अखिलेश यादव व मायावती ने यूपी की सभी लोकसभा सीटों के लिए गठबंधन किया है। बसपा ने पश्चिमी यूपी की अधिक सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं जबकि सपा के पास पूर्वी यूपी की अधिक सीट आयी है। अखिलेश यादव ने आजमगढ़ से चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया बात को साबित करने का प्रयास किया है कि पूर्वी यूपी में सपा को किसी भी हाल में कमजोर होने नहीं दिया जायेगा। शिवपाल यादव के पार्टी छोडऩे से सपा को जो झटका लगा है उसे दूर करने के लिए अखिलेश यादव ने खुद ही कमान कस ली। मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ से चुनाव जीत कर यह संदेश दिया था कि पश्चिम की तरह भी पूर्वी यूपी में सपा की ताकत कम नहीं है। लेकिन अब समीकरण बदल रहा है। पूर्वी यूपी को मजबूत करने के लिए अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं ऐसे में शिवपाल यादव पश्चिम यूपी में सपा को कमजोर करके अखिलेश यादव को झटका दे सकते हैं।
यह भी पढ़े:-राजा भैया की पार्टी को मिला यह चुनाव निशान, विरोधी दलों की उड़ी नीद
यह भी पढ़े:-राजा भैया की पार्टी को मिला यह चुनाव निशान, विरोधी दलों की उड़ी नीद
पश्चिम यूपी में है शिवपाल यादव की ताकत
पश्चिम यूपी में ही शिवपाल यादव की मुख्य ताकत है। अखिलेश यादव ने जब से पूर्वी यूपी पर अपना ध्यान केन्द्रीत किया है तभी से शिवपाल यादव को सपा को कमजोर करने का बड़ा मौका मिला है। पश्चिम यूपी मे बसपा को अधिक सीट मिलने से सपा के कुछ नेताओं में नाराजगी है ऐसे में शिवपाल यादव अब रणनीति साधने में जुट गये हैं। सपा व बसपा ने लोकसभा चुनाव 2019 में पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की जोड़ी को पटखनी देने के लिए गठबंधन किया है जबकि कांग्रेस भी बीजेपी को हराने के लिए चुनाव मैदान में प्रत्याशी उतार रही है ऐसे में शिवपाल यादव की सक्रियता से किसी भी पार्टी का खेल बिगड़ व बन सकता है। सपा से अगल होने के बाद जिस तरह से शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को प्रदेश में खड़ा करने का प्रयास किया है उससे सबसे अधिक परेशानी सपा की बढ़ सकती है।
यह भी पढ़े:-जानिए पीएम मोदी ने पांच साल में बनारस को दी क्या सौगात, बीजेपी ने फिर बनाया है प्रत्याशी
पश्चिम यूपी में ही शिवपाल यादव की मुख्य ताकत है। अखिलेश यादव ने जब से पूर्वी यूपी पर अपना ध्यान केन्द्रीत किया है तभी से शिवपाल यादव को सपा को कमजोर करने का बड़ा मौका मिला है। पश्चिम यूपी मे बसपा को अधिक सीट मिलने से सपा के कुछ नेताओं में नाराजगी है ऐसे में शिवपाल यादव अब रणनीति साधने में जुट गये हैं। सपा व बसपा ने लोकसभा चुनाव 2019 में पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की जोड़ी को पटखनी देने के लिए गठबंधन किया है जबकि कांग्रेस भी बीजेपी को हराने के लिए चुनाव मैदान में प्रत्याशी उतार रही है ऐसे में शिवपाल यादव की सक्रियता से किसी भी पार्टी का खेल बिगड़ व बन सकता है। सपा से अगल होने के बाद जिस तरह से शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को प्रदेश में खड़ा करने का प्रयास किया है उससे सबसे अधिक परेशानी सपा की बढ़ सकती है।
यह भी पढ़े:-जानिए पीएम मोदी ने पांच साल में बनारस को दी क्या सौगात, बीजेपी ने फिर बनाया है प्रत्याशी
आजमगढ़ में शिवपाल ने दिखायी है सबसे अधिक सक्रियता
शिवपाल यादव ने आजमगढ़ में सबसे अधिक सक्रियता दिखायी है। बलराम यादव के करीबी रहे राम प्यारे यादव को सपा से तोड़ कर शिवपाल यादव ने अपने साथ किया था। इसके बाद कई अन्य सपा नेताओं ने भी शिवपाल यादव के खिलाफ नरम रूख अपनाना शुरू कर दिया था। इसके बाद से ही अखिलेश यादव ने आजमगढ़ से चुनाव लडऩे का निर्णय किया। अखिलेश यादव के पूर्वी यूपी में सक्रिय होते ही शिवपाल यादव पश्चिम में अपनी ताकत बढ़ाने में जुट जायेंगे। यदि शिवपाल यादव को इसमे सफलता मिल जाती है तो सपा के लिए खतरे की घंटी बजना तय है।
यह भी पढ़े:-बीजेपी ने कभी मायावती के खास रहे नेता की बेटी को टिकट देकर अखिलेश यादव का दिया बड़ा झटका
शिवपाल यादव ने आजमगढ़ में सबसे अधिक सक्रियता दिखायी है। बलराम यादव के करीबी रहे राम प्यारे यादव को सपा से तोड़ कर शिवपाल यादव ने अपने साथ किया था। इसके बाद कई अन्य सपा नेताओं ने भी शिवपाल यादव के खिलाफ नरम रूख अपनाना शुरू कर दिया था। इसके बाद से ही अखिलेश यादव ने आजमगढ़ से चुनाव लडऩे का निर्णय किया। अखिलेश यादव के पूर्वी यूपी में सक्रिय होते ही शिवपाल यादव पश्चिम में अपनी ताकत बढ़ाने में जुट जायेंगे। यदि शिवपाल यादव को इसमे सफलता मिल जाती है तो सपा के लिए खतरे की घंटी बजना तय है।
यह भी पढ़े:-बीजेपी ने कभी मायावती के खास रहे नेता की बेटी को टिकट देकर अखिलेश यादव का दिया बड़ा झटका