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वाराणसी

केंद्र सरकार की नीति के खिलाफ बिजली कर्मचारी और अभियंताओं का हड़ताल का ऐलान

इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंड बिल का विरोध और पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की है मांग।

वाराणसीNov 27, 2018 / 02:32 pm

Ajay Chaturvedi

पॉवर सेक्टर

पॉवर सेक्टर

वाराणसी. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2018 के विरोध और पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। देश भर के बिजली कर्मचारी और अभियंता अगले वर्ष आठ व नौ जनवरी को हड़ताल पर रहेंगे।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने पत्रिका को बताया कि मंगलवार को बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं के सम्मेलन में यह सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया गया। बताया कि नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एवं इंजीनियर्स (एन सी सी ओ ई ई ई) ने पहले ही केंद्र सरकार को सूचित कर दिया है कि बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों की उक्त समस्याओं का समाधान न हुआ तो देश भर के तमाम 15 लाख बिजली कर्मचारी व इंजीनियर 08 व 09 जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे। संघर्ष समिति ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि केंद्र सरकार ने संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2018 को जबरिया पारित कराने की कोशिश की तो तमाम बिजली कर्मचारी व अभियंता बिना और कोई नोटिस दिए उसी समय लाईटनिंग हड़ताल पर चले जाएंगे।
उन्होंने बताया कि बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं के प्रांतीय सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में मुख्य रूप से इन मांगों को लेकर दो दिन की हड़ताल का निर्णय लिया गया।
बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं की मांगें


1- बिजली निगमों का एकीकरण कर उप्र राज्य विद्युत परिषद निगम लिमिटेड का पुर्नगठन करना

2- इलेक्ट्रिीसिटी अमेंडमेंट बिल 2018 को वापस लिया जाना

3-आगरा फ्रेन्चाईजी तथा ग्रेटर नोएडा का बिजली का निजीकरण निरस्त किया जाना
4- सरकारी क्षेत्र के ताप बिजली घरों का नवीनीकरण व उच्चीकरण

5-निजी घरानों से मंहगी बिजली खरीदने के लिए सरकारी क्षेत्र के बिजली घरों के बंद करने की नीति वापस लेना

6- बिजली कर्मियों की वेतन विसंगतियों का द्विपक्षीय वार्ता द्वारा तत्काल समाधान किया जाना
7-वर्ष 2000 के बाद भर्ती हुए सभी कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन प्रणाली लागू किया जाना
8- सभी श्रेणी के रिक्त पदों पर नियमित भर्ती करना और संविदा, ठेकेदारी प्रथा समाप्त कर संविदा कर्मियों को तेलंगाना सरकार के आदेश की तरह नियमित किया जाना

उन्होंने बताया कि प्रस्ताव में कहा गया है कि इलेक्ट्रिीसिटी अमेंडमेंट बिल 2018 एवं नेशनल टैरिफ पॉलिसी के अधिकांश प्रावधान जन विरोधी हैं लेकिन इनमें सबसे घातक विद्युत आपूर्ति को विद्युत वितरण से अलग कर निजी
कंपनियों को विद्युत आपूर्ति के लाइसेंस देना है। कुछ अत्यन्त प्रमुख जन विरोधी प्राविधान निम्नवत है:-

1-राज्य सरकार विद्युत पारेषण व वितरण का नेटवर्क बनायेगी व इसका रखरखाव करेगी। नेटवर्क बनाने व रखरखाव करने पर राज्य सरकार अरबों रूपये खर्च करेगी और बिना एक भी पैसा खर्च किये इस नेटवर्क के जरिये बिजली आपूर्ति कर निजी कंपनियां भारी मुनाफा कमाएंगी। स्वाभाविक तौर पर पारेषण व वितरण के नेट वर्क का खर्च उपभोक्ता पर डाला जायेगा जबकि मुनाफा निजी कम्पनियों की जेब में जाएगा।
2-नई व्यवस्था में यूनिवर्सल सप्लाई आब्लीगेशन अर्थात सबको बिजली देने की बाध्यता केवल सरकारी कंपनी की होगी जबकि निजी कंपनियों को छूट होगी कि वे अपने मनमाफिक मुनाफा कमाने वाले औद्योगिक व व्यावसायिक उपभोक्ताओं को ही बिजली दें और घाटे वाले ग्रामीण व घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली कनेक्शन न दें। स्वाभाविक तौर पर इस प्रकार सरकारी आपूर्ति कंपनी घाटा उठाने वाली कंपनी बन कर रह जाएगी।
3-टैरिफ पालिसी के आर्टिकल 61 डी में लिखा है कि अब हर श्रेणी के उपभोक्ता से बिजली की पूरी लागत वसूल की जाएगी अर्थात जहां उपभोक्ता के लिए बिजली मंहगी हो जाएगी वहीं निजी आपूर्ति कंपनियों को कोई नुकसान नहीं होगा। स्पष्टतया यह परिवर्तन निजी घरानों के हित में किया जा रहा है जो उपभोक्ता विरोधी है।
-इस संशोधन के बाद उप्र में किसानों व आम उपभोक्ताओं को 10 रुपये प्रति यूनिट से कम पर बिजली नहीं मिलेगी। स्पष्टतया इतनी मंहगी दरों पर किसान बिजली नहीं खरीद पाएगा जिसका दुष्परिणाम खाद्यान्न के उत्पादन पर पड़ेगा और एक बार पुनः देश 1965 के पहले के खाद्यान्न आयात (पी एल 480) के युग में पहुंच जाएगा जो देश के लिए अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण होगा।
4-नई नीति के तहत सब्सिडी व क्रास सब्सिडी शनैः शनैः तीन साल में समाप्त कर दी जाएगी। ध्यान रहे लागत से कम मूल्य पर किसानों, गरीबों और घरेलू उपभोक्ताओं को दी जाने वाली बिजली सब्सिडी नीति के अन्तर्गत आती है जिसके घाटे की आंशिक भरपाई वाणिज्यिक व औद्योगिक उपभोक्ताओं को लागत से अधिक मूल्य पर दी जाने वाली बिजली से की जाती है। इसे क्रास सब्सिडी कहा जाता है। क्रास सब्सिडी समाप्त होने से वाणिज्यिक व औद्योगिक उपभोक्ताओं की बिजली जहां सस्ती हो जाएगी वहीं सब्सिडी समाप्त होने से आम लोगों की बिजली मंहगी हो जाएगी। इस प्रकार यह संशोधन आम उपभोक्ता विरोधी व उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने वाला है।
5-स्मार्ट मीटर लगाने के नाम पर बड़े घोटाले की तैयारी हो रही है। स्मार्ट मीटर बनाने वाली कंपनियों के साथ मिली-भगत में भारी लूट होगी जबकि आम उपभोक्ता पर अनावश्यक बोझ डाला जाएगा। दुनियां के अनेक विकसित देशों में आज भी सामान्य बिजली मीटर से ही सफलतापूर्वक कार्य चल रहा है।
6-वर्तमान नीति के अनुसार इलेक्ट्रिीसिटी एक्ट 2003 के आर्टिकल 61(प) में लिखा है जिसका तात्पर्य है कि टैरिफ तय करने में केंद्र व राज्य के विद्युत नियामक आयोग राष्ट्रीय विद्युत नीति व टैरिफ नीति से मार्गदर्शन लेते हुए बिजली की दरें निर्धारित करेंगे। नए संशोधन में लिखा गया है संशोधन के अनुसार केंद्र व राज्य के नियामक आयोग राष्ट्रीय टैरिफ नीति का पालन करने के बाध्य होंगे। यह एक प्रकार से नियामक आयोगों की स्वायत्तता में सीधी दखलंदाजी है और उपभोक्ता विरोधी है।

दुबे ने बताया कि बिजली संविधान में समवर्ती सूची में है और राज्य का विषय है। नए संशोधन के बाद बिजली आपूर्ति में केंद्र की सीधी दखलंदाजी होगी जो राज्यों के अधिकार क्षेत्र का हनन है। इस प्रकार नया संशोधन राज्यों के हितों के विपरीत है।
राज्य विद्युत परिषद संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक

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