scriptनरेन्द्र मोदी जी,बनारस आपसे नाराज है | pm modi and varanasi | Patrika News
वाराणसी

नरेन्द्र मोदी जी,बनारस आपसे नाराज है

-पीएम की संसदीय सीट होने के बावजूद नहीं बदले बनारस के दुर्दिन 

वाराणसीApr 30, 2016 / 05:54 pm

Awesh Tiwary

varanasi and pm modi

varanasi and pm modi

-आवेश तिवारी

वाराणसी-गंगा किनारे साइबेरियाई पक्षियों की चीख अब नहीं सुनाई देती,अपनी नाव किनारे लगता गौतम साहनी बताता हैं कि अब वो लौट गए हैं,वैसे भी बनारस में बसने कौन आता है,लोग आते हैं चले जाते हैं। व्यस्ततम गौदौलिया चौराहे पर सुबह के 10 बजते बजते भीड़ का आलम यह हो जाता है मानो समूचा पूर्वांचल बनारस की सड़कों पर उतर आया हो। न सिर्फ आम आदमी हांफता हुआ दिखता है बल्कि सड़कें भी हांफती है,गलियां भी हांफती है वो सिस्टम भी हांफता है जिसकी वजह से बनारसी तीन लोक से न्यारी काशी कहते हुए नहीं अघाते हैं। हाँफते दौड़ते इस शहर की नब्ज को जब हम छूने की कोशिश करते हैं तो साफ़ नजर आता है कि तमाम तानों बानों और काशी को क्योटो बनाने जैसे दावों के बावजूद काशी मोदी की नहीं हो सकी है हांलाकि मोदी काशी के हैं,यह बात उनके समर्थक और पीएम मोदी खुद भी लगातार पिछले दो साल से कह रहे हैं। 
 काशी में कैसी मुस्कराहट

मानमंदिर घाट पर श्रद्धालुओं का इन्तजार कर रहे पराशर पांडे पिछले 20 सालों से एक ही जगह गद्दी लगाए हुए हैं|पीएम मोदी का नाम सुनकर मुस्कुराते हैं फिर बिना सवाल सुने कहते हैं “कम समय मिला है उन्हें,मोदी जी को और समय मिलता तो कुछ करके दिखाते। हम पूछते हैं विधानसभा चुनाव जल्द ही होने वाले हैं क्या लगता है मोदी जी की वजह से पूर्वांचल और बनारस में भाजपा को फायदा मिलेगा?अगले ही पल पांडे जी का जवाब मिलता है “देखिये भाई साहब ,पढ़े लिखे लोग तो मोदी जी को वोट देंगे,वो समय वाली बात समझ भी रहे हैं,लेकिन रोज कमाने खाने वाले अब मोदी जी के साथ नहीं जायेंगे”। क्यूँ नहीं जायेंगे मैं तपाक से पूछता हूँ। पांडे जी भी ईमानदारी से कहते हैं “एक बार बनारस घूम आइये,मुस्कुराना भूल जायेंगे “। 
गंदगी और जाम से थका हुआ शहर

जब हम पीएम मोदी से बनारस की नाराजगी की वजह ढूँढने की कोशिश करते हैं तो उसका जवाब हमें समूचे शहर में पसरे जाम और उससे जूझ रही जनता से मिलता है। दवा मंडी में काम कर रहे राजू कहते हैं समूचा बनारस एक पिंजरे जैसा हो गया है,जिसमे घुसने के बाद निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है। पीएम मोदी जब बनारस से विजयी हुए तो इस बात की सभी को उम्मीद थी कि भीड़ से लड़ रहे शहर को कुछ आराम मिलेगा,कम से कम कुछेक सड़कों को चौड़ी करके कुछेक नई सडकों का निर्माण करके शहर को जाम से मुक्ति दिलाने की कोशिश की जाएगी|बनारस के व्यस्ततम इलाकों में पार्किंग का इंतजाम करके भी स्थिति काफी हद तक बदली जा सकती थी, लेकिन वास्तविक जमीन पर कुछ न हुआ। नृत्य शिक्षक प्रशस्ति कहती है कि मोदी जी के आने के बाद यहाँ का पर्यटन उद्योग भी प्रभावित हुआ है,लोग भीड़ और गंदगी की वजह से यहाँ आने से डरते हैं । 
सवाल नियत और संवेदनशीलता का

लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को वोट देने वाला बनारस का मतदाता अपनी मुश्किलों से निजात पाने के लिए अब राज्य सरकार का मुंह नहीं देखता, अपनी सीरत के हिसाब से बनारस शहर और बनारसियों को सारे जवाब पीएम से चाहिए| चाहे वो गंदगी का मसला हो,सड़कों का हों,या फिर पानी का जो आजकल दुर्भाग्य से इन गंगा किनारे रहने वालों की किस्मत में भी पैबंद की तरह लग गया है|पेंटर और कवि धीरेन्द्र उदास मन से कहते हैं कि पीएम मोदी बनारस शहर को लेकर संवेदनशील नहीं है। उनके पीएम बनने के बाद जो भी योजनायें बनाई गई वो दीर्घकालीन योजनायें है। जबकि बनारस की जनता ने तो अन्य राजनैतिक दलों से थक हारकर मोदी को चुनाव जितवाया था|धीरेन्द्र कहते हैं यह शहर स्मार्ट सिटी और हाईटेक शहर हो इसे पहले जरुरी है बनारस, बनारस हो,इसके लिए नियत होनी चाहिए। 
बनारसियत को बदलने की कोशिशें

मोदी जी के राज में बनारस की बनारसियत को भी बदलने की कोशिश की जा रही है। घाटों के किनारे लगी रोशनियों को बिजली की बचत के नाम पर हटाकर उनकी जगह सफ़ेद रोशनी लगा दी गई,सुनते हैं कि घाटों को एक ही रंग में रंगने का नया फरमान आया है। शहर के मल्लाह इससे बेहद नाराज हैं,उनका कहना है कि गंगा की सफाई की जगह यह नए –नए तरीके आजमाने से अब पर्यटक शाम को घाट किनारे कम आते हैं । दशाश्वमेघ घाट पर एक दूकान चलाने वाले राजेश कहते हैं कि मोदी जी के यहाँ से जीतने के बाद केवल एक चीज हुई है कि लोग घाट किनारे गंदगी करने से गुरेज करते हैं,घाट साफ़ भी हुए हैं ,लेकिन गंगा जस की तस है, बनारस शहर वैसे ही गंदगी के ढेर पर बैठा है जैसे पहले बैठा था। 
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो