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वाराणसी

लॉकडाउन में काशी विश्वनाथ पर बरसे धन, दुनिया भर से भक्तों ने भरा बाबा का खजाना

लॉकडाउन का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है। बाजार से लेकर व्यापार और कारोबार से लेकर मंदिरों के द्वार सब कुछ बंद हैं। बावजूद इसके काशी के पुराधिपति बाबा काशी विश्वनाथ पर भक्तों के आस्था की बारिश छप रही है

वाराणसीMay 19, 2020 / 12:30 pm

Karishma Lalwani

लॉकडाउन में काशी विश्वनाथ पर बरसे धन, दुनियां भर से भक्तों ने भरा बाबा का खजाना

लॉकडाउन में काशी विश्वनाथ पर बरसे धन, दुनियां भर से भक्तों ने भरा बाबा का खजाना

वाराणसी. लॉकडाउन का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है। बाजार से लेकर व्यापार और कारोबार से लेकर मंदिरों के द्वार सब कुछ बंद हैं। बावजूद इसके काशी के पुराधिपति बाबा काशी विश्वनाथ पर भक्तों के आस्था की बारिश छप रही है। इस आर्थिक संकट के समय भी भोलेनाथ लखपति बने हुए हैं। ये अलग बात है की लॉकडाउन के मंदिर कोष पर बड़ा असर पड़ा है। फिर भी भक्तों ने दरबार को बाबा के खजाने की चमक बनाये रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
बता दें कि लॉकडाउन के तकरीबन 50 दिनों में बाबा विश्वनाथ को 50 लाख का चढ़ावा भक्तों ने चढ़ाया है। मंदिर प्रशासन ने बताया की लॉकडाउन में भी बाबा के लाइव दर्शन किये का रहे हैं साथ ही दान करने के इच्छुक खजाने में सीधे पैसे ट्रांसफर कर पा रहे हैं। इसका लाभ ये हो रहा है की बाबा को चढ़ावा मिल है। हालांकि सामान्य दिनों में बाबा के दरबार में हर महीने साढ़े तीन करोड़ से अधिक रूपया खजाने में आता था। 25 मार्च से पूरे देश के मंदिरों के कपाट आम भक्तों के लिए बंद कर दिए गए हैं। बाबा विश्वनाथ के भक्तों को उनके लाइव दर्शन प्राप्त हो रहे हैं इससे भक्त काफी प्रसन्न हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख बाबा भोले खुद मां पार्वती के साथ भक्तों को आशीष देते हैं।
22 मार्च से बंद थे कपाट

मंदिर के कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने बताया कि 22 मार्च से ही कोविड 19 के कारण आम भक्तों के लिए कपाट बंद कर दिए गए थे, लेकिन मंदिर में पूजन सामान्य दिनों की तरह जारी था और जिसका ऑनलाइन प्रसारण भी किया जा रहा था। इस ऑनलाइन दर्शन को करोड़ों भक्त देश-विदेश में बैठे देख रहे हैं जिन्होंने ऑनलाइन चढ़ावा भी चढ़ाया।
सात समुंदर पार भी बाबा का कमाल

बाबा विश्वनाथ के भक्त भारत जी नहीं दुनिया में बैठे हैं जो बाबा को चढ़ावा लगातार चढ़ा रहे हैं। आंकड़े देखे तो विदेशों में बैठे एनआरआई ने लगभग 30 लाख का दान किया तो वहीं देश से चढ़ावे के रूप में 20 लाख रुपए आए। इन रुपयों से मंदिर में काम करने वाले को तनख्वाह मिली और सामाजिक कार्य के लिए भी बल मिला, जिससे लोगों तक खाना पहुंचाया जा रहा है।
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