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वाराणसी

रामनगर पालिका परिषद- रेखा शर्मा ने दी दो बड़े घरानों को करारी शिकस्त

जिसे पार्टी से निकाला उसने तीसरी बार जीत दर्ज कर पार्टी के निर्णय पर खड़ा किया सवाल।

वाराणसीDec 01, 2017 / 09:18 pm

Ajay Chaturvedi

रेखा शर्मा

रेखा शर्मा

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी


वाराणसी. रामनगर पालिका परिषद चेयरमैन पद पर एक बार फिर से रेखा शर्मा ने अपनी लोकप्रियता का झंडा गाड़ दिया। वह लगातार तीसरी बार रामगर पालिका परिषद की चेयरमैन बन गईं। यह वही रेखा शर्मा हैं जिनका न केवल टिकट काटा गया था बल्कि पार्टी ने उन्हें छह साल के बाहर का रास्ता दिखा दिया। लेकिन उन्होंने यह साबित कर दिया कि यह पार्टी की बड़ी चूक थी। अब इस मुद्दे पर किसी की जुबान नहीं खुल रही है। बता दें कि इस सीट पर कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी को चौथा स्थान मिला है। पार्टी के ही कुछ लोगों का कहना है कि इतनी बड़ी हार पूरे प्रदेश में कांग्रेस को नहीं मिली।
बता दें कि पत्रिका ने सबसे पहले बताया था कि कांग्रेस ने रेखा शर्मा को पिछड़ा बताते हुए उनका टिकट काट दिया था। तर्क यह दिया गया था कि वाराणसी नगर निगम, गंगापुर नगर पंचायत तो पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित है ही अब अगर रामनगर जो सामान्य सीट है उसे भी पिछड़ी जाति को दे दिया जाएगा तो सवर्ण मतदाताओं के बीच गलत मैसेज जाएगा। लेकिन रेखा ने लगातार तीसरी जीत हासिल कर पार्टी के रणनीतिकारों की रणनीति को करारा जवाब दे दिया है। उन्होंने दर्शा दिया कि वह भले पिछड़ी जाति की हैं पर उन्हें सवर्ण मतदाताओं का भी समर्थन हासिल है।
रामनगर पालिका परिषद के परिणाम के बाबत जब पत्रिका ने जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा से बात की तो उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अभी फिलहाल कुछ भी नहीं कहेंगे। यह जरूर कहा कि जनमत का फैसला शिरोधार्य है।
लेकिन पार्टी में इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। पार्टीजनों का कहना है कि रेखा शर्मा का टिकट कटवाने और मधुकर पांडेय को टिकट दिलाने के लिए दो बड़े घरानों की भूमिका अहम रही। एक वह घराना जिसका वाराणसी से लेकर पूर्वांचल भर में बड़ा रसूख है तो दूसरा वो घराना जो एक राष्ट्रीय स्तर के पूर्व नेता के परिवार से ताल्लुख रखता है जिनका जुड़ाव रामनगर से ही है। दरअसल इसकी बिसात तो विधानसभा चुनाव में ही बिछ गई थी जब कैंट विधानसभा क्षेत्र के एक राष्ट्रीय फलक पर अपना रसूख रखने वाले परिवार के युवा नेता का नाम उछाला गया लेकिन संगठन ने अंतिम समय में संगठन ने उन पर भरोसा नहीं जताया और अनिल श्रीवास्तव को ही उम्मीदवार घोषित कर दिया। उसकी कसक अब पूरी की गई और मोहरा बनाया गया रेखा शर्मा को। बताया तो यहां तक जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में भी अनिल विरोधी खेमे ने उनका समर्थन नहीं किया था। इतना ही नहीं इस निकाय चुनाव का प्रचार शुरू हुआ तो पार्टी प्रत्याशी ने कैंट विधानसभा प्रत्याशी की फोटो भी अपने पोस्टर, बैनर से हटवा दिया था। वैसे भी रेखा शर्मा खुद ही पत्रिका को बता चुकी हैं कि करीब ढ़ाई साल पहले हुए एमएलसी चुनाव में मधुकर पांडेय ने पार्टी प्रत्याशी के विरुद्ध निर्दल चुनाव लड़ा था। अब पार्टी सूत्र कांग्रेस के रणनीतिकारों पर सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं कि घरानों को तरजीह देने के चलते संगठन को नीचा दिखाने का जो काम किया गया वह कहीं से क्षम्य नहीं है। जिन भी घरानों के इशारे पर यह रणनीति अख्तियार की गई निश्चित तौर पर उन्होंने कांग्रेस के साथ घात किया है और इसके लिए उन रणनीतिकारों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए न कि रेखा शर्मा के खिलाफ।

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