वाराणसी. शिव की नगरी काशी में महाशिवरात्रि (21 फरवरी) को फिर मचेगी धूम, काशीवासी डमरू की डगमग पर जमकर झूमेंगे, नाचेंगे। जु़मा (शुक्रवार) को पड़ने वाली महाशिवरात्रि पर काशी की गंगा जमुनी तहजीब आकार लेगी और 1983 से शुरू शिव बारात में हास्य कवि सांढ बनारसी बनेंगे दूल्हा तो व्यवसायी बदरुद्दीन अहमद धरेंगे मां गौरा (पार्वती) का स्वरूप।
IMAGE CREDIT: patrika भगवान शिव और शक्ति के मिलन का दिन महाशिवरात्रि इस बार 21 फरवरी को श्रवण योग में मनार्इ जाएगी। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखकर भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती की पूजा-आराधना करेंगे। शहर में शिव बारात की झांकियां निकाली जाएंगी। साथ ही मंदिरों में देर रात तक कर्इ धार्मिक आयोजन होंगे। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने से सभी तरह की परेशानियों का अंत हो जाता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक, काशी विश्वनाथ का दर्शन, चतुर्दशलिंग पूजा अत्यंत शुभकारी माना जाता है। पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में आनेवाली मासिक शिवरात्रि को महाशिवरात्रि मनार्इ जाती है। फाल्गुन माह में मनार्इ जानेवाली शिवरात्रि के दिन श्रद्धालु भक्त जप, तप और व्रत करते हैं। इस दिन शिवालयों में फल, फूल, दही, दूध, भांग, गांजा, धतूरा, दुबी, बेलपत्र आदि चीजों से भगवान भोले का अभिषेक किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। साधक एवं व्रतियों के सभी दुखों और समस्याओं का अंत हो जाता है। साथ ही भगवान भोले की पूजा करने से श्रद्धालुओं को वैदिक, दैविक एवं भौतिक संतापों से मुक्ति मिलती है।
IMAGE CREDIT: patrika शिव बारात के संयोजक दिलीप सिंह सिसोदिया और पवन खन्ना ने पत्रिका से खास बातचीत में बताया कि सबसे पहले 1983 में शिव बारात निकाली गई थी, उस साल श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सोना चोरी हो गया था। ऐसे में इसके विरोध स्वरूप जुलूस निकालने का निर्णय किया गया। लेकिन महाशिवरात्रि आते-आते चोरी गया सोना मिल गया तो इस जुलूस को विजय जुलूस में तब्दील कर दिया गया। तभी से परंपरा बन गई और हर साल महाशिवरात्रि को शिव बारात निकाली जाती है। इसमें परंपरागत रूप से सभी देवी देवता, भूत पिचास, गंधर्व, जानवार, मदारी, बैंड-बाजा के साथ सज धज के निकलते हैं। आकर्षक झाकियां शामिल की जाती हैं। इस बारात में सिर्फ देश से ही नही बल्कि विदेशों से भी शिव भक्त आते हैं और बाराती बनते हैं। बारात पुराणो में वर्णित शिव बारात के तर्ज पर निकलती है और पूरी दुनिया को काशी की मौज मस्ती का एहसास कराती है।
IMAGE CREDIT: patrika बताया कि इस बार भी परंपरागत रूप से शिव बारात 21 फरवरी दिन शुक्रवार को सायंकाल 07 बजे महामृत्युंजय मंदिर (दारानगर) से निकलेगी जो मैदागिन, बुलानाला, चौक, गोदौलिया होते दशाश्वमेध (डेढसीपुल) पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि हमेशा की तरह इस बार की शिव बारात का एक विशेष मुद्दा होगा। इसके तहत महंगाई को चुना गया है। महंगाई को दर्शाती भव्य झांकी निकाली जाएगी। जैसे पिछली बार सर्जिकल स्ट्राइक पर आकर्षक झांकी निकाली गई थी या उससे पहले कन्या भ्रूण हत्या पर निकाली गई थी वैसे इस बार का विषय महंगाई रखा गया है। शिव बारात के संयोजक सिसोदिया ने पत्रिका को बताया कि जब पूरा देश महंगाई की मार से जूझ रहा है तो इस शिव बारात का विषय वस्तु इससे इतर कैसे हो सकता है भला।
बतादें कि शिव की नगरी काशी में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भोले बाबा के दर्शन करने से जहां आत्मा को शांति मिलती है, वहीं सभी कष्टों का निवारण होता है। शिवरात्री के दिन बाबा का विवाह भी होता है और बकायदा बारात भी निकलती है। बारात में मान्यता ये भी है कि जो लोग किन्हीं कारण बाबा के दर्शन नही कर पाते, वह बारात में शामिल हो जाते हैं और उन्हें वही पुण्य लाभ मिलता है जो विश्नाथ मंदिर में दर्शन से मिलता है। दिलीप सिसोदिया ने बताया कि ऐसे में योजना है कि अगले साल से डेढसी पुल जहां शिव बारात का समापन होता है वहां एक गरीब कन्या का विवाह कराया जाएगा। इस विवाह का सारा खर्च शिव बारात समिति वहन करेगी। एक प्रतीक विवाह भी होगा और गरीब परिवार का कल्याण भी हो जाएगा।