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यूपी में संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को हार मिली है। सीएम योगी आदित्यनाथ की गढ़ माने जाने वाली गोरखपुर सीट पर बीजेपी को मिली हार ने सभी को हैरान कर दिया था। गोरखपुर में सपा ने निषाद पार्टी के नेता को प्रत्याशी बनाया था और पहली बार इस सीट पर विजय प्राप्त की। संदेश साफ था कि सपा ने छोटे दलों को अपने साथ जोड़ा और अपनी ताकत बढ़ा दी। अखिलेश यादव ने पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में चौहान सभा की रैली में भाग लेकर छोटे दलों को सपा के साथ जोडऩे की मुहिम शुरू की थी। सपा की मुहिम थी कि लोकसभा चुनाव से पहले कई छोटे दलों को जोड़ कर जातिगत सोशल इंजीनियरिंग को सबसे मजबूत किया जाये। सपा की मुहिम सफल होने से पहले ही शिवपाल यादव ने नया मोर्चा बना कर छोटे दलों को जोडऩे काम शुरू कर दिया। शिवपाल यादव ने खुद 40 छोटे दलों का समर्थन मिलने का दावा किया है। इससे साफ हो जाता है कि अखिलेश यादव की मुहिम को झटका देने के लिए ही शिवपाल यादव ने पहले मोर्चा बनाया है और अब पार्टी बनाने जा रहे हैं।
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शिवपाल यादव के निशाने पर सपा है। शिवपाल यादव ने छोटे दलों के सहयोग से बड़ा संगठन खड़ा करने की तैयारी की है। एक बात तो एकदम साफ है कि शिवपाल यादव का मोर्चा जितना मजबूत होगा। उतना ही अखिलेश यादव कमजोर होंगे। शिवपाल यादव के मोर्चा से लोकसभा में सबसे अधिक फायदा पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह को होगा। जबकि यूपी चुनाव 2022 में मायावती को इसका सबसे अधिक लाभ मिलने वाला है।
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