जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने एडीजी वाराणसी जोन को खत लिखकर यह आख्या मांगी है। बताया जा रहा है कि किसी अनंत नारायण मिश्रा ने यूपी अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के पास इस फर्जी जाति प्रमाणपत्र पर बीएचयू में नौकरी की शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था बीएचयू के समाजशास्त्र विभाग में कार्यरत सहायक प्रफेसर मनोज वर्मा और उनके भाई अरविंद कुमार दोनों कहार जाति के हैं। लेकिन नौकरी और पोस्ट डॉक्टरेट फेलोशिप के लिए सोनभद्र से खरवार जनजाति (अनुसूचित जनजाति) का फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर दाखिल किया।
शिकायतकर्ता ने लिखा है कि इस फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर दोनों भाइयों ने अपने नाम के आगे वर्मा टाइटल लगा लिया और आरक्षण का लाभ लिया। इन दोनों भाइयों ने जाति प्रमाणपत्र के सत्यता पर सवाल खड़ा करने पर लंका थाने में समाजशास्त्र विभाग के हेड अरविंद जोशी और अन्या के खिलाफ एससी-एसटी ऐक्ट तथा मारपीट की धाराओं में 28 जनवरी को दर्ज कराया था। वाराणसी एडीजी जोन कार्यालय ने प्रकरण की जांच शुरू कर दी है।