पूर्वांचल की जेल कभी अपराधियों के लिए सबसे सुरक्षित पनाहगाह मानी जाती थी। अपराधी जेल में से आराम से जरायम की दुनिया चलाते थे। जेल में किसी आरोपी की गोली मार कर हत्या करने बेहद कठिन था लेकिन सुपारी किंग मुन्ना बजरंगी ने जेल की सुरक्षित पनाहगाह में सेंधमारी करने में सफलता पायी थी। मुन्ना बजरंगी के शूटर अन्नू त्रिपाठी व बाबू यादव ने सपा के पानदरीबा से पार्षद रहे वंशी यादव की 13 मार्च 2004 को जिला जेल में गोली मार कर हत्या कर दी थी। पूर्वांचल की जेल में पहली बार हुई हत्या से सियासी जगत में हड़कंप मच गया था। मुन्ना बजरंगी पर हत्या की सारी व्यवस्था व शूटरों को असलहे उपलब्ध कराने का आरोप लगा था। इसके बाद 2 मार्च 2005 को सेंट्रल जेल में अन्नू त्रिपाठी की गोली मार कर हत्या हो गयी थी। इस चर्चित हत्याकांड में किट्टू का नाम आया था लेकिन वास्तविकता थी कि भदोही से जुड़े एक चर्चित गिरोह ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया था।
यह भी पढ़े:-तो क्या अपराधियों ने इस डर से सुपारी किंग मुन्ना बजरंगी के सिर पर मारी थी गोली मुन्ना बजरंगी खुद हुआ शिकारमुन्ना बजरंगी ने पूर्वांचल की जेल में पहली बार हत्या करायी थी अब खुद जेल हत्या का शिकार हो गया। मुन्ना बजरंगी ने कभी नहीं सोचा था कि जेल में उसे गोली मार दी जायेगी। मुन्ना बजरंगी को अपनी हत्या का पहले ही अंदेशा हो गया था ओर उसने बनारस कोर्ट में याचिका देकर जान बचाने की गुहार लगायी थी। मुन्ना बजरंगी ने कोर्ट में दिये गये प्रार्थना पत्र में कहा था कि एसटीएफ उसका एनकाउंटर करना चाहती है या जेल में खाने में जहर देकर हत्या की जा सकती है। सुपारी किंग मुन्ना बजरंगी को इस बात का जरा भी अहसास नहीं था कि जिस रास्ते से उसने दूसरे को मौत दी थी उसकी मौत ने भी वही रास्ता चुना।
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