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वाराणसी

इसलिए शिवपाल यादव ने पहले बनाया मोर्चा, बाद में किया नयी पार्टी के लिए आवेदन

लोकसभा चुनाव 2019 को देखते हुए खेला है बड़ा दांव, अखिलेश यादव की योजना को लग सकता है झटका

वाराणसीOct 13, 2018 / 12:57 pm

Devesh Singh

shivpal singh yadav

Shivpal Yadav

वाराणसी. किसी दल से अलग होने के बाद बड़े नेता अपनी अलग पार्टी बनाते हैं। चुनावी जरूरत और समय की मांग को देखते हुए अपनी नयी पार्टी में अन्य दलों को शामिल कर मोर्चा बना लेते हैं लेकिन शिवपाल यादव ने पहले समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाया है उसके बाद चुनाव आयोग में अपनी पार्टी का पंजीकरण कराने के लिए आवदेन किया है। बड़ा सवाल है कि आखिरकार शिवपाल यादव को पहले मोर्चा बनाने की क्या जरूरत पड़ी। यह काम नयी पार्टी बनाने के बाद भी किया जा सकता था।
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लोकसभा चुनाव 2019 को देखा जाये तो शिवपाल यादव के मोर्चा बनाने के कारणों को लेकर कुछ स्थिति स्पष्ट हो सकती है। यूपी की राजनीति में जो हालात है उसके अनुसार अखिलेश यादव, राहुल गांधी व मायावती का महाठबंधन बन सकता है ऐसा होने पर बीजेपी का सीधा मुकाबला महागठबंन से होगा। महागठबंधन व बीजेपी के बीच जबरदस्त चुनावी जंग देखने को मिल सकती है ऐसे मे कुछ हजार वोटों का अंतर ही किसी प्रत्याशी को हराने व विजय पाने में महत्वपूर्ण हो सकता है। ऐसी परिस्थिति बनी तो छोटे दलों की भूमिका सबसे अधिक बढ़ जायेगी। यह वह दल होगे। जिनके पास किसी सीट के लिए कुछ हजार वोटों को जुटाने की क्षमता होगी। ऐसे में छोटे दलों को जोड़ कर तैयार हो रहा शिवपाल यादव को मोर्चा बेहद खतरनाक साबित हो सकता है यह मोर्चा किसी दल को चुनाव हरा सकता है तो किसी को चुनाव जीता भी सकता है।
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गोरखपुर सीट पर मिली हार व अखिलेश यादव की सोशल इंजीनियरिंग ने शिवपाल यादव के मोर्चा को दिखायी राह
यूपी में संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को हार मिली है। सीएम योगी आदित्यनाथ की गढ़ माने जाने वाली गोरखपुर सीट पर बीजेपी को मिली हार ने सभी को हैरान कर दिया था। गोरखपुर में सपा ने निषाद पार्टी के नेता को प्रत्याशी बनाया था और पहली बार इस सीट पर विजय प्राप्त की। संदेश साफ था कि सपा ने छोटे दलों को अपने साथ जोड़ा और अपनी ताकत बढ़ा दी। अखिलेश यादव ने पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में चौहान सभा की रैली में भाग लेकर छोटे दलों को सपा के साथ जोडऩे की मुहिम शुरू की थी। सपा की मुहिम थी कि लोकसभा चुनाव से पहले कई छोटे दलों को जोड़ कर जातिगत सोशल इंजीनियरिंग को सबसे मजबूत किया जाये। सपा की मुहिम सफल होने से पहले ही शिवपाल यादव ने नया मोर्चा बना कर छोटे दलों को जोडऩे काम शुरू कर दिया। शिवपाल यादव ने खुद 40 छोटे दलों का समर्थन मिलने का दावा किया है। इससे साफ हो जाता है कि अखिलेश यादव की मुहिम को झटका देने के लिए ही शिवपाल यादव ने पहले मोर्चा बनाया है और अब पार्टी बनाने जा रहे हैं।
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सपा है निशाने पर, छोटे दलों को सहयोग से खड़ा होगा बड़ा संगठन
शिवपाल यादव के निशाने पर सपा है। शिवपाल यादव ने छोटे दलों के सहयोग से बड़ा संगठन खड़ा करने की तैयारी की है। एक बात तो एकदम साफ है कि शिवपाल यादव का मोर्चा जितना मजबूत होगा। उतना ही अखिलेश यादव कमजोर होंगे। शिवपाल यादव के मोर्चा से लोकसभा में सबसे अधिक फायदा पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह को होगा। जबकि यूपी चुनाव 2022 में मायावती को इसका सबसे अधिक लाभ मिलने वाला है।
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