मुफ्ती हारून रशीद नक्शबंदी ने बताया कि चांद को लेकर बिहार, बंगाल और उड़ीसा आदि क्षेत्रों का सबसे बड़ा सेंटर है पटना का इमारते शरिया। दूसरी ओर दिल्ली है जहां से उस इलाक के चांद की सूचनाएं मिलती हैं। दिल्ली की सूचनाएं लखनऊ को जल्दी मिल जाती हैं, जिसके चलते वहां फिरंगी महल से ऐलान हो जाता है। दूसरी ओर इमारते शरिया का क्षेत्र वाराणसी तक लग जाता है। यहां से लगातार सूचनाएं मिलती रहती हैं।
बताया कि रमजान मं अगर कोई एक आदमी भी चांद देख ले और वह शहादत (गवाही) के मेयार पर पूरा उतरता हो तो उसकी बात पर यकीन किया जा सकता है। ज्यादातर कम से कम दो शहादतें चांद के ऐलान के लिये जरूरी होती हैं। पर अगर आसमान साफ है तब उस वक्त दो आदमी की शहादत भी काफी नहीं होगी, जब तक कि मुसलसल (निरंतर) खबरें न मिलती रहें।
साढ़े 15 घंटे से भी लंबा होगा रोजा
इस बार रमजान के रोजे रोजेदारों के सब्र का इम्तिहान लेंगे। मई में रमजान का रोजा 15 घंट 35 मिनट का होगा। पहला रोजा 6.43 बजे शाम के आस-पास खोला जाएगा। (दूसरे जिलों में दो से चार मिनट ईधर उधर हो सकता है) जबकि पहले रोजे की सहरी 3.33 बजे के आस-पास रहेगी। बताया जा रहा है कि करीब 36 साल बाद रमजान उसी मौसम में फिर से पहुंचा है। चूंकि इस्लामिक कैलेंडर में 29 और 30 दिन के महीने होते हैं तो दूसरी ओर अंग्रेजी माह 30 और 31 दिन के होते हैं। ऐसे में स्लामिक कैलेंडर में 10 दिन का अंतर होता है अंग्रेजी कैलेंडर से।