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वाराणसी

अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद का दर्जा दिलाने को गांव के लोग PM के क्षेत्र में दे रहे धरना

बोले, जब तक मांग पूरी नहीं होगी धरना जारी रहेगा चाहे जितना समय लगेपंजाब के आनंदपुर साहिब से 15 जिलों में धरना देते पहुंचे हैं बनारसआम आदमी पार्टी ने दिया समर्थन

वाराणसीAug 13, 2019 / 07:47 pm

Ajay Chaturvedi

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव (फाइल फोटो)

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव (फाइल फोटो)

वाराणसी. देश आजादी की 73वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। पूरे देश में आजादी का जश्न मनाने की तैयारी चल रही हैं। लेकिन यह आजादी जिन्होंने दिलाई, जिन्होंने इसके लिए अपनी कुर्बानियां दीं। हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। उन्हें अब तक शहीद का दर्जा नहीं दे सकी है भारत सरकार। सरकार चाहे जिसकी भी रही हो कोई सुनवाई नहीं। ऐसे में आनंदपुर साहिब के छोटे से गांव खटकर कलां से चल कर आए हैं कुछ लोग जो यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में धरना दे रहे हैं।
ये सभी जानते हैं कि इंक़लाब ज़िंदाबाद का नारा देने वाले भगत सिंह भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सबसे बड़े नायकों में से एक रहे। क्रांतिकारी भगत सिंह का जन्म आनंदपुर साहिब के छोटे से गांव खटकर कलां में वर्ष 1907 में हुआ था। भारतीय स्वातंत्र्य आंदोलन के दौरान क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च को फांसी दी गई थी। 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में भी जाना जाता है। भगत सिंह आजादी के आंदोलन के ऐसे सिपाही रहे हैं, जिनका जिक्र आते ही शरीर में जोश दौड़ जाता है और रोंगटे खड़े हो जाते हैं। भगत सिंह ने अंग्रेजों से लोहा लिया और असेंबली में बम फेंककर उन्हें सोती नींद से जगाने का काम किया। असेंबली में बम फेंकने के बाद वे भागे नहीं और जिसके नतीजतन उन्हें फांसी की सजा हो गई।
लेकिन आजादी के बाद यानी 1947 से अब तक की सरकारें जिस दिन उन्हें फांसी दी गई उस दिन को शहीद दिवस तो घोषित कर दिया पर इन क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा नहीं मिला। ऐसे में आनंदपुर साहिब के छोटे से गांव खटकर कलां से 15 जिलों से होते हुए उनके गांव के लोग बनारस पहुंचे और यहीं जिला मुख्यालय पर धरने पर बैठ गए। उनका धरना अनिश्चितकालीन है। उनका कहना है कि चाहे जितने वर्ष लग जाएं पर हम उठने वाले नहीं। मांग पूरी होने पर ही उठेंगे।
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीद का दर्जा दिलाने की मांग करने वाले
इसका पता लगते ही आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष मुकेश सिंह के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ता 13 अगस्त को जिला मुख्यालय पहुंचे और उन्हें पार्टी की ओर से समर्थन दिया। मुकेश ने बताया कि आनंदपुर साहिब से आने वालों की पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी व राज्यसभा सदस्य संजय सिंह से फोन पर बात भी कराई। सिंह ने बताया कि यह मसला पार्टी लोकसभा में भी उठा चुकी है।
जिलाध्यक्ष मुकेश सिंह ने कहा कि पूरा देश बड़े श्रद्धा से भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहादत वाले दिन 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में याद करता हैं और उनके शहादत की मिसाल दी जाती हैं, परंतु देश के आज़ाद होने के 73 साल बाद भी देश के आजादी के मतवालों के शहादत को सम्मान नहीं मिलता। क्या हुक्मरान इस सहादत को, देश के गौरवपूर्ण इतिहास को सहेजना नहीं चाहते। सांसद, मंत्रियों, नौकरशाही आदि पर अनाप-शनाप खर्च करने वाली सरकारें देश के लिए शहादत देने वाले वीरो को सम्मान देने से क्यों हिचकती हैं। इन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान क्यों नहीं मिलना चाहिए। इन्हें शहीद का दर्जा क्यो नहीं मिलना चाहिए।
देश के गौरव का बखान कर वोट बटोरू राजनीति करने वाली वर्तमान सरकार खामोश क्यों हैं? क्या देश के आज़ादी की लड़ाई में 23 वर्ष की उम्र में हंसते-हंसते फाँसी पर चढ़ जाने वाले भगत सिंह शहीद नहीं हैं ? आम आदमी पार्टी मांग करती हैं कि देश के नाम बलिदान होने वालो को वीरो को अविलंब शहीद का दर्जा दिया जाय।
जिला मुख्यालय पहुंचे आप के प्रतिनिधिमंडल में विनोद जायसवाल, सरोज शर्मा, दीपक मिश्रा और राघवेंद्र सिंह आदि शामिल थे।

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