स्वामी श्री ने बताया कि मंदिरों को बचाने के उद्देश्य से सर्वदेव कोपहर प्रीतिकर मंदिर बचाओ महायज्ञ का आयोजन श्रीविद्यामठ में करने जा रहे हैं। इसमें सभी सनातनधर्मियों को आने की स्वतन्त्रता है । महायज्ञ 28 जून से 4 जुलाई तक होगा। इस महायज्ञ में कोई भी राजनेता, अधिकारीगण भी सम्मिलित होना चाहें तो वे आ सकते हैं लेकिन बस शर्त यही रहेगी कि वे नेता या अधिकारी बनकर नहीं अपितु सच्चे सनातनधर्मी के रूप में मंदिर बचाने के स्वस्थ उद्देश्य के लिए आएं। कहा कि जब तक केंद्र और प्रदेश की सरकारें यह साफ नहीं कर देतीं कि काशी में कोई मंदिर नहीं तोड़ा जाएगा तब तक मंदिर बचाओ आन्दोलनम् चलता रहेगा। सरकार आज इस आशय की घोषणा करे तो आज आंदोलनम् समाप्त हो जाएगा ।
हमें मिल रहा है व्यापक जन समर्थन उन्होंने कहा कि जनता अभी तक इस विषय पर इसीलिए मौन दिखाई दे रही है क्योंकि उसे इस बात की जानकारी ही नहीं है कि काशी में मंदिर तोड़े जा रहे हैं। लेकिन आंदोलनम् को मिल रहे अपार जनसमर्थन के बाद राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं ने भी इस पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। उन राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं और वेबसाइटों, पोर्टल के जरिए दबी हुई चीजें बाहर आने लगी हैं। जैसे जैसे लोगों को पता चल रहा है लोग आक्रोशित हो रहे हैं। शीघ्र ही जनता का प्रबल विरोध दिखाई देने लगेगा।
हम कॉरिडोर योजना का नही, मंदिरों और मूर्तियों के तोड़ने का विरोध कर रहे
उऩ्होंने कहा कि मीडिया में जिस रह से खबरें आ रही हैं उससे प्रतीत होता है कि प्रशासन यह कहना चाह रहा कि जनता कितना भी विरोध करे हम तानाशाही रवैया अपनाएंगे और योजना पूरी करेंगे। हालांकि यह बात लोकतांत्रिक नहीं है पर वर्तमान सरकार का रवैया ही ऐसा है कि सुन लेना पड़ता है। पर इस सन्दर्भ में कुछ बातें स्पष्ट करना जरूरी है। इस संबंध में हमारा स्पष्ट कहना है कि हम काशी विश्वनाथ परिसर के सुंदरीकरण और विस्तारीकरण या सरकार की किसी और योजना के न तो विरोधी हैं और न ही विरोध कर रहे हैं। इसी तरह हम कॉरिडोर योजना के भी विरोधी नहीं हैं। हमारा विरोध मात्र इस बात पर है कि योजना को पूरा करने के लिये मंदिरों को क्यों तोड़ा जा रहा है। हमारा कहना है कि मंदिरों और देवमूर्तियों को मत तोडिये। हमने आरम्भ से ही अपने वक्तव्यों मे यह स्पष्ट रूप से कहा है कि हम काशी के प्राचीन, परंपरा से पूजित और पौराणिक मंदिरों को तोडे जाने के विरोधी हैं। कहा कि जिन मंदिरों और मूर्तियों को हमारे पूर्वजों ने स्थापित किया और जिनकी पूजा अर्चना न केवल हम मनुष्य परम्परा से करते आए अपितु यक्षों, गन्धर्वों द्वारा भी जिनकी पूजा की जाती रही उन मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ना किसी भी हालत में सहन नहीं किया जाएगा। विश्वनाथ कॉरिडोर से विरोध नहीं पर एक भी मन्दिर नहीं तोड़े जाने चाहिये ।