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वाराणसी

…तो इसलिए मायावती ने गठबंधन तोड़ने का किया फैसला, सामने आई असली वजह

उन्होने यादव वोटरों पर गठबंधन को वोट न देने का आरोप लगाते हुए आगामी विधानसभा उपचुनाव में अलग-अलग लड़ने की बात कही है

वाराणसीJun 04, 2019 / 04:58 pm

Ashish Shukla

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…तो इसलिए मायावती ने गठबंधन तोड़ने का किया फैसला, सामने आई असली वजह

वाराणसी. यूपी में भाजपा और मोदी मैजिक को रोकने के लिए यूपी के तीन बड़े दलों ने जो गठबंधन बनाया था उसमें सबसे अधिक फायदा बसपा का रहा। सपा जहां अपने पुरानी सीट में भी ईजाफा न कर सकी तो वहीं रालोद इस बार भी लोकसभा के दरवाजे पर नहीं पहुंत पाई। बात करें बसपा की तो उसके लिए फायदा ये रहा कि जिस दल को 2014 में जनता ने एक भी सीट नहीं दिया था आज उसके पास सदन में 10 सांसद मौजूद हैं इसके बावजूद भी उन्होने यादव वोटरों पर गठबंधन को वोट न देने का आरोप लगाते हुए आगामी विधानसभा उपचुनाव में अलग-अलग लड़ने की बात कही है।
इसको लेकर जब राजनीतिक विश्लेषकों से बात की गई और इस साथ को टूटने की बात समझी गई तो उन्होने मायावती के यादव मतदाताओं के साथ न देने वाले आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। लेकिन इस टूट के पीछे की जो वजह बताई वो बेहद दिलचस्प रही।
राजनीति के जानकर डा. आरएन सिंह कहते हैं कि यादवों ने गठबंधन को वोट नहीं दिया ये कहना निराधार है। अगर ऐसा होता तो पूर्वांचल की गाजीपुर, जौनपुर, घोसी जैसी सीटों पर बसपा कभी भाजपा उम्मीदवारों को इस लहर में कभी न हरा पाती। उन्होने कहा कि सपा के लोगों ने उम्मीद से ज्यादा गठबंधन उम्मीदवारों को जिताने के लिए मेहनत किया है उसके बाद भी गैर यादव और गैर जाटव यादवों को भाजपा के साथ एकजुट होकर चले जाने से गठबंधन को हार का सामाना करना पड़ा है।
गठबंधन टूटने की असली वजह से है
राजनीति के जानकार भरत तिवारी कहते हैं कि जहां तक वो राजनीति को जानते समझते हैं उससे ये कह सकते हैं कि सपा-बसपा के साथ आने से पहले ही दोनों दलों के नेताओं को ऐसा लगा था कि वो आसानी से बीजेपी का रास्ता रोक सकते हैं। इतना ही नहीं दोनों ऐसा मानकर चल रहे थे कि वो अगर तीसरे मोर्च को बड़ी सफलता मिली तो मायावती ही पीएम के लिए मुफीद चेहरा होंगी जिसके लिए अखिलेश का पूरा समर्थन था। अखिलेश कई बार इसके संकेत भी देते थे। उधर सपा-बसपा के बीच ये भी बात चली थी कि मायवती देश की पीएम बनी तो आने वाले विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव सीएम का चेहरा होंगे और दोनों नेताओं के लिए बड़ा भविष्य हो जायेगा।
भरत तिवारी कहते हैं कि यूपी में बड़ी असफलता के बाद मायावती को लगा की वो तो पीएम बनने से रहीं ऐसे में अब 2022 के चुनाव तक वो गठबंधन जारी रखती हैं तो सीएम का चेहरा आखिर होगा कौन? ऐसे में अलग होकर यूपी की गद्दी पर काबिज होने का फार्मूला निकाला जाये। केन्द्र में भाजपा को रोकने के लिए बने गठबंधन की राह यूपी की गद्दी के लिए अलग होती नजर आ रही है।

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