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वाराणसी

प्राथमिक शिक्षकों को मिलने वाली हैं ढेर सारी सुविधाएं, कई जिम्मेदारियों से होंगे मुक्त

प्रस्तावित नई शिक्षा नीति तैयार करने वाली कमेटी ने दिए हैं कई महत्वपूर्ण सुझावकेंद्र सरकार ने सुझाव को मान लिया है मिड- डे मील की जिम्मेदारी से मुक्त होंगे प्राथमिक शिक्षकनीति आयोग शिक्षकों को बीएलओ जैसी जिम्मेदारी से मुक्त करने का दे चुकी है सुझाव

वाराणसीNov 06, 2019 / 01:51 pm

Ajay Chaturvedi

school

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वाराणसी. नई शिक्षा नीति का प्रारूप तय ही नहीं हो चुका है बल्कि यूं कहें कि मानव संसाधन मंत्रालय ने उस पर अपनी मंजूरी भी दे दी है। बस लागू होने भर की देरी है। बताया जा रहा है सब कुछ ठीक रहा तो अगले शिक्षा सत्र से यह नीति लागू भी हो जाएग। इस शिक्षा नीति से प्राथमिक शिक्षकों में खुशी की लहर है। उनकी कई मांगें पूरी होने जा रही हैं जिनके लिए वो वर्षों से संघर्ष करते रहे हैं।
मिड-डे-मील के चक्कर से होंगे मुक्त

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की वाराणसी इकाई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सनत कुमार सिंह ने पत्रिका को बताया कि प्रस्तावित नई शिक्षा नीति तैयार करने वाली कमेटी ने अपने प्रारम्भिक मसौदे में भी शिक्षकों को मिड- डे मील की जिम्मेदारी से अलग रखने का सुझाव दिया गया था। हालांकि इसे मंत्रालय ने अब और सख्त बनाते हुए इनमें मिड-डे मील के साथ ही सभी गैर-शैक्षणिक कार्यो से उन्हें मुक्त रखने का सुझाव दिया है। यह कदम इसलिए भी अहम है, क्योंकि स्कूलों में शिक्षकों की पहले से ही भारी कमी है।
देश भर के स्कूलों में दस लाख पद खाली हैं

एक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर के स्कूलों में कुल स्वीकृत पदों के मुकाबले करीब दस लाख पद खाली पड़े है। यही वजह है कि मंत्रालय ने प्रस्तावित नीति ने इसे प्रमुखता से जगह दी है। प्रस्तावित नीति के जल्द ही कैबिनेट के सामने पेश किए जाने की तैयारी है।
शिक्षकों को बीएलओ जैसी जिम्मेदारी से मुक्त करने का सुझाव

स्कूली शिक्षकों को चुनावी कार्य सहित दूसरे गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने का सुझाव इससे पहले नीति आयोग ने भी दिया था। हालांकि दिल्ली जैसे कुछ राज्यों ने इस पर गंभीरता दिखाई और शिक्षकों को बीएलओ (बूथ लेवल आफीसर) जैसी जिम्मेदारी से अलग किया है। बावजूद इसके ज्यादातर राज्यों में अभी भी शिक्षकों को लंबे चलने वाले चुनाव कार्यो से जोड़कर रखा गया है। पिछले दिनों नीति आयोग ने राज्यों से ऐसे शिक्षकों को ब्यौरा मांगा था। साथ ही प्रत्येक जिलों से पूछा था कि क्या वह शिक्षकों के अलावा और किसी को भी चुनावी कार्यो की जिम्मेदारी दे सकता है।

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