PM Modi के संसदीय क्षेत्र में भीषण गर्मी में पेयजल को तरस रहे लोग, नहाने-खाने के लिए खरीदना पड़ रहा पानी
गंग, वरुणा और असि नदी के तट पर बसे PM Modi (नरेंद्र मोदी) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की जनता इस भीषण गर्मी में बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही है। हाहाकार मचा है। हैंडपंप सूखे पड़े हैं तो नलकूप काम नहीं कर रहे। ऐसे में लोग आसपास के उन लोगों की मदद के सहारे पीने के पानी का इंतजाम कर पा रहे हैं जिनके यहां सबमर्सिबल है। ऐसे लोगों की कतार शहर से गांव तक देखी जा सकती है।
वाराणसी. pm modi (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) का संसदीय क्षेत्र वाराणसी जो गंगा, वरुणा और असि नदी के तट पर बसा है, वहां भी पेयजल का संकट पैदा हो गया है। शहर से गांव तक हर दिन की सुबह दूसरों के दरवाजे पर लाइन लगा कर पानी बटोरने से हो रही है। ये जल प्रदान करने वाले वो लोग हैं जिन्होंने अपने यहां सबमर्सिबल पंप लगा रखा है।
पीने के लिए पानी खरीदना पड़ रहा है लोगों को चाहे बात वाराणसी शहर के वरुणापार के लोगों की हो या आराजी लाइन विकास खंड के ग्रामीणों की सबकी दशा लगभग समान है। वरुणा पार के पुलकोहना के लोग छह महीने से पेयजल संकट झेल रहे हैं। क्षेत्रीय विधायक से भी गुहार लगाई पर कोई सुनवाई नहीं हुई तो आसपास के सबमर्सिबल वाले लोगों के रहम-ओ-करम पर जी रहे हैं। ये लोग पानी का भुगतान तक करते हैं। आलम ये है कि सबमर्सिबल वाले पड़ोसी बिजली का खर्च भी वसूलने लगे हैं। महीने के हिसाब से पानी की कीमत तय है।
ध्वस्त हो चुकी है पाइप लाइन पुलकोहना इलाके के लोग बताते हैं कि पेयजल की पाइप लाइन ध्वस्त हो चुकी है। हैंडपंपों का भी बुरा हाल है। इन्हें ठीक कराने के लिए क्षेत्रीय विधायक व प्रदेश के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार रवींद्र जायसवाल से गुहार लगाई गई थी पर कोई सुनवाई नहीं हुई। वो बताते हैं कि दनियालपुर, नर्मदापुरी इलाके के करीब 300 परिवार जल संकट झेलने को विवश हैं। दनियालपुर के पार्षद दूधनाथ राजभर का कहना है कि जलकल व जल निगम के अधिकारियों से कई बार शिकायत की गई पर कोई सुनवाई नहीं हो रही।
राजातालाब इलाके का और बुरा हाल वाराणसी के आराजी लाइन ब्लाक के राजातालाब के कचनार, रानी बाज़ार और परसुपुर में विगत दो साल से जल संकट है। भिखारीपुर से संचालित जल निगम के ओवरहेड के दूसरे ट्यूबवेल की मोटर विगत दो साल पहले जल गई, तब से ही यहां पेयजल संकट है। भीषण गर्मी में भू-जल स्तर काफी नीचे चले जाने से जल संकट और गहरा गया है। नलकूप से पानी आ नहीं रहा और गांव के लगभग सभी सरकारी हैंडपंप सूख चुके हैं। ग्रामीणों ने कई बार संबंधित अधिकारियों से शिकायत की पर कोई फायदा नहीं।
यहां भी सबमर्सिबल पंप वाले लोग हैं सहारा गावों में भी लोग निजी सबमर्सिबल पंप वालों की मदद के सहारे हैं। लोग दूसरे के समर सेबुल के भरोसे किसी तरह पानी का जुगाड़ कर रहे हैं। इसके लिए सुबह से ही लाइन लग जाती है। ऐेसे में प्यास बुझाने के लिए लोगों को घंटो इंतज़ार करना पड़ता है।
पिछड़ा बहुल इलाका ज्यादा प्रभावित यूं तो हर ग्रामीम पेयजल संकट से जूझ रहा है, लेकिन ज्यादा दिक्कत पिछड़ा बहुल इलाकों में है। वो तो पानी के बिना बिलबिला उठ रहे है। क्षेत्र के प्रदीप कन्नौजिया, सिब्बू, भैयालाल, मुख़्तार, इरफ़ान, कल्लू आदि का कहना है कि प्रशासनिक और ग्राम पंचायत की उपेक्षा के चलते ग्रामवासी परेशान हैं। कभी नालियों के गंदे पानी की निकासी का संकट तो कभी ट्यूबवेल खराब होने से पेयजल संकट। हालत ये है कि लोगों को नहाने और भोजन बनाने तक को पानी नहीं मिल पाता है। बावजूद इसके ज़िम्मेदार इस समस्या को नजरंदाज किए हुए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने चेताया कि इसी तरह चलता रहा तो आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा।
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