वाराणसी

ससुराल में पारंपरिक गीतों से हुआ काशी विश्वनाथ का स्वागत, हाजी गयासुद्दीन की यह राजशाही पगड़ी पहन कर गवना को निकलेंगे बाबा

बाबा विश्वनाथ और राजसी वस्त्र सिल कर पहुंच गए, राजसी साफा भी तैयार, आ गई गौरा की चुनरी।

वाराणसीFeb 25, 2018 / 09:30 pm

Ajay Chaturvedi

बाबा विश्वनाथ का गौना फाइल फोटो

डॉ अजय कृ्ष्ण चतुर्वेदी
वाराणसी. रंग भरी एकादशी (अमला एकादशी) पर मां गौरा का गवना कराने के लिए बाबा विश्वनाथ ससुराल पहुंच गए। राजा हिमालय के द्वार पर उनका परंपरागत गीतों से भव्य स्वागत किया गया। चारों दिशाओं में मंगल गीतों की गूंज रही। अब बस कुछ ही घंटों पर औघड़दानी भोले राजसी ठाट-बाट संग गौरा का गवना करा कर निकलेंगे कैलाश की ओर। काशी वासियों को उसी पल का इंतजार है। वो बाबा का दर्शन लाभ अर्जित करने के साथ ही उनके साथ होली खेलेंगे और इसके साथ ही शुरू हो जाएगा होली का हुड़दंग।
बाबा विश्वनाथ की राजशाही पगड़ी
बाबा विश्वनाथ का शिवाला, सिंहासन और रजत पालकी तो पहले ही तैयार हो गई थी। सभी चमचमा रहे हैं। अब हाजी गयासुद्दीन ने बाबा का राजशाही साफा भी महंत आवास पहुंचा चुके हैं और किशनराज दर्जी खादी की रानी रंग की बगलबंदी भी। खादी की धोती भी आ गई है और गौरा के लिए गुलाबी साड़ी और चुनरी भी पहुंच चुकी है। बता दें कि हाजी गयासुद्दीन कई साल से बाबा के लिए राजशाही साफा तैयार कर मुफ्त भेंट करते हैं। बस इंतजार है तो गौना बारात निकलने भर की। महंत डॉ कुलपति तिवारी ने पत्रिका को बताया कि बाबा की एक महिला दर्शनार्थी ने बहुत दुःख के साथ यह याचना की थी कि बाबा को जो वस्त्र धारण कराए जाते हैं वह काशी शिल्क है, मैं चाहूंगी कि इसकी जगह बाबा को खादी का वस्त्र धारण कराया जाए। उम्मीद करती हूं कि अगली बार आऊं तो खादी वस्त्र में ही बाबा को देखूं। महिला दर्शनार्थी स्वरूप रानी ने 1930 में यह नोट मंदिर की डायरी में लिखा था। उसके बाद से ही बाबा को खादी वस्त्र ही धारण कराया जाने लगा।
 

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मां गौरा की साड़ी
इस मौके पर महंत डॉ कुलपति तिवारी के आवास पर हर्षोल्लास का माहौल है। परंपरागत सगुन के गीत गाए जा रहे हैं। कलाकारों का जमघट लग गया है। पारंपरिक मांगलिक गीतों से माहौल बिल्कुल खुशनुमा हो चुका है। हर्बल अबीर गुलाल भी पहुंच गया है महंत आवास पर। महंत डॉ तिवारी के अनुसार बाबा के लिए राजशाही टोपी, मां गौरा की गुलाबी साड़ी और जेवर आदि तैयार हो चुके हैं। फल व मिष्ठान्न भी तैयार है। अब तो सोमवार की सुबह सविधि पूजन-अर्चन के बाहर आवास पर ही रजत प्रतिमा का दर्शन शुरू हो जाएगा जो अनवरत शाम तलक जारी रहेगा। शाम पांच बजे रजत पालकी पर सवार हो कर काशी पुराधिपति सपरिवार भक्तों को दर्शन देने और खुद उनका दर्शन करने निकलेंगे। अबीर-गुलाल संग होली होगी। इसके साथ ही वह भक्तों को होली खेलने की इजाजत देंगे।
 

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