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बीजेपी के लिए इस रिपोर्ट को लागू करना आसान नहीं है। बीजेपी ने इस रिपोर्ट को लागू किया तो पटेल वर्ग को मिलने वाला आरक्षण का प्रतिशत कम हो सकता है ऐसा होने पर सबसे अधिक नुकसान अनुप्रिया पटेल को होगा। ऐसे में अनुप्रिया पटेल पहले से ही इस रिपोर्ट का विरोध कर रही है। अनुप्रिया पटेल ने पहले ही साफ कर दिया है कि बिना जातिगत जनगणना कराये इस रिपोर्ट को लागू करना सही नहीं होगा। ऐसे में बीजेपी ने ओमप्रकाश राजभर की बात मानते हुए पिछड़ों के आरक्षण में वर्गीकरण किया तो अपना दल के साथ पटेल वोटर भी बीजेपी से दूर हो सकते हैं।
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सामाजिक न्याय समिति ने पिछड़ा वर्ग को तीन भाग में बांटा है। पिछड़ा वर्ग को 27 में से 7 प्रतिशत ही आरक्षण मिलेगा। जबकि अति पिछड़ा को 11 व सर्वाधिक पिछड़ा को 9 फीसद आरक्षण देने की बात कही है। बीजेपी जानती है कि लोकसभा चुनाव 2019 में सपा व बसपा के जाति कार्ड को तोडऩे में यह रिपोर्ट बहुत काम आ सकती है लेकिन रिपोर्ट लागू करने के बाद पटेल व पिछड़ों की अन्य जाति नाराज होती है तो उसका नुकसान भी उठाना पड़ सकता है ऐसे में बीजेपी को बहुत सोच समझ कर ही निर्णय करना होगा।
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