प्रधानमंत्री ने अपने 21 मिनट के संबोधन में कहा कि जब मैं 2014 में बनारस से चुनाव लड़ने आया था तब सुना था कि बुनकर कहते थे कि हमारा कारोबार तो चौपट हो गया है। हमारे लड़के दूसरे शहर में जा कर नौकरी करना चाहते हैं। मैने सोचा कि अगर ऐसा होता है तो पुश्तों से चली आ रही कलाकारी का वजूद ही मिट जाएगा। तभी मैंने यह तय किया था कि इनके लिए कुछ न कुछ करना है। इनकी कला को वैश्विक बाजार देना है। इसी उद्देश्य से हमने यहां ट्रेड फेसिलिटी सेंटर की आधारशिला रखी। पीएम यहां फिर विपक्ष की चुटकी लेने से बाज नहीं आए, कहा कि मैं जिस परियोजना का शिलान्यास करता हूं उसका उद्घाटन भी मैं ही करता हूं। उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल्स मंत्रालय ने 300 करोड़ से जिस ट्रेड फेसिलिटी सेंटर का निर्माण कराया है वह केवल एक इमारत नहीं है। यह भारत के सामर्थ्य का परिचायक है। इससे भविष्य के नए दरवाजे खुलेंगे। प्रधानमंत्री ने बनारस के टैक्सी वालों और रिक्शा वालों से अपील की कि जो भी देशी विदेश पर्यटक बनारस आए उसे इस दीन दयाल हस्तशिल्प संकुल जरूर लाएं। उसे दिखाएं। जो यहां आएगा वह कुछ न कुछ तो जरूर खरीदेगा। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। दुनिया काशी के सामर्थ्य को जानेगी। यह नए आर्थिक गतिविधि का केंद्र बनेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को अपने पन का एहसास भी कराया जब उन्होंने अपना संबोधन ही इससे शुरू किया, ‘मेरे बनारस के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों’। उनके इस संबोधन पर डॉ अम्बेडकर क्रीड़ा संकुल का मैदान तालियों से गूंज उठा। पीएम ने कहा, मेरा सपना पूर्वी उत्तर प्रदेश का विकास करना है, पूर्वी भारत का विकास करना है। कहा कि दशकों बाद बनारस में इतनी बड़ी परियोजना का सपना साकार हो रहा है। यही नहीं दो-दो पुलों का लोकार्पण हो रहा है जो कितने समय से लटकी थी। अब विकास के नए दरवाजे खुल गए हैं। यह स्वर्णिम अवसर है। उन्होंने बुनकरों की चर्चा करते हुए कहा कि जिन हाथों में ऐसे हुनर हैं, उनका प्रदर्शन तो होना चाहिए न, अन्यथा ये तो, ‘जंगल में मोर नाचा किसने देखा’ टाइप का मामला है। कहा कि पूर्व की सरकारों ने इनके ऊपर तनिक भी ध्यान नहीं दिया। इन्हें कभी भी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर लाने की कोशिश नहीं की। कहा कि छोटे-छोटे बुनकरों, शिल्पकारों को वैश्विक बाजार नहीं तो आर्थिक गतिविधि थम जाती है। पीएम ने कहा कि हमारा लक्ष्य समाज के सभी तबकों का सशक्तिकरण है।
पीएम ने बनारस से बड़ोदरा के बीच महामना एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखा कर रवाना भी किया। इसे लेकर वह तीन साल पहले के दौर में खो गए। कहा कि 2014 में मैंने वाराणसी के साथ बड़ोदरा से भी चुनाव लड़ा था दोनों ही जगह की जनता ने भारी मतों से जिताया। लेकिन मैने सोचा बड़ोदरा के विकास के लिए तो बहुत लोग हैं, मैंने काशी के विकास को चुना। अब रेलवे ने काशी से बड़ोदरा को जोड़ दिया है। उन्होंने रेलवे मंत्रालय और रेल मंत्री पीयूष गोयल व मनोज सिन्हा को इसके लिए बधाई दी। कहा कि बड़ोदरा भी सांस्कृतिक नगरी है, विद्या का धाम है। काशी तो सांस्कृतिक नगरी है ही और यह भी विद्या का धाम है। ऐसे में अब यह महामना एक्सप्रेस दो सांस्कृतिक नगरियों को एक करेगी। महामना एक्सप्रेस से आर्थिक गतिविधि को गति मिलेगी। पीएम ने कहा हम 20-20, 25-25 साल से लटकी योजनाओं का काम पूरा कर रहे हैं। भारत बदल रहा है, पूर्वी उत्तर प्रदेश व पूर्वी भारत को भी बदलना है। पूरे देश का सामाजिक जीवन स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर बदलना है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने बुनकरों, गरीब महिलाओं और बच्चों को सोलर किट व किताबें वितरित कीं। इसमे बबुआ मौर्य, मीरा देवी, इमरान न, कुशल कुमार, अंजुम पटेल, यामीन, अनुमेश आदि प्रमुख थे।
इस मौके पर केंद्रीय टेक्सटाइल्स मंत्री स्मृति इरानी, टेक्सटाइल्स राज्य मंत्री अजय टमटा, राज्यपाल रामनाइक, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय आदि मौजूद रहे।