जानिये हर बैंक खाताधारक क्यों है परेशान, कितने तरह की हो रही वसूली, बनारस के लोगों को क्यों उतरना पड़ा सड़क पर
बैंक ग्राहकों से वसूल रहे 24 तरह के शुल्क, वाराणसी के नागरिकों ने किया विरोध चलाया हस्ताक्षर अभियान
रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया और केंद्रीय वित्त मंत्री को भेजा ज्ञापन
वाराणसी. विभन्न बैंकों में ग्राहकों से अलग-अलग सेवाओं के लिए कुल 22 तरह के शुल्क वसूले जा रहे हैं। इससे आम जन पर खर्च का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। ऐस में इसके विरोध में उतरी वाराणसी की जनता। कचहरी स्थित भारतीय स्टेट बैंक के सामने चलाया हस्ताक्षर अभियान। बांटे पर्चे। फिर वहां से गए कलेक्ट्रेट तक और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर व वित्त मंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
बता दें कि देश इस समय गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहा है, जिसका असर सबसे ज्यादा गरीब, मजदूर, किसान, छात्र, दलित, आदिवासी समाज पर बडे़ पैमाने पर पड रहा है। आंदोलनकारियों का कहना है कि देश मे इस अस्थिरता का कारण मूल रूप से कार्पोरेट घरानो को बडे़ पैमाने पर दिए गए ऋणो की वसूली में सरकार तथा बैंको की नाकामी है। मार्च 2018 तक कुल सकल गैर निष्पादित आस्तियां 10.35 लाख करोड़ रुपये, जिसमें से 85 फीसद ऋण, 5 करोड़ रुपये से अधिक के हैं। कॉर्पोरेट से ऋण की वसूली के लिए कोई ईमानदार प्रयास नहीं किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, बैंकों द्वारा राईट ऑफ करने के तहत मार्च 2014 से दिसंबर 2018 तक भारतीय बैंकों ने 5, 55,603 करोड़ रुपये का लोन माफ़ किया है। ये बातें बैंको द्वारा विभिन्न प्रकार के चार्ज के खिलाफ कचहरी स्टेट बैंक के सामने हस्ताक्षर अभियान के दौरान सामाजिक कार्यकर्त्री व सर्वोदयी नेता जागृति राही ने कही।
समाजसेवी व आरटीआई एक्टिविस्ट वल्लभाचार्य पांडेय ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक व अन्य बैंक कॉरपोरेट से ऋण की वसूली पर वास्तविक प्रयास करने के बजाय, गरीबों की जेब से अपने नुकसान की भरपाई के लिए शुल्क बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। कहा कि उपलब्ध जानकारी के अनुसार 21 सार्वजानिक और 3 निजी बैंकों ने अप्रैल 2014 से सितंबर 2018 के बीच 12,388.56 करोड़ रुपये न्यूनतम राशि शेष न होने के नाम पर बचत खाताधारकों से खातों से करोड़ो रूपये वसूले। सार्वजानिक बैंकों ने 2015-2018 के बीच अतरिक्त एटीएम लेनदेन के रूप में 4144.99 करोड़ रुपये बचत खाता धारकों से वसूले। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक आफ महाराष्ट्र तथा यूको बैंक ने 1485755 ( चौदह लाख पचासी हजार सात सौ पचपन ) जनधन तथा BSBDA खातो को बचत खातो मे परिवर्तित किया गया है जिसका खामियाजा समाज के अति गरीब व वंचित तबको को भुगतना पड रहा है।
सामाजिक कार्यकर्त्ता डॉ अनूप श्रमिक ने कहा कि बैंको द्वारा लगाए जा रहे अनेक शुल्को की सजा उन लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है, जिन्हें बैंकिंग सिस्टम की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, ताकि वो साहूकारों के चंगुल से बच सकें। सभी प्रकार की बैंकिंग सेवाओं पर लगने वाले शुल्क सीधे तौर पर गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है। इनमें सबसे ज्यादा असर छात्रों, मजदूरों, किसानों, मनरेगा मजदूरों, पेंशनभोगियों, सामाजिक कल्याण योजनाओं पर निर्भर लोगों, ठेका मजदूरों, सड़क पर रहने वालों आदि को हो रहा है। शुल्क न केवल बचत पर अर्जित ब्याज को कम कर रहे हैं, बल्कि देश के गरीब और सीमांत वर्गों के बैंक खातों से बचत को कम कर रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता धनंजय त्रिपाठी ने कहा कि भारत में बैंकों ने बैंकिंग सेवाओं पर मौजूदा शुल्कों में वृद्धि की है और उन सेवाओं के लिए नए शुल्क लगाए हैं जो पहले मुफ्त थे। विडंबना यह है की जिन खातों में उच्च राशी रहती है बैंक उन खाता धारकों को मुफ्त बैंकिंग सेवाएं बैंको द्वारा प्रदान की जा रही हैं, जबकि उसी बैंक में समाज के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों से बैंकिंग सेवाओं के माध्यम से पैसा वसूला जा रहा हैं। बैंक शुल्कों के द्वारा गरीब जनता के पैसों का दोहन समावेशी और सामाजिक बैंकिंग के अवधारणा के खिलाफ है।
गरीबो पर हो रही बैंक शुल्क कि मार एक गंभीर चिंता का विषय हैं। बचत खाता धारको के बड़े हिस्से व कड़ी मेहनत से अर्जित बचत पर बैंक विभिन्न तरीको से हमला कर रहे है जो निम्न है…
1-न्यूनतम शेष राशि ना होने पर दंड शुल्क 2- बैंक खाते में नकद जमा करवाने पर शुल्क 3-बैंक खाते से नकद निकालने पर शुल्क 4- दूसरे खातों में नकद जमा करवाने पर शुल्क 5- एटीएम से नकद निकासी पर शुल्क डेबिट कार्ड जारी करने का शुल्क 6-डेबिट कार्ड पर लिए जाना वाला वार्षिक शुल्क 7-एटीएम से बैलेन्स पूछताछ करने पर शुल्क 8-एटीएम से मिनी स्टेटमेंट निकालने पर शुल्क 9-शाखा से एटीएम पिन कोड बदलवाने पर शुल्क 10-खाता बंद करवाने का शुल्क 11-अपर्याप्त राशि होने के कारण डेबिट कार्ड से लेनदेन ना होने पर 12-एसएमएस शुल्क 13-खाताधारक का पता बदलने पर शुल्क 14-खाते से जुड़े मोबाइल नंबर में बदलाव करने पर शुल्क 15-केवाईसी संबंधित दस्तावेजों में परिवर्तन करने पर शुल्क 16-सीडीएम (नकद जमा करने वाली मशीन) में नकद जमा करने पर शुल्क 17-गंदे कटे-फटे पुरानी मुद्राए नोटों को बदलने पर शुल्क 18-ऑनलाइन पैसे भेजने के लिए आईएमपीएस शुल्क 19-रेल टिकट, पेट्रोल ईंधन गैस स्टेशनों के लिए शुल्क 20-डेबिट कार्ड उपयोग और कुछ बिलों और सरकारी सेवाओं के भुगतान पर अधिभार के रूप में शुल्क 21-चेक बुक जारी करवाने पर शुल्क 22-डिमांड ड्राफ्ट बनवाने पर शुल्क 23-खाते में उपलब्ध राशि का प्रमाण पत्र बनवाने पर शुल्क 24-हस्ताक्षर सत्यापन करवाने पर शुल्क.
सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने बताया मौजूदा समय मे बैंक 20 से ज्यादा सेवाओ पर बैंक शुल्क लेता है, अपने ही खाते मे पैसा जमा करने एव निकालने के लिये भी बैंक पैसा लेता है। एक तरफ आम जनता आर्थिक संकट से जूझ रही है वही दूसरी तरफ बैंक सभी बचत खाता धारको से मिनिमम बैलेन्स रखने का दबाव बना रहा है।
लोक एकता मंच के जगन्नाथ कुशवाहा ने कहा कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पीछे का उद्देश्य देश की ग्रामीण आबादी, गरीब, श्रमिक वर्ग और हाशिये के तबको तक पहुंच कर उनको बैंकिंग प्रणाली में शामिल करना था, ना कि बैंकिंग प्रणाली में उन्हें शामिल करने के बाद उनसे बैंकिंग सेवाओं के नाम पर अलग अलग शुल्क लिया जाय। एनपीए द्वारा हुए नुकसान को आम जनता के ऊपर बैंक शुल्कों के रूप में हस्तांतरित करना सामाजिक एवं समावेशी बैंकिंग की अवधारणा के खिलाफ है। बैंकों ने कॉर्पोरेट ऋण की वसूली की भरपाई का बोझ बड़ी मात्रा में बैंक शुल्कों के माध्यम से बचत खाता धारकों के कंधे पर डाल दिया है।
हस्ताक्षर अभियान में सिविल सोसाइटी और जन संगठनों के समूहो के द्वारा बचत खाता धारकों पर लगाए गए इन शुल्कों की आलोचना करते हुए बचत खाता धारकों के जमा पैसे सुरक्षित रहने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर और केंद्रीय वित्त मंत्री को संबोधित ज्ञापन अपर जिलाधिकारी आपूर्ति नवनीत सिंह को सौंपा।
ज्ञापन के जरिए की ये मांग 1.गरीब जनता पर बैंक शुल्कों के नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए खाताधारकों के हितों को बचाने के लिए सभी प्रकार के बैंक शुल्कों को तत्काल वापस लेना चाहिए क्युंकि बैंकिंग सेवाओं को महंगा बनाना भारत में सार्वजनिक बैंकिंग की अवधारणा के विरुद्ध है | 2.अप्रैल 2014 से अभी तक सभी बैंकों द्वारा बैंक शुल्कों के नाम पर वसूला गया सारा पैसा बचत खाता धारकों को तत्काल वापस किया जाय | 3.जनता के जनधन खातो को सामान्य बचत खातो मे परिवर्तित ना किया जाय तथा अब तक परिवर्तित किये जा चुके खातो को तत्काल जनधन खाते मे परिवर्तित किया जाय | 4.-जमाकर्ताओं के अधिकारों के हितों की रक्षा हेतु बैंकिंग संकट के मौजूदा परिदृश्य में, आरबीआई को एक पारदर्शी और गैर-शोषक बैंकिंग प्रणाली के लिए एक स्पष्ट नीति बनाये | 5.-बैंक शुल्क के रूप में जमाकर्ताओं पर कॉरपोरेट ऋणों का बोझ डालने के बजाय, भारत सरकार और आरबीआई ऋणों की वसूली के लिए स्पष्ट कार्य योजना बनाये |
इस अवसर पर राम जनम भाई, सरफराज अहमद, प्रदीप सिंह, विनय सिंह, अब्दुल्लाह खान, सलीम सिद्धिकी, निजामुद्दीन, नगीना सिंह, गौतम सिंह, राजेश यादव, शहीद हुसैन, राजकुमार गुप्ता, संजीव सिंह, वल्लभाचार्य पाण्डेय, जागृति राही, धनञ्जय त्रिपाठी, डा अनूप श्रमिक, जगन्नाथ कुशवाहा आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का आयोजन साझा संस्कृति मंच, बनारस बचाओं अभियान, फेम इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।
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