काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं.ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि मां का यह भी स्वरुप में बेहद अलौकिक होता है। माता के चार हाथ है और मां सिंह पर सवार रहती है। महागौरी बहुत दयावन होती है और भक्त की पूजा से जल्द प्रसन्न हो जाती है। माता का साधक हमेशा अभय को प्राप्त करता है वह किसी से डरता नहीं है। माता ने महादेव को पति रुप में प्राप्त करने के लिए हजारों साल तक तप किया था तप करने से माता का शरीर काला पड़ गया था। महादेव प्रकट हुए और महागौरी पर गंगा जल डाला तो उनका शरीर श्वेत हो गया। माता की खास तरह से पूजा करने से तुरंत आशीर्वाद मिल जाता है। अष्टमी के दिन स्नान करने के बाद माता की पूजा करनी चाहिए। महागौरी की प्रतिमा के सामने फल, फूल व नैवेध अर्पित करे। इसके बाद माता का सच्चे मन से ध्यान लगाना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार मां गौरी की पूजा करने से भूत, भविष्य व वर्तमान सभी के पाप खत्म हो जाते हैं। नवरात्र में पूजा करने से माता जल्द ही अपने साधकों को आशीर्वाद देती है। जीवन में आने वाली सारी बाधा दूर हो जाती है। परिवार की आर्थिक उन्नति होती है।
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