पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय पर कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन
वाराणसी. निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने सोमवार से शुरू किया प्रदेश व्यापी आंदोलन। पहले चरण में कर्मचारियों ने जिला स्तरीय मुख्य कार्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन किया। वाराणसी में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय पर कर्मचारियों ने शक्ति प्रदर्शन कर ताकत का एहसास कराया। इस मौके पर कर्मचारियों ने प्रबन्धन पर सरकार को गुमराह करने का आरोप लगाया। साथ ही चेताया कि अगर हफ्ते भर में निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया जाता तो 27 मार्च को प्रान्तव्यापी कार्य बहिष्कार करेंगे।
विद्युत वितरण के निजीकरण के फैसले के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र के आह्वान पर कर्मचारयों ने ऊर्जा विभाग व पावर कारपोरेशन के प्रबन्धन के आला अधिकारियों पर बिजली सुधार के मामले में प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्य नाथ को गुमराह करने का आरोप लगाया। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि एक ओर तो प्रदेश सरकार एक साल की अवधि पूरी होने पर उपलब्धियों का जश्न मना रही है जिसमें बिजली के क्षेत्र में सुधार की उपलब्धियां बहुत महत्वूपर्ण हैं। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने बयान देकर कहा है कि एक साल में बिजली की व्यवस्था में भारी सुधार हुआ है और इसी सुधार के चलते जिला मुख्यालयों पर 24 घंटे, तहसील मुख्यालयों पर 20 घंटे और गांव में 18 घंटे अबाध बिजली दी जा रही है। उन्होंने कहा है कि एक वर्ष में ग्रामीण क्षेत्र में 21 प्रतिशत, तहसीलों में 17.7 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 9.1 प्रतिशत बिजली आपूर्ति में वृद्धि हुई है। एक वर्ष में 238990 खराब ट्रांसफार्मर बदले गये हैं और 14316 नए ट्रांसफार्मर लगाए गए है, 32.77 लाख नए बिजली कनेक्शन दिए गए हैं, 57036 मजरों में बिजली पहुंचायी गई है और 11.60 लाख बीपीएल परिवारों को निशुल्क कनेक्शन दिए गए हैं।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री द्वारा जारी किये गये आंकड़े पूरी तरह सत्य हैं ऐसे में जब सरकार की ही दृष्टि में बिजली के क्षेत्र में उत्साहजनक सुधार हो रहा है तब सुधार के नाम पर प्रदेश के सबसे प्रमुख पांच शहरों जिसमें प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र वाराणसी, मुख्यमंत्री का संसदीय क्षेत्र गोरखपुर और प्रदेश की राजधानी लखनऊ जो देश के गृहमंत्री का संसदीय क्षेत्र भी है शामिल है की बिजली व्यवस्था के सुधार के नाम पर निजीकरण किया जाना सरकार के सुधार के दावों के सर्वथा विपरीत है। उन्होंने इसे जनता के साथ सरासर धोखा करार दिया। संघर्ष समिति ने विरोध सभाओं के माध्यम से मुख्यमंत्री का ध्यानाकर्षण करते हुए उनसे एक बार पुनः अपील की है कि निजीकरण का फैसला व्यापक जनहित में वापस लिया जाय और ऊर्जा विभाग व पावर कारपोरेशन के गुमराह करने वाले आला अधिकारियों को तत्काल उनके पद से हटाया ताकि ऊर्जा क्षेत्र में अनावश्यक टकराव न हो।
संघर्ष समिति ने निजीकरण के फैसले को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि बिजली के क्षेत्र में देश में निजीकरण पूरी तरह विफल हो चुका है और खास करके उप्र में आगरा व ग्रेटर नोएडा के निजीकरण के चलते पावर कारपोरेशन को अरबों खरबों रूपये की क्षति उठानी पड़ रही है। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के फैसले पर आगे बढ़ने के पहले उप्र सरकार को पूर्ण निष्पक्षता से आगरा व ग्रेटर नोएडा में निजीकरण के नाम पर हुए घोटालों की निष्पक्ष समीक्षा करनी चाहिए। संघर्ष समिति ने यह भी कहा है कि यदि इसी प्रकार आला आईएएस अधिकारी सरकार को गुमराह करते रहे और कर्मचारियों की न्यायोचित आवाज न सुनी गयी तो संघर्ष समिति आम जनता के बीच जायेगी और निजीकरण के पीछे के घोटालों का सच उजागर करेगी।
संघर्ष समिति के आह्वान पर वाराणसी ही नहीं बल्कि गोरखपुर, मेरठ, मुरादाबाद, लखनऊ, आजमगढ़, इलाहाबाद, मिर्जापुर, अनपरा, ओबरा, पिपरी, कानपुर, पनकी, झांसी, पारीछा , बांदा, फैजाबाद, गोण्डा, बस्ती, बरेली, गाजियाबाद, सहारनपुर, अलीगढ़, हरदुआगंज, आगरा और अन्य सभी जनपदों में बिजली कर्मचारियों व अभियन्ताओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और निजीकरण के फैसले के विरूद्ध अपना आक्रोश व्यक्त किया है।
भिखारीपुर स्थित पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय पर मुख्य अभियंता डीके सिंह की अध्यक्षता में हुए प्रदर्शन में आरआर प्रसाद, मायाशंकर तिवारी, एआर वर्मा, केदार तिवारी, शिवाजी सिंह, जीउत लाल, रत्नेश सेठ, अनिल वर्मा, एके श्रीवास्तव, सुनील कुमार यादव, जगदीश पटेल, अरुण यादव, चंद्रशेखर चौरसिया, आरबी सिंह, आरके यादव, ओपी सिंह, नीरज पांडेय, मनोज गुप्ता, तपन हलदर, आरबी मिश्रा, अंकुर पांडेय, मनीष झा, सर्वेश शुक्ला, एपी श्रीवास्तव, संजय तिवारी, एके सिंह, मदन श्रीवास्तव, मनीष श्रीवास्तव, ओम प्रकाश आदि शामिल रहे। संचालन आरके वाही ने किया।
उधर लखनऊ में शक्तिभवन मुख्यालय पर हुई बड़ी विरोध सभा को समिति के प्रमुख पदाधिकारियों शैलेन्द्र दुबे, राजीव सिंह, गिरीश पांडेय, सद्रूद्दीन राना, सुहैल आबिद, विपिन प्रकाश वर्मा, राजेन्द्र घिल्डियाल, परशुराम, पी एन तिवारी, महेन्द्र राय, शशिकान्त श्रीवास्तव, करतार प्रशाद, केएस रावत, आर एस वर्मा, मो इलियास, कुलेन्द्र प्रताप सिंह, ए के श्रीवास्तव, पवन श्रीवास्तव, शम्भू रत्न दीक्षित ने संबोधित किया।
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