प्रथम सत्र में विकास के नाम पर काशी सहित देश भर में मंदिरों के विध्वंस के खिलाफ मंदिर रक्षा विधेयक प्रस्तुत किया गया, जिसे धर्म सांसंदो द्वारा ध्वनिमत से पारित कर दिया। दूसरे सत्र में गंगा रक्षार्थ विधेयक पेश हुआ जिसमें गंगा पर बने बांधों को तोड़ने का प्रस्ताव रखा गया था। साथ ही इसी सत्र में गौ रक्षार्थ विधेयक भी प्रस्तुत किया गया। इन सभी विधेयकों को भी धर्म सांसदों ने ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचा कर विकास की बात करना बेमानीः जल पुरुष डॉ राजेंद्र सिंह
इससे पूर्व परम धर्म संसद में जल पुरूष डॉ राजेंद्र सिंह ने कहा कि विकास समाज के लिए आवश्यक तत्व है, लेकिन किसी कि भी धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचा कर विकास की बात करना बेमानी है। काशी का सुनियोजित तरीके से विकास ना करके अपितु विकास के नाम पर देवालयों को ही ध्वस्त करना प्रारंभ कर दिया गया है जो सर्वथा अनुचित है। उन्होंने यह भी कहा कि गंगा की अविरलता की लड़ाई लड़ रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का अन्तिम दर्शन भी सरकार ने साजिशन नही करने दिया जो अत्यन्त क्षोभ का विषय है।
सनातनी परंपरा के लोगो की आस्था पर निरंतर प्रहारः अजय गौतम
प्रख्यात धर्माचार्य अजय गौतम ने कहा कि सिर्फ काशी ही नही बल्कि देश के विभिन्न स्थानों पर भी सनातनी परंपरा के लोगो की आस्था पर निरंतर प्रहार किया जा रहा है जिससे जनता बेहद आहत है। गुजरात से आये धर्मासंद किशोर दबे ने कहा कि विकास के नाम पर गुजरात में 218 मंदिरों को तोड़ दिया गया लेकिन दूसरे धर्मों के स्थलों को संरक्षित कर दिया गया। यह देश की सनानतधर्मी जनता के साथ अन्याय है।
राम देवानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि यह हिन्दुओं की रक्षा के नाम पर सत्ता में आई यह सरकार छद्म हिंदूवादी सरकार है जो एक तरफ अयोध्या में मंदिर के नाम पर लोगो को छल रही है तो दूसरी तरफ काशी में ही प्राचीन मंदिरों को तोड़ने पर लगी हुई है। केरल से आये स्वामी भूवनात्मानन्द जी ने कहा कि गंगा हमारी संस्कृति का प्रतीक है, उसके संरक्षण में ही हमारा हित है, गंगा के लिए सबको एक होना होगा।
चारों वेदों के स्वस्ति वाचन से शुरू हुई संसद की कार्यवाही
इससे पूर्व परम धर्म संसद का शुभारंभ चारो वेदों के स्वस्तिवाचन के साथ हुआ। स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने साक्षी दीप के सम्मुख समक्ष समस्त धर्मासंदो को शपथ दिलाई ,तत्पश्चात सदन की कार्यवाही प्रारम्भ हुई। परम धर्म संसद में प्रथम दिन ब्रम्हचारी सुबुद्धानन्द महाराज, महामण्डलेश्वर हरि चैतन्यानन्द, महामण्डलेश्वर ऋषिश्वरानन्द, ब्रम्हचारी ब्रम्हस्वरूपनन्द, स्वामी नारायणनन्द महाराज, जलकुमार साई मसंद, स्वामी इंदूभवानन्द महाराज, महन्त सुभाष दास जी महाराज, स्वामी राम देवानन्द सरस्वती, स्वामी प्रज्ञानन्द, स्वामी राम लोचन, स्वामी वेदानन्द, महन्त अशोक दास सहित परमेश्वर दत्त मिश्र, आर.एस. दूबे, पूर्व विधायक एवं मंत्री अजय राय, सुरेन्द्र पटेल, रामधीरज, संजीव सिंह, स्वामी महाराजमणि शरण सनातन जी, राजेन्द्र तिवारी, दीपक आत्रेय, विजयानन्द सरस्वती आदि धर्मानुरागियों ने धर्म संसद में विचार रखे।
परम धर्म संसद में भारत के विभिन्न प्रान्तों से बड़ी संख्या में प्रतिनिधि भाग ले रहे है। इनमें सर्वाधिक गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू, केरल, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश और बिहार सहित सभी राज्यो के सनातनधर्मी भाग ले रहे है। वहीं ब्राजील से चाल्र्स और स्पेन के अविनाश भी परम धर्म संसद में भाग ले रहे है। मुस्लिमों की तरफ से सेराज सिद्दीकी प्रतिनिधित्व कर रहे है।
परम धर्म संसद के प्रांगण में ही चल रहे विश्वकल्याणार्थ पंचदेवपासना यज्ञ रविवार को भी चलता रहा। पांच देव गणेश, शिव, रूद्र, दूर्गा एवं सूर्य की उपासना के लिए आचार्य विश्वेश्वर दातार धनंजय के आचार्यत्व में 25 भूदेवों द्वारा आहूतियां दी गईं।