर नहीं है, यहां तक कि महामना तक के नाम पर भी कोई संकाय नहीं है। ऐसे में दक्षिणी परिसर के नाम के साथ राजीव गांधी का नाम क्यों? इसे भी बदला जाना चाहिए और दक्षिणी परिसर का नाम काशी हिंदू विश्वविद्यालय दक्षिणी परिसर कर देना चाहिए।
मिशन केंद्र सरकार को भेजेगा प्रस्ताव बैठक में तय हुआ कि महामना मालवीय मिशन केंद्र सरकार, गृह मंत्रालय को जल्द ही बीएचयू के दक्षिणी परिसर का नाम बदलने संबंधी प्रस्ताव भेजेगा। आईआईटी बीएचयू के मसले पर भी विचार
मिशन ने आईआईटी बीएचयू के मसले पर भी चर्चा की। मिशन के सदस्यों का कहना रहा कि बीएचयू में आईआईटी होना चाहिए। मगर आईआईटी को बीएचयू से अलग करना ठीक नहीं। बीएचयू के कुलपति को आईआईटी बोर्ड का अध्यक्ष होना चाहिए। इस संबंध में मिशन ने एक कमेटी का गठन किया जो अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजेगी। इस नव गठित समित की अगुवाई प्रो उपेंद्र त्रिपाठी और प्रो जेपी लाल करेंगे। मिशन की बैठक में बीएचयू के कुलपति प्रो सुधीर जैन भी मौजूद रहे।
बीएचयू के पुरा छात्र व आमजन मिल कर करेंगे विरोध इस मसले पर वाराणसी के पूर्व सांसद और बीएचयू छात्रसंघ के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ राजेश मिश्र ने पत्रिका को बताया कि इस मसले पर विश्वविद्यालय के पुरातन छात्र और आमजन मिल कर विरोध करेंगे। उन्होंने बताया कि बीएचयू के दक्षिणी परिसर की स्थापना यूपीए सरकार में हुई। उस वक्त एचआरडी मंत्री अर्जुन सिंह ने इस दक्षिणी परिसर का नामकर पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न स्व.राजीव गांधी के नाम पर किया। ये यूपीए सरकार का फैसला था और अब तक ये परंपरा रही है कि किसी भी चुनी हुई सरकार के फैसले पर दूसरी सरकार कोई रद्दोबदल नहीं करती रही है। वजह ये कि सरकार किसी की हो उसका फैसला महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन मौजूदा सरकार ने सारी परंपराओं को तोड़ दिया है। इसे केवल आरएसएस से जुड़े लोगों के नाम पर सार्वजनिक संपत्ति का नामकरण करने की आदत सी पड़ गई है। इसी के तहत शहरों का नाम बदला जा रहा है। डॉ मिश्र ने कहा कि राजीव गांधी का नाम हटाना छोटी मानसिकता का द्योतक है। कुछ करना ही है तो नया करें। नाम बदलना सरकार का काम नहीं। इसका कांग्रेस, बीएचयू के प्राचीन छात्र और आमजन विरोध करेंगे।
बनाने को कुछ है नहीं तो बदल रहे नाम बनारस हिंदू विश्वविद्यालय छात्र सघ के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि, सरकार हो या विश्वविद्यालय प्रशासन इन्हें कुछ नया तो करना नहीं है,तो नाम ही बदल कर संतोष कर रहे हैं। देश भर में यही हो रहा है। उन्होने कहा कि पहले बीएचयू प्रशासन और केंद्र सरकार का रुख देखा जाए उसके बाद ही कुछ कहा और किया जाएगा। ये आरएसएस के लोगों की विचारधारा पर क्या कहा जाए। उन्होंने कहा कि अब तो सर सुंदरलाल, बिड़ला, ठाकुर रतनपाल सिंह, शिवाजीराव गायकवाड़ आदि नाम भी हटाने होंगे। ये अच्छी सोच नहीं, राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री रहे, देश के लिए शहीद हुए। उनका नाम हटाना उचित नहीं।