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वाराणसी

सरदार सरोवर बांध पीड़ितों के समर्थन में बनारस से उठी आवाज, शुरू होगा क्रमिक अनशन

सामाजिक संगठनों की मांग, पहले सरदार सरोवर सभी पीड़ितों का हो पुनर्वासपुनर्वास होने तक बांध में 122 मीटर तक ही रहे जल30 अगस्त को जुट होगी सभा, राष्ट्रपति को भेजा जाएगा ज्ञापन

वाराणसीAug 29, 2019 / 03:45 pm

Ajay Chaturvedi

Medha Patkar's fast in support of Sardar Sarovar dam victims

Medha Patkar’s fast in support of Sardar Sarovar dam victims

वाराणसी. सरदार सरोवर का मामला यूं तो पिछले करीब डेढ दशक से देश में चर्चा का केंद्र बिंदु है। सरोवर पीड़ितों के समर्थन में मेधा पाटकर लगातार संघर्षरत हैं। उनके साथ वहीं वह उपवास पर बैठी हैं। मध्य प्रदेश की पूर्व सरकार एक बार जबरन उपवास तोड़वाने का प्रयास भी कर चुकी है जब उन्हें उपवास स्थल से उठवा लिया गया था। लेकिन वह अपने निर्णय पर अडिग हैं और प्रभावित गांव की 24 महिलाओं संग वह उपवास पर बैठी हैं। अब उन पीड़ितों के समर्थन में बनारस के लोग आगे आए हैं। इस मसले पर शुक्रवार को वाराणसी के राजातालाब में सामाजिक संस्थाओं और बुद्धिजीवियों की सभा आयोजित की गई है। इस सभा में पारित प्रस्ताव ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति को भेंजा जाएगा। साथ ही शुरू होगा क्रमिक अनशन।
सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोगों ने सरदार सरोवर बांध से हो रही मौत को जल हत्या की संज्ञा दी है। उनका कहना है कि नर्मदा घाटी के सरदार सरोवर के हजारों विस्थापित परिवार गांव-गांव में अमानवीय डूब का सामना कर रहे है। इस डूब का सामना करने के दौरान अब तक निमाड़ और आदिवासी क्षेत्र के 3 गरीब किसानों की मृत्यु हो चुकी है। सरदार सरोवर के हजारों विस्थापितों के पुनर्वास और संपूर्ण पुनर्वास तक सरदार सरोवर का जलस्तर 122 मीटर तक ही रखने की मांग को लेकर नर्मदा घाटी में मेधा पाटकर जी व प्रभावित गांव की 24 महिलाओं का अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठी हैं। लेकिन इस मसले पर मौजूदा मध्य प्रदेश सरकार की ओर से भी अब तक कोई सार्थक पहल नहीं हुई है। ऐसे में उपवास पर बैठे लोगों ने एमपी के सीएम कमलनाथ को भी पत्र भेजा है। अब बनारस के लोगों ने भी तय किया है कि वो प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से पीड़ितों को राहत दिलाने का प्रयास करेंगे। इसी कड़ी में मनरेगा मजदूर यूनियन ,पूर्वांचल किसान यूनियन व जन आन्दोलनों के राष्ट्रीय समन्वय उत्तर प्रदेश, लोकसमिति ने मिल कर 30 अगस्त को राजातालाब में क्रमिक अनशन व सभा का आयोजन किया है।
क्रमिक अनशन व सभा करने वालों में एक लोकसमिति से जुड़े सुरेश राठौर ने पत्रिका को बताया कि वहां के लोगों की मांग है कि सरदार सरोवर के हजारों विस्थापितों के पुनर्वास और संपूर्ण पुनर्वास तक सरदार सरोवर का जलस्तर 122 मीटर तक ही रखा जाए। मौजूदा मध्य प्रदेश सरकार ने भी जलाशय में 139 मीटर तक पानी भरने का विरोध किया है। बावजूद इसके गुजरात और केंद्र शासन से जुड़े नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने कभी न विस्थापितों के पुनर्वास की, न ही पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की परवाह की है, न ही सत्य रिपोर्ट या शपथ पत्र पेश किया है।
बताया कि मघ्यप्रदेश के मुख्य सचिव ने 27 मई 2019 को नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) को भेजे पत्र के माध्यम से बताया है कि 76 गांवों में 6000 परिवार डूब क्षेत्र में निवासरत है। 8500 अर्जियां तथा 2952 खेती या 60 लाख की पात्रता के लिए अर्जियां लंबित है। हालांकि नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े लोगो के अनुसार 6000 परिवार और 76 गांव ही नहीं, काफी अधिक मात्रा में (करीबन 32000 परिवार) निवासरत हैं जिनके पुनर्वास का अब तक कोई समुचित इंतजाम नहीं किया जा सका है। ऐसे में गांवो के छोटे कारोबारी, छोटे उद्योग, केवट, कुम्हार डूब इलाके जल आत्महत्या को विवश हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों में इस योजना में काफी गड़बड़ी, धांधली हुई। झूठी रिपोर्ट दी गई। भ्रष्टाचार को बढावा मिला। वह सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है। यहां तक कि पूर्व शासन के स्तर से सर्वोच्च या उच्च अदालत में प्रस्तुत याचिकाएं वापस करने के आश्वासनों की पूर्ति भी आज तक नहीं हुई है। ऐसे में किसी भी हालत में सरदार सरोवर में 122 मी. के उपर पानी नहीं रहे, यह मध्य प्रदेश को देखना होगा।
राठौर ने बताया कि फिलहाल मध्य प्रदेश के सत्तारूढ दल ने न केवल चुनाव घोषणा पत्र के माध्यम से बल्कि प्रत्यक्ष विस्थापितों के साथ खड़े होकर भी समर्थन दिया है। मध्य प्रदेश में 1996 में व 1978 के निमाड़ बचाओ आंदोलन में, सर्वदलीय सहमति भी इस मुद्दे पर हो चुकी है। 34 साल के अहिंसक संघर्ष की सीमा पर जाकर नर्मदा घाटी में मेधा पाटकर व प्रभावित गांव की 24 महिलाओं का अनिश्चितकालीन उपवास चालू किया है। नर्मदा ट्रिब्यूनल और सर्वोच्च अदालत के फैसलों के तहत डूब के पहले सम्पूर्ण पुनर्वास हो, यह सुनिश्चित करना, मौजूदा कांग्रेस सरकार का दायित्व और कानून जिम्मेदारी है।
राठौर ने बताया कि इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए शुक्रवार से बनारस में क्रमिक अनशन व सभा का आयोजन किया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के विचारों के आधार पर ज्ञापन तैयार कर राष्ट्रपति को भेजा जाएगा।

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