मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी ने बताया कि अभी तेलुगु, उड़िया और बांग्ला भाषा में भी हिंदी उदघोषणाओं के स्वचालित अनुवाद पर काम चल रहा है. प्रथम चरण में इस प्रणाली को इलाहाबाद जंक्शन स्टेशन पर प्लेटफार्मों पर और यात्री आश्रयों में 14 जनवरी से प्रारंभ कर दिया गया है।
द्वितीय चरण में इसे 21 जनवरी को दूसरे मुख्य स्नान दिवस से पहले नैनी और इलाहाबाद छिवकी स्टेशनों के साथ-साथ संगम क्षेत्र (रेलवे कैंप) में भी इसे प्रारंभ करने की योजना है. गैर-हिंदी भाषी यात्रियों के मध्य स्टेशन पर अपने परिजनों का पता लगाने में मदद करके यह प्रणाली पहले ही अपनी उपयोगिता साबित कर चुकी है।
सीपीआरओ का कहना है कि भविष्य में उत्तर मध्य रेलवे के अधिकारी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एक फेस टू फेस इन्क्वायरी सिस्टम विकसित करने की योजना बना रहे हैं, जिसका उपयोग गैर-हिंदी भाषी यात्रियों द्वारा स्टेशनों के पूछताछ काउंटर पर काम करने वाले कर्मियों से उनके सवालों के जवाब पाने के लिए किया जा सकेगा।
रेलवे का दावा है कि इस तरह की यात्री सूचना प्रणाली यात्री सुविधाओं के क्षेत्र में ‘गेम चेंजर’ साबित होगी। हर साल बड़ी संख्या में और खासतौर पर प्रत्येक कुंभ और अर्द्ध कुंभ या इस जैसे मेलों में बड़ी तादाद में पवित्र नगर प्रयागराज आने वाले यात्रियों को सुविधा होगी। इसकी उपयोगिता के आधार पर निकट भविष्य में उन रेलवे स्टेशनों पर भी इसका विस्तार किया जाएगा जहां स्थानीय भाषाओं की समझ रखने वालों के साथ दूसरी स्थानीय भाषाओं को समझने वाले यात्री पहुंचते हैं। ज्यादातर धार्मिक स्थलों से कनेक्टेड रेलवे स्टेशनों के लिए यह लाभदायी हो सकती है।