आम तौर पर नगर निगम चुनाव में प्रत्याशी की पहचान भी काम आती थी। इस बार ऐसा नहीं है। अधिकांश वार्ड में नये प्रत्याशी चुनावी मैदान में है। नगर निगम चुनाव के लिए अब अधिक समय भी नहीं बचा है इसलिए प्रत्याशी सभी मतदाताओं तक अपनी पहचान नहीं बना पायेंगे। मतदान के दिन तक मतदाताओं को सभी प्रत्याशी का नाम याद रहेगा। इस पर भी संशय है। ऐसे में मतदान देते समय मत मतदाताओं को प्रत्याशी के नाम की जगह पार्टी का सिंबल ही वोट देने का आधार बनेगा।
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बागी पहुंचायेंगे सभी दलों को नुकसान
बागी प्रत्याशी से सभी दलों को नुकसान पहुंचना तय है। बागी प्रत्याशियों की अपनी क्षेत्र में एक पहचान होती है और इसी पहचान के आधार पर ऐसे प्रत्याशियों ने विभिन्न राजनीतिक दलों से टिकट मांगा था, लेकिन किन्हीं कारणों से उनका टिकट कट गया है। ऐसे लोगों ने अब अपने ही पार्टी के प्रत्याशियों को पटखनी देने की तैयारी की है। ऐसे बागी अपने खास लोगों से पार्टी के विरोध में मतदान करने में जुट गये हैं।
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बागी प्रत्याशी से सभी दलों को नुकसान पहुंचना तय है। बागी प्रत्याशियों की अपनी क्षेत्र में एक पहचान होती है और इसी पहचान के आधार पर ऐसे प्रत्याशियों ने विभिन्न राजनीतिक दलों से टिकट मांगा था, लेकिन किन्हीं कारणों से उनका टिकट कट गया है। ऐसे लोगों ने अब अपने ही पार्टी के प्रत्याशियों को पटखनी देने की तैयारी की है। ऐसे बागी अपने खास लोगों से पार्टी के विरोध में मतदान करने में जुट गये हैं।
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मेयर पद पर भी काम आयेगा पार्टी का सिंबल
मेयर पद पर भी पार्टी का ही सिंबल काम आयेगा। सपा, बसपा, बीजेपी व कांग्रेस सभी दलों के मेयर पद के प्रत्याशी नये हैं। सभी प्रत्याशियों का परिवार भले ही राजनीति से जुड़ा है, लेकिन प्रत्याशियों की खुद की बड़ी पहचान है ऐसे में पार्टी का सिंबल ही प्रत्याशियों के हार व जीत का कारण तय करेगा।
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