बीजेपी को फिर से बहुमत पाना है तो यूपी में जबरदस्त प्रदर्शन करना होगा। बीजेपी यह बात जानती है यदि राहुल गांधी, मायावती व अखिलेश यादव का महागठबंधन बन जाता है तो बीजेपी की राह कठिन हो सकती है। ऐसे में बीजेपी नहीं चाहेगी कि पीएम नरेन्द्र मोदी की चुनावी सीट की अधिकारिक घोषणा करके विरोधी दलों को पीएम नरेन्द्र मोदी को घेरने की रणनीति बनाने का मौका दिया जाये।
बीजेपी ने वर्ष 2014 में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी को बनारस से चुनाव लड़ा कर यूपी की 80 में से 71 सीटों पर कब्जा किया था। बीजेपी इसी रणनीति पर फिर काम कर रही है, जिसके बाद ही राज्य व सीट का चयन करके पीएम नरेन्द्र मोदी को चुनाव लड़ाया जायेगा। इसके चलते ही बीजेपी अभी पीएम मोदी की चुनावी सीट का खुलासा नहीं किया है।
पीएम नरेन्द्र मोदी ने सीट की जानकारी नहीं देकर एक से अधिक सीट पर चुनाव लडऩे का विकल्प खुला रखा है। वर्ष 2014 में पीएम नरेन्द्र मोदी ने वडोदरा व बनारस दोनों ही जगह से चुनाव लड़ा था। पीएम नरेन्द्र मोदी ने जब से गुजरात छोड़ा है तब से वहां पर बीजेपी की स्थिति बहुत कमजोर हो गयी है, ऐसे में सभी समीकरणों को ध्यान में रख कर पीएम नरेन्द्र मोदी की संसदीय सीट का चयन किया जायेगा।
पीएम नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के पहले अध्यादेश नहीं लाने की बात कहते हुए बीजेपी में घमासान मचा दिया है। बीजेपी सूत्रों की माने तो लोकसभा चुनाव 2019 में राम मंदिर का मुद्दा पार्टी के लिए हार व जीत दोनों का ही कारण बन सकता है। ऐसे में इस मुद्दे को भुनाने या फिर पार्टी के लिए नुकसान कम करने में भी पीएम नरेन्द्र मोदी की सीट कारगर साबित हो सकती है।
सपा, बसपा व कांग्रेस के संभावित महागठबंधन ने अभी सीटों को लेकर अधिकारिक खुलासा नहीं किया है। ऐसे में बीजेपी किसी तरह की जल्दीबाजी नहीं करने वाली है। बीजेपी चाहती है कि यह तय हो जाये कि सपा व बसपा के साथ कितने दल जुड़े हैं और उन्हें कितनी सीटे मिली है। यूपी की किस सीट से महागठबंधन का कौन सा दल चुनाव लड़ेगा। यह तय हो जायेगा तो बीजेपी को जाति व धर्म के आधार पर अपनी रणनीति बनाने में मदद मिलेगी। इसके बाद पीएम नरेन्द्र मोदी की चुनावी सीट की घोषणा हो सकती है।